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कोरोना को हराने में केवल लॉकडाउन ही कारगर नहीं,जन स्वास्थ्य के पर्याप्त कदम उठाते रहने होंगेः-WHO

लंदन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मानना है कि कोरोना को हराने के लिए शहरों और देशों को लाकडाउन करने से ही काम नहीं चलेगा। लाकडाउन के साथ जन स्वास्थ्य के पर्याप्त कदम उठाते रहने होंगे नहीं तो यह बीमारी फिर पनप सकती है। डब्लूएचओ के शीषर्ष इमरजेंसी एक्सपर्ट माइक रायन ने बीबीसी को दिये एक साक्षात्कार में कहा कि कोरोना से फैली बीमारी से निपटने के लिए देश सिर्फ लाकडाउन के भरोसे नहीं रह सकते हैं।

      रायन ने कहा कि यह बीमारी दोबारा न पनपे इसके लिए जन स्वास्थ्य के सभी उपाय करने होंगे। हमें सबसे पहले कोरोना से बुरी तरह बीमार व संक्रमित हुए लोगों का पता करना है। इनके संपर्क में कौन-कौन आया उनका भी पता करना होगा। फिर इन सभी को आइसोलेट कर उनका ठीक से इलाज करना होगा। रायन ने कहा कि खतरा तो लाकडाउन से भी है। अगर अभी हम बीमार और संक्रमित लोगों का पता कर उनका इलाज शुरू नहीं करते तो लाकडाउन हटने की स्थिति में इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की संख्या एकदम से बढ़ सकती है।

       उल्लेखनीय है कोरोना के कारण ताइवान समेत कई देश डब्लूएचओ की आलोचना कर रहे हैं। ताइवान का कहना है कि डब्लूएचओ समय से इस संकट की चेतावनी देने में नाकाम रहा। ताइवान का कहना है कि उसने वुहान से शुरू हुई इस संक्रामक बीमारी के बारे में डब्लूएचओ और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक (IHR) को 31 दिसंबर को ही सावधान कर दिया है। मालूम हो कि चीन द्वारा अपना हिस्सा बताये जाने की जिद के कारण ताइवान को डब्लूएचओ ने संगठन से बाहर कर रखा है।

      ताइवान के अधिकारियों का आरोप है कि सूचना मिलने के बाद भी डब्लूएचओ ने अन्य देशों को कोविड–19 की भयावहता से आगाह नहीं किया। डब्लूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडहैनम द्वारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ करने की भी खूब आलोचना हो रही है। टेड्रोस ने कहा था कि बीमारी से निपटने में जिनपिंग ने बहुत अच्छा काम किया। वहीं जानकारों का मानना है कि चीन की सरकार ने इस मामले को पहले रफादफा करने की कोशिश की लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर उसे संकट की गंभीरता को स्वीकार करना पड़ा। वायरस के नामकरण को लेकर भी डब्लूएचओ के प्रमुख की खूब आलोचना हो रही है। ताइवान के लोगों का आरोप है कि चीन के दबाव में डब्लूएचओ ने मध्य जनवरी में इस बीमारी के खतरे को कम बताया लेकिन खुद चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 20 जनवरी को इसकी भयावहता बता दी।

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