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कोरोना कारण दुनिया की सोच बदली, भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही दुनियाः श्रीकांत वासुदेव काटदरे
देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से सम्बद्ध बौद्धिक फोरम प्रज्ञा प्रवाह (पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की वीडियो कांन्फ्रेन्सिग के माध्यम से ऑनलाइन संगठनात्मक बैठक सम्पन्न हुई, बैठक में उत्तराखंड, बृज तथा मेरठ ईकाई सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र केे कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। बैठक में कोरोना काल में संगठन की आगामी कार्ययोजना पर चर्चा हुई। इस बैठक में बुद्धिजीवी वर्ग में अपना आधार मजबूत करने के लिए रणनीति बनाई है। प्रज्ञा प्रवाह संघ की एक संस्था है, जिसकी शुरूआत सुदर्शन, दत्तोपंत ठेंगड़ी तथा पी. परमेश्वरन ने मिलकर की थी। बैठक में लेफ्ट विचारधारा का मुकाबला करने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग में मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास करने पर जोर दिया गया साथ ही वैचारिक युद्ध से वामपंथ को काउंटर करने की भी योजना बनायी गयी।
बैठक में अगवत कराया गया कि केन्द्रीय समिति के निर्णयानुसार अक्टूबर में असम में होने वाले द्विवार्षिक राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘लोकमंथन’ इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण नहीं होगा। प्रज्ञा प्रवाह के अखिल सह संयोजक श्रीकांत वासुदेव काटदरे ने बताया कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में ऐसा कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जायेगा, जिससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा हो तथा जिसके आयोजन में अधिक धन व्यय होता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण लोगों के जीवन यापन तथा विचार दर्शन बदल रहा है, जिस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात औद्योगिक क्रांति के कारण विश्व भर में कई परिवर्तन हुए उसी तरह कोरोना से युद्ध के दौरान और पश्चात भी विश्व जीवन जीने का तरीका बदल गया जायेगा। आज संपूर्ण विश्व एक बार पुनः भारत की ओर श्रद्धा और आशा से नजर गड़ाए हुए है, जिसके पीछे भारत की परिवार व्यवस्था, भारत की पर्यावरण को लेकर सोच और भारत का समस्त विश्व की सेवा करने का परम्परागत संस्कार एवं विचार है। एक समय भारत सांस्कृतिक दृष्टि से विश्व गुरु था। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, आयुर्वेद एवं अन्य भारतीय कार्यपद्धतियों को विश्व मान्यता मिलती देख कर पुनः ऐसा प्रतीत होता है कि भारत अपने विश्व गुरु के स्थान को पुनः पाने की दिशा में अग्रसर है। आज समस्त विश्व आश्चर्यचकित है कि 130 करोड़ की जनसंख्या होते हुए भी भारत में कोरोना संक्रमण इतना धीमा और कम क्यों है, वह भी तब, जबकि लगभग आधी जनसंख्या झोपड़पट्टी और सेवा बस्ती में रहती है। आज संपूर्ण विश्व में भारतीय जीवन पद्धति के विषय में सोच प्रारंभ हो चुकी है, परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि आज भी भारतीय समाज को भारतीय जीवन पद्धति के विषय में श्रद्धा जागरण की आवश्यकता है।
उन्होंने भारतीय जीवन पद्धति की श्रद्धा जागरण हेतु प्रज्ञा प्रवाह के कार्यकर्ताओं का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय जीवन पद्धति के विषय में जनमानस में श्रद्धा जागरण करना है। इस समय हमें भारतीय पारिवारिक मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए भी कार्य करना होगा। उन्होंने कहा अब समय आ गया है कि हमें मानसिक औपनिवेशिकता से बाहर निकलना होगा। उन्होंने बताया की हमें ऐसे विषयों और क्षेत्रों की जानकारी सभी भारतीय भाषाओं में जनमानस तक उपलब्ध करनी होगी कि किस प्रकार 800 वर्ष की शारीरिक अत्याचार एवं मानसिक अत्याचार के पश्चात भी हमारी विचारधारा जीवित है। उन्होंने कहा कि वामपंथियों द्वारा भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति घृणा का माहौल तैयार किया है, जिसके प्रति लोगांे को जागरूक करने की आवश्यकता है।
उन्होंने दत्तोपंत ठेंगड़ी की पुस्तक मॉडर्नाइजेशन विद आउट वेस्टर्नाइजेशन उद्धृत करते हुए कहा कि हमें ज्ञान को पश्चिम और पूर्व में नहीं बांटना चाहिए बल्कि पश्चिम तत्वज्ञान में कुछ अच्छा है, उसे ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने आत्मसातीकरण और अनुकरण करने की मानसिकता के विषय में बताते हुए कहा कि हमें आत्मसातीकरण की मानसिकता सामान्य जनमानस में खड़ी करने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ अनुकरण शीलता की मानसिकता को भी खत्म करने के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दत्तोपंत की सभी राजनीतिक पार्टियों में दोस्ती और संपर्क था और यही कारण है कि जब कांग्रेस की सरकार द्वारा एक तानाशाह की तरह देश पर आपातकाल लगाया गया तो ठेंगड़ी जी के सानिध्य में लोक संघर्ष समिति ने उस तानाशाही सरकार का सामना किया। बैठक में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद ‘राघव’ ने आगामी कार्यक्रमों की रूप रेखा बतायी तथा संगठनात्मक ढाॅंचे के विस्तार पर जोर दिया। बैठक में डॉ प्रमोद शर्मा, डॉ पदम सिंह, डॉ एलएस बिष्ट, डॉ चंद्रशेखर, अवनीश कुमार, डॉ चैतन्य भंडारी, डॉ ऋचा कांबोज, डॉ अंजली वर्मा, डॉ प्रवीण कुमार तिवारी, डॉ बीरपाल सिंह, डॉ बकुल बंसल ,डॉ दिनेश सकलानी, डॉ एनएन पांडे ,डॉ मीनाक्षी, डॉ तूलिका, डॉ रश्मि रंजन, डॉ वीके सारस्वत, डॉ जीआर गुप्त , डॉ जितेंद्र सिंह, अनुराग विजय अग्रवाल उपस्थित रहे।