छोटे दलों या निर्दलीयों के सहयोग से ही पाकिस्तान में सरकार बना पाएंगे इमरान
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में क्रिकेटर से नेता बने इमरान अहमद खान नियाजी की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) 270 में से 114 सीटें पाकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन वह सरकार बनाने के जरूरी बहुमत पाने में नाकाम रही। सरकार बनाने के लिए उसे छोटी पार्टियों या निर्दलीयों का समर्थन लेना पड़ेगा। चुनाव आयोग नेशनल असेंबली की 261 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए हैं। जेल में बंद नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को 62 सीटें मिली हैं। पूर्व राष्ट्रपति आसिफ जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 43 सीटें जीती हैं। 12 निर्दलीय जीते हैं। मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल को 12 सीटें मिली हैं। यह जमात-ए-इस्लामी जैसी पारंपरिक धार्मिक पार्टियों का गठबंधन है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज इलाही की पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने 5 सीटें जीती हैं। नतीजों के मुताबिक कराची स्थित मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) को तगड़ा झटका लगा है। वह कराची में 20 में से मात्र 6 सीटें जीत सकी है।
पीटीआई का सरकार बनाने का गणित पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सदस्य हैं। इनमें से 272 का प्रत्यक्ष चुनाव होता है। 70 सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। कोई पार्टी सरकार तभी बना सकती है जब उसके पास 172 सदस्य हों। विशेषज्ञों के मुताबिक इमरान के पास 160 सदस्यों का समर्थन हो सकता है। पीटीआई को महिलाओं के लिए आरक्षित 60 में से 29 और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 10 में चार या पांच सीटें मिल सकती हैं। पीटीआई की सहयोगी पीएमएल-क्यू ने पांच सीटें जीती हैं और उसे भी एक आरक्षित सीट मिल सकती है। अवामी मुस्लिम लीग के शेख रशीद इमरान का पहले से समर्थन कर रहे हैं। जनजातीय क्षेत्र से जीते कुछ निर्दलीय पीटीआई के संपर्क में हैं। बलूचिस्तान की कुछ छोटे दल व एमक्यूएम भी इमरान का समर्थन कर सकती हैं।
चुनाव नतीजों में हुई धांधली: नवाज पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संसदीय चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कहा है कि इसके नतीजे पहले से तय थे। उन्होंने आगाह किया कि दागदार और संदिग्ध नतीजों का देश की राजनीति पर घातक असर होगा। अदियाला जेल में मिलने आए रिश्तेदारों और पार्टी नेताओं से बात करते हुए उन्होंने फैसलाबाद, लाहौर और रावलपिंडी के चुनाव परिणामों पर सवाल उठाया। शरीफ ने कहा कि इन इलाकों में उनकी पार्टी के उम्मीदवार बेहद मजबूत स्थिति में थे। लेकिन, उन्हें पराजित घोषित कर दिया गया। जेल में शरीफ से मिलकर लौटे नेताओं के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की सरकार का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। इसके बावजूद संसदीय चुनाव में उसे जिता दिया गया। उन्होंने कहा कि 2013 के संसदीय चुनाव के मुकाबले इस बार इमरान की हालत बेहद कमजोर थी।
जेल में शरीफ और मरयम से मिलने वालों में पीएमएल-एन के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ, खैबर पख्तूनख्वा के गवर्नर इकबाल जफर झागरा, मरयम के बेटे जुनैद सफदर और उनकी बेटी मेहरन्निशा समेत कई अन्य नेता शामिल थे। इन लोगों के साथ शरीफ का निजी डॉक्टर भी था। नवाज और शाहबाज ने करीब आधे घंटे तक अकेले में भी बातचीत की। इसके बाद वहां मरयम भी पहुंच गई। इस दौरान चुनाव के बाद की स्थितियों पर चर्चा की गई।
पर्यवेक्षकों ने कहा, सबके लिए नहीं था समान अवसर पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए संसदीय चुनाव के बारे में यूरोपीय संघ के पर्यवेक्षकों ने कहा है कि इसमें सबके लिए बराबर का मौका नहीं था। यूरोपीय संघ चुनाव निगरानी मिशन के अध्यक्ष माइकल गैहलर ने कहा कि हालांकि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कई कानूनी प्रावधान किए गए थे। लेकिन, हमारा मानना है कि सबको समान अवसर नहीं दिया गया था।
पंजाब में भी सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी पीटीआई केंद्र की सत्ता के साथ ही सियासी रूप से बेहद अहम पंजाब प्रांत भी नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के हाथ से निकलता दिख रहा है। पंजाब विधानसभा के लिए हुए चुनाव में हालांकि पीएमएल-एन को सबसे ज्यादा 127 सीटें मिली हैं लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे रह गई। सूबे की 297 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 149 विधायकों का समर्थन जरूरी है।
123 सीटें जीतने वाली इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सूबे में सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी है। उसकी सहयोगी पार्टी पीएमएल-क्यू को सात सीटें मिली हैं। 18 निर्दलीय विधायकों ने भी पीटीआई के समर्थन का एलान कर दिया है। पीटीआई के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने कहा है कि पीएमएल–क्यू और निर्दलीयों के समर्थन से हम पंजाब में आसानी से सरकार बना लेंगे। पीएमएल-एन एक दशक से पंजाब की सत्ता पर काबिज थी। सत्ता हाथ से फिसलते देख शाहबाज शरीफ के बेटे हमजा ने कहा, ‘धांधली के बावजूद हम पंजाब में सबसे ब़़डी पार्टी के रूप में उभरे हैं। पीटीआई को हमारे जनादेश का खयाल रखना चाहिए। हमें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए।’