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चाय बागान की जमीन पर बने एक होटल को लेकर हुए जांच के आदेश

देहरादून। चाय बागान की सीलिंग की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर अब शासन ने सख्त तेवर अपना लिए हैं। लाडपुर स्थित चाय बागान की जमीन पर बने एक होटल पर्ल एवन्यू को लेकर जिला अपर कलक्टर की अदालत ने एसडीएम सदर और तहसीलदार से जांच रिपोर्ट तलब कर ली है कि सीलिंग की जमीन पर यह होटल कब और कैसे बना? इस भूमि की खरीद-फरोख्त किसने की है। अपर कलक्टर ने इस संबध्ंा में तीन दिन में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

अपर जिला कलक्टर डा. शिव कुमार बरनवाल चाय बागान की सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त मामले की सुनवाई कर रहे हैं। उन्होंने एसडीएम सदर और तहसीलदार को निर्देश दिये हैं कि मौजा लाडपुर के खसरा नंबर पुराना 83 और नया नंबर 30 क है। गौरतलब है कि लाडपुर की खतौनी में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह नंबर सीलिंग की गयी भूमि के हैं। इस संबंध में 31 जुलाई 1996 को आदेश किये गये थे। सबसे बड़ा सवाल यह है जब खतौनी में यह दर्ज है तो तहसीलदार, पटवारी-कानूनगो ने कैसे इसका दाखिल खारिज करें और रजिस्टर में कैसे इसकी रजिस्ट्री कराई? होटल पर्ल एवेन्यू 0.1821 हेक्टयर जमीन पर बना है तो उस भूमि का विक्रय कब और कैसे किया गया? उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्होंने 17 नवम्बर 2022 तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया था कि होटल की भूमि की खरीद-फरोख्त की जांच की जाएं, लेकिन आज तक रिपोर्ट नहीं दी गयी।

गौरतलब है कि इस मामले को आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने उजागर किया था कि लाडपुर, रायपुर, रायचकपुर और नत्थनपुर स्थित चाय बागान की जमीन को कुछ भूमाफिया खुर्द-बुर्द कर रहे हैं जबकि यह जमीन सीलिंग की है और सुप्रीम कोर्ट ने इस जमीन को लेकर 10 अक्टूबर 1975 में ही फैसला सुना दिया था कि यदि सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त होती है तो यह जमीन स्वतः ही सरकार की मान ली जाएगी।

बताया जाता है कि लाडपुर की जमीन को भी नियमों को धत्ता बताते हुए बेच दिया गया और इस पर होटल पर्ल एवेन्यू बना दिया गया है। जिस जमीन पर होटल बना है वह जमीन 12 नवम्बर 1999 को वन विभाग को हस्तांतरित कर दी गयी थी। इस मामले में अब जिला कलक्टर अदालत में सुनवाई चल रही है

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