सीबीआइ चीफ के पद से आलोक वर्मा की छुट्टी,चयन समिति की बैठक में फैसला
नई दिल्ली। सीबीआइ चीफ के पद से आलोक वर्मा की छुट्टी कर दी गई है। गुरुवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में ये बड़ा फैसला लिया गया। करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में आलोक वर्मा को सीबीआइ चीफ के पद से हटाने का फैसला लिया गया। चयन समिति ने 2-1 से अपना फैसला सुनाया। चयन समिति में पीएम मोदी के अलावा लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई द्वारा नामित किए गए जस्टिस एके सीकरी इसके सदस्य हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सीकरी ने वर्मा पर लगे आरोपों की जांच की मांग की है। बताया जा रहा है कि वर्मा को अब फायर सेफ्टी विभाग का महानिदेशक बनाया गया है।
कुर्सी संभालते ही किए पांच ट्रांसफर आलोक वर्मा ने बुधवार को अपना पद संभालते ही तत्कालीन निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर राव द्वारा किए गए लगभग सारे तबादले रद कर दिए। वहीं गुरुवार को उन्होंने बड़े फैसले लेते हुए पांच अधिकारियों के तबादले कर दिए। वर्मा ने जेडी अजय भटनागर, डीआईजी एमके सिन्हा, डीआईजी तरुण गौबा, जेडी मुरुगसन और एडी एक शर्मा का तबादला किया।
बुधवार को ही संभाली थी कुर्सी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आलोक वर्मा को सीबीआइ प्रमुख के पद पर बहाल किया था। कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्होंने बुधवार को ही अपनी कुर्सी संभाली थी। गौरतलब है कि सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच तकरार शुरू होने के बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिए थे। केंद्र के फैसले के खिलाफ वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जिस पर कोर्ट ने उन्हें बतौर सीबीआइ निदेशक तो बहाल तो कर दिया, लेकिन उन्हें नीतिगत फैसले लेने के अधिकार नहीं दिए गए।
‘सीबीआइ चीफ को मिले पूरे अधिकार’ इससे पहले बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार चयन समिति की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आलोक वर्मा को सीबीआइ निदेशक के पूरे अधिकार दिये जाने चाहिए। इसके साथ ही खड़गे ने आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी की जांच के सभी दस्तावेज समिति के सामने पेश करने की मांग की। उनका कहना था कि सिर्फ सीवीसी की जांच के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता है। यह देखना जरूरी है कि सीवीसी ने जांच किन दस्तावेजों के आधार पर की थी।