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नियुक्तियां रद्द करना सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलनाः कुुजवाल

देहरादून। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा में हुई भर्तियों को रद्द के मामले में बड़ा बयान दिया है। गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा है राजनीतिक से प्रेरित होकर इन भर्तियों को रद्द किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इन भर्तियों को वैध ठहराया था, लेकिन अब सरकार ने इसको रद्द कर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों को भी मानने से इनकार किया है, जो उत्तराखंड के हित में नहीं है। कुंजवाल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने जो भी भर्तियां की हैं, वो संविधान के तहत की हैं। उन्होंने कहा कि जिस समय ये भर्तियों, उस समय गैरसैंण में राजधानी बनाई जा रही थी। उसके परिपेक्ष्य में उन्होंने भर्तियां की थीं, जिससे कि वहां पर विधानसभा में लोगों की आवश्यकता थी। जिसको देखते हुए उन्होंने भर्तियां की थीं। सरकार ने इन भर्तियों को रद्द कर बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष संवैधानिक पद है। विधानसभा अध्यक्ष ने संवैधानिक राय लेकर इस फैसले को देखा होगा, जिसके बाद उन्होंने भर्तियों को रद्द करने की सिफारिश की है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की यह करवाई सराहनीय है। साथ ही कहा है कि जिन भी भर्तियों में घोटाले हुए हैं, उनमें भी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने इसे कोर्ट के आदेशों की अवहेलना बताया है।

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