Uttarakhand

ब्राइटलैंड स्कूल के आयुष्मान शर्मा ने इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड” में पाया 49 वां स्थान

देहरादून। ब्राइटलैंड स्कूल,देहरादून के कक्षा 4 के छात्र आयुष्मान शर्मा ने वर्ष 2021 की “यूनिफ़ाइड इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड” (Unified international mathematics olympiad) में उन 49 वां स्थान प्राप्त कर स्कूल व परिवार का नाम रोशन किया है। हैदराबाद स्थित यूआईएम(UIM) द्वारा गत जनवरी माह में ऑल इंडिया स्तर पर इस ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया था। 10 वर्षीय आयुष्मान शर्मा बेहद संवेदनशील व शांतचित्त छात्र हैं जिन्हें ज्यादा बोलना पसंद नहीं है। वह अपने सीमित दायरे में रहकर काम करना पसंद करते हैं। दोस्ती के नाम पर वह कुछ एक दोस्तों के ही नाम ले पाते हैं। बाकी वह अपनी दीदीयों खुशी,मुस्कान,हर्षिता,आध्या व अभ्युदय के साथ रहना उन्हें ज्यादा पसंद हैं। आयुष्मान की माँ जया शर्मा नौडियाल जो कि हाउस वाइफ हैं ने बताया कि वह उनकी बात से ज्यादा “मैडमों” की बातों को मानता है अगर वह किसी सवाल को “दूसरे” तरीके से समझाने की कोशिश करे तो वह मानने को तैयार नहीं होता कि “मैम ने ऐसे बताया है।” बाक़ी कोरोना महामारी के चलते पिछले साल एक भी दिन स्कूल न खुल पाने का उसे बहुत अफसोस है। ऑनलाइन क्लास के बाद वह अक्सर पूछ लेता था कि मेरी नई “मैम” से मिलने कब चलेंगे। जनसंवाद ऑन लाइन डॉट कॉम पोर्टल के प्रधान संपादक उनके पिता अम्बुज शर्मा जो कि प्रेस क्लब के सदस्य भी हैं ने पिछले साल को याद करते हुए कहा कि वह एक बेहद डरावने सपने की तरह है,जो कि अभी भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोग कोरोना नाम की इस बीमारी से तो जैसे-कैसे लड़ ही रहे हैं मगर आर्थिक मंदी की मार से कैसे निपटें ये समझ में नहीं आ रहा है। घर का खर्चा ,बच्चों की पढ़ाई अब काबू से बाहर होते जा रहे हैं। अपने बड़े भाई/मित्र जयदीप सकलानी को याद करते हुए कहा कि उनके द्वारा की जाने वाली मदद से प्रेस क्लब के कुछ साथियों को फौरी राहत मिलती रहती है अन्यथा उनके बहुत से साथियों के लिए अब घर चलना बहुत मुश्किल हो गया है। आयुष्मान को मिले “पुरुष्कार” को उन्होने स्कूल के शिक्षकों की मेहनत का फल बताते हुए विगत 27 दिसम्बर को स्वर्गवासी हुए स्कूल के संस्थापक स्व0 श्री रवि नारंग को समर्पित करते हुए कहा कि यह उनके बेटे व उनकी सभी टीचर्स की तरफ से  एक श्रधांजलि है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले सालों में दूसरे बच्चे भी इसी तरह मेहनत कर स्कूल का नाम रोशन करते रहेंगे।

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