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गुरूद्वारा साहिब डाकरा में चल रहे गुरू ग्रन्थ साहिब के अखण्ड पाठ का भोग संपन्न

देहरादून। साहिबे कमाल, सरबंस दानी श्री गुरू गोबिंद सिह जी महाराज के परोपकारी जीवन के अनमोल इतिहास को याद करते हुए मकर संक्राति के अवसर पर गुरूद्वारा साहिब डाकरा में चल रहे गुरू ग्रन्थ साहिब के अखण्ड पाठ का भोग विधिवत रूप से संपन्न हुआ। हजूरी रागी गुरूद्वारा डाकरा भाई जसबीर सिंह द्वारा कीर्तन एवं अरदास की गई। ज्ञानी हरदयाल सिंह ने शब्द कीर्तन से मुक्त से मुक्त पय जिन हर धियाया जी तिन टूटी जम की फासी। सा धरती पई हर्यावली जिथे मेरा सतगुरु बैठा आए। मितर प्यारे नू हाल मुरीदा दा कहना मित्र। सगल द्वार को छाड़ के गहयो तुहारो द्वार, बहे गहे की लाज आस गोबिंद दास तुहार का कीर्तन किया गया।
इसके उपरांत दरबार साहिब अमृतसर (पंजाब) से भाई गुरमेल सिंह ने माउली धरती मौलिया आकाश घट घट मौलिया आतम प्रगास। नानक सिमरे एक नाम फिर बहोड़ ना ताई। जिने तोहे ध्यायो तिने पूरन प्रताप पायो, सरब धन धाम फल फूल मो फलत है। एक मूरत अनेक दर्शन कीन रूप अनेक। खेल खेल अखेल खेलन अंत को फिर एक। जब भाई गुरमेल सिंह ने “सतनाम वाहे गुरू, वाहे गुरू, वाहे गुरू, वाहे गुरू, वाहे गुरू,” का जाप किया तब पूरा माहोल भक्तिमय हो गया और संगता निहाल हो गई। संगतों ने गुरू महाराज का आशीर्वाद लिया व प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान भारी संख्या मे संगतों ने लंगर छका। शब्द कीर्तन व अरदास के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। कार्यक्रम मे गुरूद्वारा साहिब डाकरा के प्रधान दलीप सिह, महासचिव गुरमीत सिह कैथ, देवेन्द्र पाल सिह, सरवण सिह, जगजीत सिह, सुभम सिंह, अमरजीत सिह, रंजीत कौर, अमरजीत कौर, जसविंदर कौर, कमलजीत कौर, स्वर्ण कौर, सरबजीत कौर, त्रिलोचन कौर, इन्दर जीत सिंह, पवन कौर, गुरचरण कौर, ज्ञान कौर, मनमीत, हरप्रीत, परमजीत, हरभजन सिंह सोंधी, राजेंद्र कौर, हरदीप सिंह, रघुवीर सिंह, कुलदीप सिंह, हरमहिन्दर सिंह, सुरजीत सिंह, दलजीत सिंह, मनीत सिंह, गुरदीप सिंह, कुलदीप सिंह, हरविंदर कौर, अंगद, सहित कई श्रद्धालू मौजूद थे।

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