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भय्यूजी महाराज के पार्थिव शरीर को बेटी कुहू ने दी मुखाग्नि

इंदौर । मंगलवार को खुदकुशी करने वाले संत भय्यूजी महाराज का भमोरी स्थित मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उनकी पार्थिव देह को बेटी कुहू ने मुखाग्नि दी। इससे पहले उनकी शवयात्रा हजारों भक्तों के साथ मुक्तिधाम पहुंची, जहां शास्त्रोक्त विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। जिस गाड़ी में भय्यूजी महाराज की पार्थिव देह को रखा गया था उसको फूलों से सजाया गया था।इससे पहले उनकी पार्थिव देह को बॉम्बे हॉस्पिटल से उनके निवास स्थान स्कीम नंबर 74 स्थित आवास ‘शिवनेरी’ में लाया गया। यहां से पार्थिव देह को सूर्योदय आश्रम ले जाया गया। जहां पर बड़ी संख्या में उनके शिष्य उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे। भय्यूजी महाराज कोे श्रद्धांजलि देने वालो में रामदास अठावले और पंकजा मुंडे भी शामिल है। भय्यूजी महाराज के अंतिम दर्शनों के लिए देश- विदेश खासकर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे।अंतिम यात्रा शुरू होने से पहले भय्यूजी महाराज के शव के पास उनकी बेटी कुहू, पत्नी आयुषी और परिवार के सदस्य मौजूद थे। आश्रम में पार्थिव देह को दर्शन के लिए रखे जाने के बाद बड़ी संख्या में भक्त उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भय्यूजी महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘बाबा साहब आम्बेडकर के प्रति भय्यूजी महाराज की अगाध श्रद्धा थी उनके असामयिक निधन से देश को क्षति हुई है।’ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भय्यूजी महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘भैय्यू जी महाराज के द्वारा आत्महत्या करने के समाचार सुनकर विश्वास नहीं हुआ। वे नेक धार्मिक इंसान थे। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन जैसा व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।’भय्यूजी महाराज की पार्थिव देह को श्रद्धांजलि देने वालों में डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्र,महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनिस के ओएसडी श्रीकांत,विधायक रमेश मेंदोला, और महेन्द्र हार्डिया शामिल हैं। दुनिया को जिंदगी का संदेश देकर तनाव से निजात दिलाने वाले संत भय्यूजी महाराज तनाव से खुद हार गए और तनाव उनके ऊपर इस हद तक हावी हुआ कि उन्होने जिंदगी को अलविदा कहने का मन बना लिया। मंगलवार को उन्होंने गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। उनकी मौत की खबर आने के बाद देर रात तक श्रद्धांजलि का सिलसिला चलता रहा। उनकी मौत के बाद से उनके अनुयायी और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मारने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। उन्होंने एक पन्‍ने के सुसाइड नोट में लिखा कि वो जिंदगी के तनाव से परेशान हो चुके हैं। उनकी मौत के लिए कोई जिम्‍मेदार नहीं है।

कौन थे भय्यूजीजी महाराज  29 अप्रैल 1968 को जन्मे भय्यूजीजी महाराज का असली नाम उदयसिंह देखमुख था। वे शुजालपुर के जमीदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। कभी कपड़ों के एक ब्रांड के लिए मॉडलिंग कर चुके भय्यूजीजी महाराज अब गृहस्थ संत थे। सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट उनकी ही देखरेख में चलता था। उनका मुख्य आश्रम इंदौर के बापट चौराहे पर है। उनकी पत्नी माधवी का दो साल पहले निधन हो चुका है। पहली शादी से उनकी एक बेटी कुहू है, जो पुणे में रहकर पढ़ाई कर रही है। पहली पत्नी माधवी के निधन के बाद उन्होने ग्वालियर की डॉक्टर आयुषी शर्मा से दूसरा विवाह किया था।

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