Uttarakhand

भारतीय सेना अब हर चुनौती से निपटने को तैयार

रानीखेत, अल्मोड़ा : भारत व अमेरिका के संयुक्त युद्ध अभ्यास के चौथे चरण में भारतीय सेना ने ये साबित कर दी है कि अब वे हर चुनौती से निपटने को तैयार हैं। सेना के ब्रिगेड कमांडर मेजर जनरल कवींद्र सिंह ने कहा कि तकनीक हो या रणनीति भारतीय फौज हर परिस्थिति से निपटने में माहिर हो गई है। अगर भविष्य में फिर कारगिल जैसे हालात बने तो बेहतरीन युक्ति और चुस्ती से ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा। लगभग कारगिल जैसे हालात। नीचे भारतीय फौज और खड़ी पहाड़ी की चोटी पर दुश्मन के बंकर। जहां घुसपैठिए घात लगाए बैठे रहे। इधर, हमारे सैनिक तीन दिशाओं से फायरिंग के जरिए एरिया को कवर कर रहे थे। लगभग दो किमी की ऊंची पहाड़ी व दर्रों को ‘क्लिफ टॉप असॉल्ट’ टेक्टिस से पार कर आतंकवादियों पर चीते सी फुर्ती के साथ सीधा हमला कर दिया। खुद को नुकसान पहुंचाए बगैर दुश्मन के बंकर तबाह कर आतंकी ढेर कर दिए गए। गुरुवार को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला चौबटिया क्षेत्र की पहाड़ियों पर। 15-गढ़वाल व मेहमान टॉम हॉक्स बटालियन की अगुवाई में भारत व अमेरिका का संयुक्त युद्ध अभ्यास अपने चौथे चरण में अहम पड़ाव की ओर बढ़ा। कारगिल जैसी विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ‘ऑपरेशन माउंटेन अटैक’ नाम से जांबाजों ने जो सैन्य कार्रवाई का प्रदर्शन किया, उसने साफ कर दिया कि अब भारतीय सेना किसी भी चुनौती व हालात से निपटने में कहीं ज्यादा माहिर हो चुकी है। इस ऑपरेशन में भी हालात लगभग कारगिल वाले ही रहे। अमेरिकी सैनिकों के साथ मिलकर भारतीय सेना के जांबाज रस्सियों के सहारे खाई से पहाड़ी व दर्रों को पार महज 15 से 20 मिनट में अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गए। ताबड़तोड़ गोलियों के बीच बंकर को ग्रेनेड से तबाह कर वहां छिपे घुसपैठियों को ढेर कर दिया गया।

फिटनेस में भारतीय जांबाजों का जवाब नहीं 

बेशक अमेरिकी सेना अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। मगर फिटनेस व जमीनी जंग में भारतीय सेना कहीं आगे। ऑपरेशन माउंटेन अटैक के जरिए यह भी दिखाया कि भारतीय सेना पहाड़ पर युद्ध के लिए कैसे खुद को फिट रखती है। दुश्मन अगर ऊंचाई पर सुरक्षित जगह पर हो तो खुद को नुकसान पहुंचाए बगैर कैसे खात्मा करें। अमेरिकी सैनिकों ने बेहद बारीकी से इस रणकौशल के गुर सीखे। खड़ी पहाड़ी पर खाई से चोटी तक पहुंचना हो या उतरना, भारतीय जांबाजों की फिटनेस अमेरिकी सैनिकों को भी कायल बना दिया।

दुर्गम पर हथियार ले जाने का प्रशिक्षण 

15-गढ़वाल बटालियन की अगुवाई में संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय फौज ने दुर्गम पहाड़ी पर वाहन, हथियार, रसद के साथ गोला बारूद ले जाने का प्रदर्शन भी बखूबी किया। रोपवे के जरिए खाई को पार कर एक पहाड़ी से दूसरी तक पहुंच दुश्मन का खात्मा किया गया। चोटी से रैप्लिंग यानी उतरना, माउंटेन अटैक का प्रशिक्षण अमेरिकी सैनिकों को भी दिया।

स्नाइपर गन की तड़तड़ाहट से गूंजा चौबटिया रेंज 

इराक व इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कहर बरपाने वाली अमेरिकी स्नाइपर गन जैसी अत्याधुनिक मशीन गनों की तड़तड़ाहट से पूरा चौबटिया क्षेत्र गूंज उठा। ‘एक गोली एक दुश्मन’ थीम पर भारतीय व अमेरिकी सैनिकों ने अपनी अपनी सैन्य क्षमता का बखूबी प्रदर्शन किया। फायरिंग रेंज में ‘फायर एंड मूव टेक्टिस’ ऑपरेशन के दौरान भी दोनों देशों के जांबाजों ने अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां बरसाकर दुश्मनों को नेस्तेनाबूद करने का प्रशिक्षण लिया।

अब कारगिल जैसी कार्रवाई के लिए भारत माहिर 

कारगिल युद्ध के बाद से अब तक बहुत कुछ बदल चुका है। तकनीक हो या रणनीति, भारतीय फौज हर चुनौती व परिस्थितियों से पार पाने में बहुत माहिर हो गई है। भविष्य में फिर कारगिल जैसे हालात बने तो हम बेहतरीन युक्ति व चुस्ती से ऑपरेशन को अंजाम देंगे।

यह बात भारतीय सेना के ब्रिगेड कमांडर मेजर जनरल (सेना मेडल) कवींद्र सिंह ने चौबटिया क्षेत्र में भारत व अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास के दौरान ‘ऑपरेशन माउंटेन अटैक’ के बाद कही। उन्होंने कहा, दोनों देशों की सेनाएं एक नई उपलब्धि की ओर अग्रसर हो रही हैं।  2004 में में प्लाटून से शुरू हुआ युद्धाभ्यास डिवीजन स्तर तक पहुंच गया है। अत्याधुनिक हथियारों के संचालन व तकनीक से रूबरू होने के साथ ही हथियारों का इस्तेमाल एक दूसरे के हथियारों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। भारतीय फौज की उन्नति पर आत्मविश्वास से भरे मेजर जनरल (सेना मेडल) कविंद्र सिंह ने कहा, कारगिल की जंग से लेकर अब तक हम वैसी ही कार्रवाई करने के लिए माहिर हो चुके हैं। उन्होंने ऑपरेशन माउंटेन अटैक के प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि दो किमी की पहाड़ी को हमारे जांबाजों ने महज 15 से बीस मिनट में पार कर बेहद चुस्ती के साथ सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। इससे समझा जा सकता है कि हमारी टेक्नीक व टेक्टिस काफी उन्नत हो गई है। मेजर जनरल कवींद्र सिंह ने कहा, आतंकवाद के खात्मे को अमेरिका जुटा है तो भारत भी जुटा है। ऐसे में युद्धाभ्यास का बड़ा उद्देश्य यह भी है कि कैसे हम मिल कर कार्रवाई करें। खासतौर पर बगैर नुकसान पहुंचे लक्ष्य तक पहुंचना ही इसका मकसद है। उन्होंने कहा कि हम भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की फौज बन कर किसी खास ऑपरेशन में जाएंगे तो निश्चित तौर पर बेहतर ढंग से अंजाम दे सकेंगे।

भारतीय सैनिकों की फिटनेस बेमिसाल 

अमेरिकी सैन्य कमांडर एमजी विलियम ग्राहम ने कहा कि भारत व अमेरिका के सैनिक अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। माना कि टेक्नीक व टेक्टिस के साथ फिटनेस के मामले में भारतीय फौज का कोई जवाब नहीं। जमीनी जंग खासतौर पर दुरूह पहाड़ पर दुश्मन के खात्मे को की जाने वाली कार्रवाई के मामले में अमेरिकी सेना को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।

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