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भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद कांग्रेस में होंगे शामिल, कहा- दरभंगा से लड़ेंगे LS चुनाव; पार्टी बोली: अभी फाइनल नहीं

पटना । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निलंबित  सांसद कीर्ति झा आजाद को लेकर यह बड़ी खबर है। वे 15 फरवरी को कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। उन्हें पार्टी की सदस्यता राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में दिलाई जाएगी। इसके बाद वे मिथिलांचल का दौरा करेंगे। आगामी लोकसभा चुनाव में वे बिहार की दरभंगा सीट से कांग्रेस से उम्‍मीदवार होंगे, यह तय माना जा रहा है। हालांकि, बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि यह अभी तय नहीं है।
विदित हो कि कीर्ति आजाद लंबे समय से भाजपा में हाशिए पर हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री अरुण जेटली से उनकी अदावत जग-जाहिर है। इस विवाद में उन्‍हें पार्टी का समर्थन नहीं मिला है।

कीर्ति बोले: दरभंगा से ही लड़ेंगे चुनाव  कीर्ति झा आजाद ने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद वे 18 फरवरी को अपने लोकसभा क्षेत्र दरभंगा पहुंचेगे। वहां समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्‍होंने कहा है कि कि वे दरभंगा से ही लड़ेंगे। इस बाबत उनकी राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से बात हो चुकी है। वे लगातार तीन टर्म से दरभंगा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं, इसलिए दूसरी जगह से चुनाव लडऩे का सवाल ही पैदा नहीं होता।

प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष बोले: अभी फाइनल नहीं ये बात  कीर्ति अपनी उम्‍मीदवारी को भले ही तय मान रहे हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष डॉ. मदन मोहन झा कुछ और ही कह रहे हैं। उनके अनुसार महागठबंधन में सीटों को लेकर अभी कोई सहमति नहीं बनी है। सीट बंटवारे में अभी 10 दिनों का वक्त लगेगा। कांग्रेस में कौन कहां से लड़ेगा, यह अभी तय नहीं है। इसपर बात चल रही है। हां, कीर्ति आजाद के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। कांग्रेस उनका स्वागत करती है।


मिथिलांचल की चुनावी सरगर्मी बढ़ी  
उधर, आजाद के कांग्रेस में शामिल होने की खबर से मिथिलांचल में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। महागठबंधन में दरभंगा से उम्मीदवारी को लेकर मामला उलझता जा रहा है। अभी तक विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी की दावेदारी की चर्चा थी। आजाद के कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा और क्षेत्र की दावेदारी से महागठबंधन के कई नेताओं का चुनावी गणित गड़बड़ा गया है।

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