Uttarakhandजन संवाद
आया रे आया रे देखों उत्तराखण्ड में ठग आया रे
कालिया ठग ने बिछाया जल
एक ठग शिकारी ने उत्तराखंड में आकर अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया। पहाड़ो के परिंदों को मुफ्त का दाना खिलाने के लालच देकर फसाने का जाल । माना कि हमारे उत्तराखंडी सीधे है, विश्वसनीय है और हर किसी पर विस्वास भी कर लेते है लेकिन इतने भी नही कि शिकारी को न पहचाने। ठग भूल गया कि यह दिल्ली के दिलवाले नही जो किसी ठग को दिल दे बैठे। हम हर सौदागर को अच्छी तरह पहचानते है। अरे ठग सौदागर हमारे ही माल को हमे बेचकर हमे ठगना इतना आसान नही है। आप क्या दिल्ली से बिजली लेकर आओगे। हम तो स्वयं देश को बिजली का योगदान देते है। हम जो बिजली का उत्पादन करते है उसमें हमारे प्रदेश का ही धन ख़र्च होता है जिसे हम बिजली बिल के रूप में चुकाते है। यदि हम मुफ्त में बिजली का उपयोग करेंगे तो आपकी तरह हमारा प्रदेश भी कर्ज़ में डूब जाएगा जो बाद में हमे किसी न किसी रूप में ब्याज सहित भुगतान करना होगा। इसलिये हमे यह दाना डालने का प्रयास न करे। हम जैसे भी है खुश है। मुफ्त बाटने का शौक है तो अपनी कमाई की दौलत बाँटिये और आप आप करके हमारे भोले उत्तराखंड में घुसपैठ की कोशिश छोड़ दीजिए।
लेखकः-एल0एम0 शर्मा