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आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है:-डाॅ.रवि नंदन मिश्र

जय श्री मां दुर्गा.*
 *_इस वर्ष 11 जुलाई 2021, रविवार से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है। आषाढ़ नवरात्रि जून-जुलाई के महीने में आती हैं। आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। गुप्त नवरात्रि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में खास तौर पर मनाई जाती है।_*
 *_गुप्त नवरात्रि इस बार आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा रविवार, 11 जुलाई 2021 को शुरू होकर आषाढ़ शुक्ल नवमी, रविवार, 18 जुलाई 2021 तक गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।_*
  *_आषाढी गुप्त नवरात्रि पूजन के शुभ मुहूर्त-_*
  *_11 जुलाई, रविवार को गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना की जाएगी।_*
 *_घटस्थापना का शुभ समय-_*
*_लाभ और अमृत का चौघड़िया प्रातःकाल 9.08 मिनट से शुरू होकर 12.32 मिनट तक रहेगा।_*
 *_अभिजित मुहूर्त- दिन में 12.05 मिनट से 12.59 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में आषाढी गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना की जाएगी।_*
  *_गुप्त नवरात्रि पूजा विधि-_*
  *_सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।_*
  *_नवरात्रि की सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करें।_*
  *_पूजा की थाल सजाएं।_*
  *_मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं।_*
 *_मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।_*
  *_पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें।
   *_फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।_*
  *_नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
  *_अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।_*
  *_आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें, मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।_*
  *_कथा-
  *_गुप्त नवरात्रि से जुड़ी प्रामाणिक एवं प्राचीन कथा यह है। इस कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती। धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती।
  *_मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है।
  *_उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं।
  *_ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की। मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा। उसके घर में सुख-शांति आ गई। पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया। गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा।
.*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर (वाणिज्य विभाग)एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय*
*4.चाणक्य राजनीति मंच ,वाराणसी*
*5.शाकद्वीपीय परिवार ,सासाराम*
*6. शाकद्वीपीय  ब्राह्मण समाज,जोधपुर*
*7.अखंड शाकद्वीपीय एवं*
*8. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष – वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

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