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असम के लिए सीएए के नियम-कायदे बाकि देश से अलग सकते हैं, सरकार अब इसे लागू किये जाने के नियमों व कायदों को अंतिम रूप देने में जुटी

नई दिल्ली। गैर-भाजपा शासित राज्यों के विरोध बावजूद केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने की तैयारी में है। 10 जनवरी को सीएए की अधिसूचना जारी करने के बाद सरकार अब इसे लागू किये जाने के नियमों व कायदों को अंतिम रूप देने में जुटी है। असम के लिए नियम-कायदे बाकि देश से अलग हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इन नियमों और कायदों को फरवरी के पहले हफ्ते में अधिसूचित किया सकता है। वैसे 22 जनवरी को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन सरकार का मानना है कि संवैधानिक रूप से दुरूस्त यह कानून अदालत की कसौटी पर खरा उतरेगा।

असम- सीएए के लिए विशेष नियम-कायदे बनाने का सुझाव गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार असम सरकार की ओर से सीएए के लिए विशेष नियम-कायदे बनाने का सुझाव आया है। जिसमें इसे तीन महीने की अवधि में पूरा करना और असम में चले एनआरसी से जोड़ना शामिल है।

असम में सीएए और एनआरसी के लिए दस्तावेज एक जैसे होने चाहिए पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले असम के एक वरिष्ठ मंत्री के अनुसार चूंकि पिछले दिनों असम में एनआरसी की प्रक्रिया चली है, इसीलिए ऐसा नहीं हो सकता है कि 2014 के पहले राज्य में बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इसके लिए आवेदन नहीं किया हो। उनके अनुसार लोगों को सीएए के लिए भी वही दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जाएगा, जो उन्होंने एनआरसी के दौरान दिखाये थे। इनमें 2014 की मतदाता सूची भी अहम हो सकती है।

असम में बांग्लादेश से आए पांच लाख अल्पसंख्यक एनआरसी से बाहर हैं उन्होंने कहा कि असम में सीएए विरोधियों की ओर से जताई जा रही आशंका के विपरीत लगभग तीन लाख लोग ही इसके तहत भारत की नागरिकता के हकदार हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल बांग्लादेश से आए लगभग पांच लाख अल्पसंख्यक, जिनमें अधिकांश हिंदू हैं जो एनआरसी से बाहर हैं, लेकिन ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान इनमें से दो लाख लोग स्वत: ही एनआरसी में शामिल हो जाएंगे।

सीएए में असम के लिए विशेष प्रावधान करने पर विचार गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सीएए में असम के लिए विशेष प्रावधान करने के राज्य सरकार के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है। यही नहीं, गैर-भाजपा शासित राज्यों में बढ़ते विरोध राज्य विधानसभाओं में पारित प्रस्तावों का भी इसमें ध्यान रखा जा रहा है।

कुछ राज्यों के विरोध को देखते हुए आवेदन ऑनलाइन करने का होगा प्रावधान वैसे तो राज्य सरकारें सीएए को लागू करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं, लेकिन गृह मंत्रालय का मानना है कि इसके बावजूद इसे लागू करने में अड़चन डालने की कोशिश हो सकती है। इसे देखते हुए नागरिकता के लिए आवेदन को ऑनलाइन किया जाना तय माना जा रहा है। ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सीएए के तहत आवेदन करने में कोई दिक्कत नहीं हो।

सीएए के नियम-कायदे में वैकल्पिक व्यवस्था का उल्लेख हो सकता है एक बार आवेदन हो जाने के बाद उनके सत्यापन की जरूरत पड़ेगी, जो सामान्य रूप से जिलाधिकारी के माध्यम से होता रहा है। चूंकि जिलाधिकारी राज्य सरकार के मातहत काम करता है, इसीलिए सीएए के नियम-कायदे में वैकल्पिक व्यवस्था का भी उल्लेख हो सकता है।

सरकार की नजर सुप्रीम कोर्ट में सीएए पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है फिलहाल सरकार की नजर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीएए को लेकर हो रही सुनवाई पर भी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन सीएए का विरोध करने वाले सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई पूरी होने तक इसके लागू करने पर रोक लगाने की मांग सकते हैं।

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