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अखिल गढ़वाल सभा के कौथिग में कलाकारों ने दी चक्रव्यूह नाटक की सुंदर प्रस्तुति

देहरादून। अखिल गढ़वाल सभा देहरादून द्वारा आयोजित कौथिग (उत्तराखंड महोत्सव) सुबह के सत्र में लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र य हेमंवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं शैलनट श्रीनगर गढ़वाल की संयुक्त प्रस्तुति चक्रव्यूह नाटक की सुंदर प्रस्तुति की गई। इस नाटक की पटकथा डी आर पुरोहित, कृष्णानंद नौटियाल एवं सर्वेश्वर कांडपाल ने संयुक्त रूप से लिखी थी। नाटक को आधुनिक रूप देने के लिए संवादों की भाषा हिंदुस्तानी से गढ़वाली में भाव भंगिमाये पारसी से लोग शैली और वेशभूषा रामलीला से पांडव लीला में रूपांतरित की गई है. आज चक्रव्यू नाटक की प्रस्तुति के निर्देशक अभिषेक बहुगुणा, संगीत निर्देशक डॉ संजय पांडे और प्रस्तुति नियंत्रक पंकज नैथानी एवं मदनलाल डंगवाल है. इस चक्रव्यूह में अभिमन्यु एक पराक्रमी योद्धा की तरह लड़ता है. इस नाटक में उत्तराखंड राज्य के अतिरिक्त अन्य राज्यों के भी कई कलाकारों ने प्रतिभाग किया। आज सुबह के सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने कलाकारों का हौसला अफजाई किया। अपने उद्बोधन में राधा रतूड़ी ने कहा कि मैंने अपनी जीवन में आज तक इतनी सुंदर प्रस्तुति नहीं देखी यह नाटक अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। आज शाम के सत्र के शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सांसद नरेश बंसल एवं विधायक विकासनगर मुन्ना सिंह चौहान ने दीप प्रज्वलित करके किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में रोशन धस्माना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि गढ़वाल सभा द्वारा आयोजित कौथिग में संस्कृति के संरक्षण के लिए सभी कलाकारों का ध्यान रखते हुए हर तरह की प्रस्तुति करनी जरूरी है जिससे हमारी अपनी संस्कृति को समाज के सामने रूबरू करा सके. आज दो नाटक मुखजात्रा एवं नंदा की कथा की सुंदर प्रस्तुति की गई. मुखजात्रा नाटक की प्रस्तुति अखिल गढ़वाल सभा देहरादून एवं वातायन नाट्य संस्था की संयुक्त तत्वाधान में 60 दिनों की वर्कशॉप में तैयार करके मंचन किया गया, जिसके लेखक डॉक्टर सुनील कैंथोला और आलेख परिकल्पना एवं निर्देशन डॉ सुवण रावत द्वारा किया गया. भोलू भरदारी, नागेंद्र दत्त सकलानी के शहादत के बाद 3 दिन तक कीर्ति नगर से प्रारंभ हुई शव यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई रियासत के सैनिक आंदोलनकारियों के सम्मुख समर्पण करते चलें गए तदुपरांत प्रजामंडल की सरकार स्थापित हुई टिहरी रियासत का भारत में विलय 1 अगस्त 1949 में हुआ।
आज शाम की दूसरी प्रस्तुतिडॉ. नंद किशोर हटवाल द्वारा लिखित एवं डॉ. राकेश भट्ट द्वारा निर्देशित ‘नंदा की कथा’ गीत-नृत्य नाटिका का शानदार मंचन किया गया। गीत नृत्यनाटिका के माध्यम से नंदा का मिथक और नंदा का प्रचलित लोक विश्वास उत्तराखण्ड की लोक शैली में मंच पर जीवन्त हुआ। उत्तराखण्ड में नंदादेवी का मिथक बहुप्रचलित और लोकप्रिय है। यह लोकविश्वास यहां के लोकसाहित्य की अहम् विषयवस्तु है। लोककथाओं, गीतों-नृत्यगीतों, गाथाओं के साथ-साथ तीज-त्यौहारों, उत्सव-मेलों के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ हस्तान्तिरित होते हुए यह मिथक मौखिक रूप में यहां के ‘लोक’ में विद्यमान है। इस मिथक के रोचक और लोकप्रिय प्रसंगों का वर्णन बहुविध किया जाता रहा है जिसमें सर्वाधिक प्रचलित विधा है नंदा देवी के जागर। ‘नंदा की कथा’ गीत-नृत्य नाटिका नंदा के जागरों पर आधारित है। उत्तराखण्ड में जागर गायन की एक विशिष्ट शैली है। कई धुनो और तौर-तरीकों के साथ जागरों को प्रस्तुत किया जाता है। प्रस्तुत नाटक में जागर गायन की इन्हीं परम्परागत शैलियों और नृत्य भंगिमाओं का उपयोग बखूबी किया गया है। लोक संगीत और लोक वाद्ययंत्रों से सराबोर इस प्रस्तुति ने दर्शकों के दिलों में छाप छोड़ी। इस नाटिका के कलानिर्देशन, मंच सज्जा, वेशभूषा, वस्त्र विन्यास के साथ लोक की ताकत, जागरों की मधुर धुने, कलाकारों का नाटक में रचाव-बसाव, नाटकीयता के साथ कथारस, कथासूत्रों को जोड़ते हुए इसके मंचन ने इस नाट्य प्रस्तुति को प्रभावशाली बना दिया। पूरी प्रस्तुति के दौरान दर्शक मंत्रमुग्ध बैठे तालियों की गड़गड़ाहट से प्रस्तुति को सराहते रहे।
इस गीतनृत्य नाटिका के लेखक डॉ. नंद किशोर हटवाल ने शानदार तरीके से नंदा के पूरे मिथक को इस नाटिका में समेटा है। इस गीतनृत्य नाटिका के माध्यम से दर्शक नंदा के मिथक को वास्तविक रूप में समझ पाते हैं। नाटक के निर्देशक डॉ. राकेश भट्ट किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, वे लोकरंगमंच के मर्मज्ञ हैं और इस क्षेत्र का लम्बा अनुभव और समझ उनको विशिष्ट बनाती है। लोकगायकी हो या लोकनाट्य, अभिनय हो या निर्देशन उनके लोक की गहरी समझ की छाप उनके द्वारा निर्देशित प्रस्तुतियों पर स्पष्ट दिखती है। डॉ. भट्ट लोक नाट्यों के क्षेत्र में लम्बे समय से सक्रिय है। उनके निर्देशन में इस ‘नंदा की कथा’ नाटक की 200 से अधिक बार प्रस्तुत किया जा चुका है। वर्तमान में डॉ. राकेश भट्य दून यूनिवर्सिटी के उत्तराखण्ड भाषा लोककला एवं संस्कृति निष्पादन केन्द्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ब्लड कैंप का भी आयोजन सभा के संगठन सचिव डॉ सूर्य प्रकाश भट्ट के संयोजन में किया गया जिसमें 28 यूनिट ब्लड आई एम ए ब्लड बैंक की टीम द्वारा किया गया. ब्लड देने में युवा एवं युवतियों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना महासचिव गजेंद्र भंडारी उपाध्यक्ष, निर्मला बिष्ट सांस्कृतिक सचिव पंडित उदय शंकर भट्ट संगठन सचिव डॉ सूर्य प्रकाश भट्, अजय जोशी, वीरेंद्र असवाल, पंडित दामोदर प्रसाद सेमवाल, उदवीर सिंह पंवार, द्वारिका बिष्ट, मोहन खत्री महिपाल सिंह कंडारी आदि उपस्थित थे।

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