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अनुच्छेद 370 और 35ए हटने से कश्मीरी छात्रों में बड़ा उत्साह,बोले- खुलेंगे खुशहाली के द्वार, कुछ लोगों के कारण हमें बदनामी मिली

रोहतक । यहां पढ़ रहे कश्‍मीरी विद्यार्थी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटने से खुश हैं। उनका कहना है कि इससे जम्‍मू- कश्मीर में खुशहाली के द्वार खुलेंगे। अब युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भटकना नहीं पड़ेगा और राज्य में विकास हो सकेगा। उन्‍होंने कहा कि कुछ लोगों की वजह से कश्‍मीर की बदनामी हो रही है और वहां आतंकवाद का खेल चल रहा है। रोहतक में शिक्षा ग्रहण कर रहे कश्मीरी विद्यार्थियों ने कहा कि राज्‍य में अब गरीबी दूर हो सकेगी। ये विद्यार्थी हरियाणा के सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर से भी दिल्ली बाईपास स्थित सर्किट हाउस में मिले। विद्यार्थियों ने केंद्र सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि अब देश में दो झंडे नहीं, बल्कि एक झंडा रहेगा और इससे आतंकी घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा।  महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाए जाने का समर्थन किया। उन्‍हाेंने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वह अपने परिजनों से इसकी वजह से प्रदेश के लोगों को रहे नुकसान के बारे में सुनते आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुछ लोगों के चलते उन्हें भी बदनाम होना पड़ रहा था, लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम के बाद अब कश्‍मीर युवाओं पर आतंकी होने का धब्बा नहीं लगेगा।

5 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की तरह मनाने की अपील  एमडीयू में बीटेक तृतीय वर्ष के विद्यार्थी रजत शर्मा ने बताया कि परिजन बताते हैं कि कश्मीरी पंडितों को आनन-फानन में घरों से निकालकर बाहर कर दिया गया था। अब उन्हें वास्तविक न्याय मिल सका है। कश्मीर से आकर रोहतक शहर में बसे राकेश खुसू, लक्ष्मीनारायण रैना, सुधीर रैना व अशोक डार ने कहा कि सरकार के फैसले से खुशी है। वह सरकार से मांग करते हैं 5 अगस्त को प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस की भांति मनाया जाए। कश्मीर के रहने वाले लोगों के लिए यह दिन स्वतंत्रता से कम नहीं है।

हरियाणा में मिलता है बेहद प्यार  जम्मू के कठुआ जिले के उत्तरी गांव निवासी रजत शर्मा, जम्मू शहर निवासी पंकज, जम्मू के डोडा निवासी नीरज, जम्मू कश्मीर के त्रिंथा निवासी अनिकेत, भगवती नगर कालोनी निवासी कृष्णा सपरो, जम्मू के भिवानी नगर निवासी अक्षरा रैना, जानीपुरा निवासी शालिन भट्ट व बिपाशा भïट्ट ने बताया कि वे पढ़ने के लिए रोहतक आए तो यहां के लोगों को लेकर कई प्रकार के विचार मन में आ रहे थे। यहां आने के बाद पता भी नहीं चला कि तीन वर्ष का समय कब बीत गया। हरियाणा में उन्‍हें बेहद प्‍यार मिला।

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