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अनुच्छेद 370 हटने से मीरवाइज और उनके साथियों का एजेंडा हुआ बेनकाब, जानबूझकर जामा मस्जिद नहीं जा रहे मीरवाइज उमर फारूक

श्रीनगर।  एतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज-ए-जुमा पर कोई पाबंदी नहीं और न ही वहां जाने पर किसी पर रोक है। बावजूद इसके कश्मीर के प्रमुख मजहबी नेता और उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक कथित तौर पर मस्जिद में नमाज अदा करने से बच रहे हैं। दरअसल, बदले हालात और नए कश्मीर में मीरवाइज अपना अलगाववादी एजेंडा चलाने से कतारे रहे हैं। उन्हें डर है कि कोई भी भड़काऊ भाषण या एक भी गलती उन्हें जनसुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाकर राज्य से बाहर किसी जेल में भिजवा सकती है। इसके साथ मीरवाइज लोगों का सामना करने से भी बच रहे हैं। यही कारण है कि प्रशासन से अनुमति के बावजूद मीरवाइज जामिया मस्जिद नहीं जा रहे हैं। श्रीनगर के डाउन-टाउन में नौहट्टा स्थित एतिहासिक जामिया मस्जिद कश्मीर घाटी की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिद है। मीरवाइज मौलवी उमर फारूक इस मस्जिद के प्रमुख हैं। कश्मीर में अधिकांश लोग उन्हें अपना मजहबी नेता भी मानते हैं। डाउन-टाउन को अलगाववादियों का गढ़ भी माना जाता है और इसी मस्जिद के बाहर पांच अगस्त से पहले हर शुक्रवार को नमाज-ए-जुमा के बाद हिंसक प्रदर्शन होते थे। पाकिस्तान समर्थकों की भीड़ आतंकी कमांडरों के पोस्टर, पाकिस्तान के ध्वज लहराती हुई नारेबाजी करती थी। मीरवाइज भी शुक्रवार को इसी मस्जिद से अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाला भाषण देते थे।

भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे अलगाववादी  पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के मद्देनजर प्रशासन ने एहतियातन विभिन्न नेताओं व अलगाववादियों को हिरासत में लेने या नजरबंद बनाने के अलावा निषेधाज्ञा लागू कर दी थी। हालात में बेहतरी पर अगस्त के दूसरे पखवाड़े में ही प्रशासन ने पाबंदियों को हटाना शुरू कर दिया। अलबत्ता, जामिया मस्जिद में नमाज नहीं हो रही है। पांच अगस्त के बाद से लगातार 17 शुक्रवार को जामिया में नमाज नहीं हुई है, जिसे लेकर अलगाववादी और राष्ट्रविरोधी तत्व भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि सुरक्षाबल लोगों को मस्जिद में नमाज अदा नहीं करने दे रहे हैं। मीरवाइज को भी नमाज के लिए घर से बाहर नहीं आने दिया जाता।

साजिश का हिस्सा है मस्जिद में न आना  राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशासन की तरफ से जामिया मस्जिद में नमाज पर बीते एक माह के दौरान किसी भी तरह की पाबंदी नहीं रही है। अलबत्ता, शरारती तत्वों को रोकने के लिए मस्जिद के आस-पास सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त रहता है। करीब एक पखवाड़ा पहले भी प्रशासन ने मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को संदेश भेजकर पूछा था कि जामिया मस्जिद में शुक्रवार को नमाज-ए-जुमा क्यों नहीं हो रही है, जबकि उन्हें इसकी अनुमति है। मीरवाइज ने कथित तौर पर बताया कि वह अस्वस्थ हैं। अलबत्ता, सूत्रों ने बताया कि मीरवाइज पूरी तरह स्वस्थ हैं। वह नहीं चाहते कि उन्हें किसी तरह से आम लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़े। इसलिए वह चाहते हैं कि उनहें ज्यादा से ज्यादा समय तक घर में ही नजरबंद रखा जाए। इसके साथ ही उन्होंने जामिया मस्जिद प्रबंधन से जुड़े लोगों से कहा है कि जहां तक हो जामिया में नमाज की बहाली को टाला जाए, ताकि यह बताया जा सके कि हालात ठीक नहीं।

बेनकाब हो चुका एजेंडा  कश्मीर के एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपना नाम न छापने पर कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाते हुए जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किया है, उससे मीरवाइज और उनके साथियों का एजेंडा बेनकाब हो चुका है। इन लोगों ने आजादी के नाम पर यहां सैकड़ों लड़कों को बंदूक उठाकर मौत के रास्ते पर धकेला है और खुद आरामदायक जिंदगी का मजा लिया। लोगों में इनके प्रति गुस्सा है। मीरवाइज जानते हैं कि अगर वह नमाज के लिए मस्जिद पहुंचेंगे तो वहां अपने खुतबे में अगर कश्मीर का जिक्र नहीं करेंगे तो उनके समर्थक ही उनके खिलाफ नारा लगाएंगे। अगर वह अलगाववादी एजेंड की बात करेंगे तो सीधे जेल जाएंगे। ऐसे में खामोश रहने में ही उनकी भलाई है।

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