अमित शाह नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में कल करेंगे पेश,वहीं कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने इसके विरोध की ताल ठोक दी
नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को पेश होने जा रहे नागरिकता संशोधन विधेयक पर राजनीतिक खेमेबंदी की तस्वीर साफ हो गई है। घटक और बीजेडी जैसे मित्र दलों के समर्थन के बूते एनडीए सरकार ने बिल को पारित कराने की तैयारी कर ली है। वहीं कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने भी नागरिकता संशोधन बिल के वर्तमान स्वरुप को देश के लिए खतरनाक बताते हुई इसके विरोध की ताल ठोक दी है।
सोनिया ने संसद में बिल का विरोध करने की ठानी पार्टी रणनीतिकारों के साथ हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरी ताकत से संसद में इस बिल का विरोध करने की नीति पर मुहर लगा दी।
बिल पर लोकसभा में सियासी संग्राम तय जबकि लोकसभा की सोमवार की कार्यसूची में गृहमंत्री अमित शाह के विधेयक पेश करने की तैयारी का खुलासा कर सरकार ने अपने इरादे भी साफ कर दिए हैं। सरकार और विपक्ष के बीच नागरिकता विधेयक पर आर-पार की इस जंग को देखते हुए लोकसभा में सोमवार को सियासी संग्राम लगभग तय माना जा रहा है।
यदि यह बिल पारित हो गया तो गांधी के विचारों पर जिन्ना के विचारों की जीत होगी- थरूर सरकार और विपक्ष के बीच संसद में दिखने वाली इस जंग की झलक रविवार को दोनों पक्षों की ओर से आए बयानों में साफ दिखी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल के प्रावधानों का विरोध करते हुए यहां तक कह दिया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक मौजूदा स्वरुप में पारित हो गया तो यह गांधी के विचारों पर जिन्ना के विचारों की जीत होगी।
धर्म के आधार पर नागरिकता देना गलत थरूर ने यह भी कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू करने का मतलब होगा कि भारत पाकिस्तान का हिंदूवादी संस्करण बन जाएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि वास्तव में भाजपा सरकार एक समुदाय को निशाना बना रही है।
भारतीय संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल में सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न के शिकार होकर आने वाले गैर-इस्लामिक धर्मावलंबियों हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और इसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया है। इसमें मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों का कहना है कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर इस तरह के भेदभाव की इजाजत नहीं देता।
उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों के लिए भारत के दरवाजे खुले- भाजपा वहीं भाजपा नेता राम माधव ने तीन देशों के उत्पीडि़त गैर-मुस्लिम धर्मावलंबियों को नागरिकता देने संबंधी सरकार के प्रस्ताव को पूरी तरह जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों के लिए भारत ने अपना दरवाजा हमेशा खोले रखा है। इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम छह समुदायों के हिंसा और उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता देने का सरकार का कदम सही है।
उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण और नागरिकता देना भारत का कर्तव्य राम माधव कहा कि 1950 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने भी ऐसा ही एक विधेयक पारित किया था। इसमें पाकिस्तान जिसमें तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान शामिल था के शरणार्थियों को साफ तौर पर बाहर रखा गया था। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर देश के बंटवारे के बाद इन देशों में उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण और नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है।
कांग्रेस धार्मिक आधार पर भेदभाव के प्रावधान के खिलाफ नागरिकता विधेयक पर सरकार को बैकफुट पर धकेलने के विपक्ष के प्रयासों को गति देने के लिए सोनिया गांधी ने रविवार को दस जनपथ पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और रणनीतिकारों से चर्चा की। इसमें तय हुआ कि पार्टी संसद में यह साफ करेगी कि वह बिल का नहीं बल्कि इसमें धार्मिक आधार पर भेदभाव के प्रावधान के खिलाफ है।
कांग्रेस बिल के विवादित प्रावधान में संशोधन भी पेश करेगी कांग्रेस ने अपने सांसदों को विधेयक के दौरान दोनों सदनों में उपस्थिति सुनिश्चित रखने को भी कहा है। कांग्रेस की ओर से विधेयक के विवादित प्रावधान में संशोधन भी पेश किए जाएंगे।
माकपा संसद में बिल का करेगी विरोध माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी साफ कर दिया है कि उनकी ओर से बिल के धार्मिक भेदभाव वाले प्रावधान को हटाने के लिए संशोधन दिया जाएगा और पार्टी विधेयक का विरोध करेगी।
एनडीए का लोकसभा में बहुमत को देखते हुए विधेयक का पारित होना तय हालांकि लोकसभा में एनडीए और उसके समर्थक दलों के पास करीब दो तिहाई बहुमत को देखते हुए विधेयक का पारित होना लगभग तय है।
कांग्रेस और विपक्षी दल राज्यसभा में संख्या बल जुटाकर बिल को समिति में भेजने की करेगी कोशिश इसीलिए कांग्रेस और विपक्षी दल राज्यसभा में संख्या बल जुटाकर नागरिकता बिल को प्रवर समिति में भेजने की कोशिशों में जुटे हैं। कांग्रेस और वामदलों के अलावा तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा, राजद, द्रमुक, एनसीपी समेत कुछ दूसरी छोटी पार्टियां विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही हैं।
बीजद समेत कई गैर-एनडीए दल सरकार के साथ मगर एनडीए के अलावा बीजद, अन्नाद्रमुक, वाइएसआर कांग्रेस और टीआरएस अब तक जिस तरह से सरकार के साथ रहे हैं उसमें राज्यसभा में भी विपक्ष के लिए नागरिकता विधेयक को रोकना कठिन काम तो है ही।