आखिर इस समुद्री इलाके का चीन-भारत-अमेरिका के लिए क्या है सामरकि महत्व,किस तरह से चीन भारत को चारोें ओर से घेरने की कर रहा तैयारी
वाशिंगटन। भारत और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के बीच एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़ी समुद्री सुरक्षा एवं उसके उपायों पर अपने-अपने विचार साझा करेंगे। अमेरिकी विदेश विभाग ने यह जानकारी देते हुए कहा कि दो दिवसीय वार्ता का मकसद दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को और बढ़ाना है। भले ही वार्ता सचिव स्तर की हो, लेकिन भारत और अमेरिका के लिए यह बेहद संवेदनशील मामला है। सामरिक लिहाज से यह पूरा समुद्री इलाका बेहद अहम है। इसलिए इस समुद्री क्षेत्र पर चीन की भी पैनी नजर रहती है। दोनों देशों की वार्ता पर ड्रैगन की पैनी नजर होगी, क्योंकि यह इलाका सामरिक लिहाज से चीन के लिए काफी उपयोगी है। आखिर इस समुद्री इलाके का क्या है सामरकि महत्व। किस तरह से चीन, भारत को चारों तरफ से घेर रहा है। आदि-आदि। दक्षिण और मध्य एशियाई मामले के लिए सहायक सचिव एलिस वेन्स और एशियाई प्रशांत क्षेत्र मामलों के रक्षा सचिव के सहायक रान्डेल अपने भारतीय समकक्ष के साथ वर्ता कर रहे हैं। विदेश विभाग ने कहा कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए यह वार्ता काफी अहम है। एशिया प्रशांत एवं हिंद महासागर में चीन की दिलचस्पी को देखते हुए यह बैठक अहम मानी जा रही है। जिस तरह से इस समुद्री इलाके में चीन का दखल बढ़ रहा है, उससे यहां सामरिक संतुलन काे खतरा उत्पन्न हो गया है।
भारतीय नेवी चीफ ने कहा कि चीन का दखल खतरे की घंटी गत माह हिंद महासागर में चीन की नौसेना के बढ़ते दखल पर भारतीय नौसेना ने भी चिंता जाहिर की थी। भारतीय नेवी चीफ ऐडमिरल करमबीर सिंह ने कहा था कि अब भारतीय सेनाओं को चनी को जवाब देने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नेवी इकाई को अत्याधुनिक हथियार एवं संसाधन भेजे हैं। चीन के इस प्लान से भारत को सतर्क हो जाना चाहिए। जुलाई में चीन ने अपने सैन्य विकास के लिए एक श्वेत पत्र जारी किया था। नेवी चीफ ने इसे भारत के लिए खतरे की घंटी करार दिया था।
श्रीलंका पर प्रभुत्व कायम करने की पहल चीन बहुत सोची समझी रणनीति के तहत इस इलाके में अपना प्रभुत्व कायम कर रहा है। इस क्रम में उसने द्वीपीय देशों के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में जुटा है। हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए उसने श्रीलंका को एक युद्ध पोत गिफ्ट कर उसे अपने करीब लाने की पहल वह कर चुका है। इसी तरह से श्रीलंका में रेल के डिब्बे और इंजन बनाने की कंपनी बनाने की घोषणा करके अपनी नीति को आगे बढ़ा रहा है।
श्रीलंका पर भारी कर्ज थोपने के बाद चीन ने वर्ष 2017 में उसका हंबनटोटा पोर्ट का अधिग्रहण कर लिया। उसके बाद से ही उसकी नजर इस क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने पर है। चीन लगातार हिंद महासागर में नौसेना मौजूदगी बढ़ा रहा है। श्रीलंका के जिबूती में एक बेस तैयार कर चुका है। इसे चीन अपना लॉजिस्टिक्स बेस बताता है।
पाकिस्तान से गाढ़ी दोस्ती भारत के लिए खतरा पाकिस्तान में चीन का बढ़ता हस्तेक्षप भी भारत के लिए खतरे की घंटी है। कराची में नौसैनिक टर्नअराउंड सुविधाएं जारी रखने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना के घुसपैठ को नजरअंदाज करना भारत के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है। इस क्षेत्र में चीन ने अपने छह से आठ युद्धपोत लगा रखे हैं। इस तरह से चीन ने हाल ही में म्यामांर में बंगाल की खाड़ी पर बंदरगाह निर्माण करने के लिए बड़ा निवेश कर रहा है। सामरिक दृष्टि से यह इलाका बेहद अहम है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व कायम कर वह भारत को घेरने की तैयारी में है।