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अखिल भारतीय संत समिति ने कश्मीर घाटी में नब्बे के दशक में तोड़े गये मंदिरों के पुनर्निर्माण की उठायी मांग

नई दिल्ली । सविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को हासिल विशेष दर्जा समाप्त करने के मोदी सरकार के कदम का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय संत समिति ने कश्मीर घाटी में नब्बे के दशक में तोड़े गये मंदिरों के पुनर्निर्माण की मांग की है। इन मंदिरों का निर्माण किस तरह किया जाए, इसकी रणनीति बनाने के लिए समिति शुक्रवार को दिल्ली में बैठक करने जा रही है। इस बैठक में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में भी चर्चा की जाएगी।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने पत्रकारों से कहा कि 10 अगस्त को दिल्ली में देश के शीर्ष संतों की बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें अनुच्छेद 370 समाप्त करने के लिए सरकार के आभार और श्रीराम जन्मभूमि के प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई का स्वागत करते हुए हिन्दू समाज के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इसमें दस विषयों पर चर्चा होगी जिसमें जम्मू कश्मीर में तोड़े गये मंदिरों के पुनर्निर्माण का मुद्दा भी शामिल है। सरस्वती ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में 90 के दशक में 435 मंदिर तोड़े गये। हम इस बैठक में इन मंदिरों के पुनर्निर्माण की रणनीति पर चर्चा करेंगे।’ उन्होंने कहा कि तत्कालीन राज्य सरकार के कानून व्यवस्था संभालने में विफल रहने के चलते मंदिर तोड़े गये, इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इन मंदिरों को तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इनके निर्माण में सहयोग करे। सरस्वती ने कहा कि शुक्रवार को होने वाली संत समाज की बैठक में 70 से अधिक शीर्ष संत भाग लेंगे और पाक अधिकृत कश्मीर स्थित शारदा पीठ से लायी गयी मिट्टी से संतों का तिलक किया जाएगा।सरस्वती के साथ-साथ विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी पत्रकार वार्ता में मौजूद थे। सरस्वती ने कहा कि बैठक में जिन दस विषयों पर चर्चा की जाएगी उसमें श्रीराम जन्म भूमि और सबरीमाला के विषय के अलावा रामसेतु को बचाने के लिए किये गये उपाय, मठ मंदिरों की व्यवस्था में सरकारों का अवांछित हस्तक्षेप और धर्मातरण रोकने के लिए कानून पर चर्चा भी शामिल हैं। साथ ही अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने और गंगा नदी के सरंक्षण के लिए कानून बनाने के विषय पर भी चर्चा की जाएगी।

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