विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटालों में सरकार को पुनः नोटिस
नैनीताल। विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को पुनः नोटिस देकर जल्द जवाब मांगा है।
उत्तराखंड में विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता के विषय में देहरादून निवासी कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस विषय पर विधानसभा ने एक जाँच समिति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया, किंतु यह घोटाला राज्य 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था जिसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है। इस याचिका का हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया और 30 नवम्बर 2022 को सरकार को 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए पर और विधानसभा ने अपना जवाब हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण है कि 6 महीने बीत जाने के बाद भी प्रदेश सरकार ने अभी तक न्यायलय को कोई जवाब नहीं दिया है। याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 2003 शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है। उल्लेखनीय है की भाजपा के पूर्व सांसद, पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवत्तफा डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर, व अपने सोशल एकाऊंट से ट्वीट कर विधानसभा से निलंबित 228 कर्मचारियों के पुनः बहाली हेतु आग्रह किया। इससे उत्तराखंड के युवाओं के हितों एवं हक-हकूक की रक्षा हेतु याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने पुरजोर विरोध भी किया है। उल्लेखनीय है कि जिस मुख्यमंत्री को डॉ स्वामी ने पत्र लिखा है उनके अपने रिश्तेदार इन बर्खास्त 228 कर्मचारियों में से है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की रिश्तेदार एकांकी धामी सहित 72 लोगों को मुख्यमंत्री धामी द्वारा अपने सर्वोच्च विशेषाधिकार विचलन का दुरुपयोग कर 2022 में नियुत्ति प्रदान की गई थी, जिसमें तत्कालीन स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल आदि के रिश्तेदारों को भी नियुक्ति प्रदान की गयी है। जनहित याचिका के हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायाधीश राकेश थपलियाल युगल पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा का जवाब आ चुका है किंतु प्रदेश सरकार ने 6 महीने से जवाब दाखिल नही किया अतः सरकार को पुनः नोटिस जारी कर हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया। अगली सुनवाई की तिथि 30 जून को तय की गई है।