नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर शिक्षाविदों ने किया विचार मंथन
देहरादून। भारतीय शिक्षण मंडल, उत्तराखंड के कार्यकारणी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विचार मंथन किया गया। जिसमें अतिथि वक्ता शंकरानंद जी, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल उपस्थित रहे। बैठक का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया।
वक्ता शंकरानंद ने अपने सम्बोधन में कहा की नयी शिक्षा नीति की शुरुवात देव भूमि एवं मां गंगोत्री के उद्गम वाले प्रदेश उत्तराखंड में समय से प्रभावी होनी चाहि। उन्होंने कहाँ कि भारत वर्ष ने विश्व में नंबर एक शक्ति बनने के बारे में कभी नहीं सोचा, बल्कि हमारे बुद्धिजीविओं ने भारत को विषय गुरु बनाने के बारे में ही सोचा। उन्होंने बताया कि विश्व के बहुत से देश सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट की नीति पर चल कर एवं महत्वाकांक्षा की पूर्ती के लिए विश्व भर में रक्तपात के लिए जिम्मेदार रहे है और आगे भी यही नीति चल रही हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आज वर्षो के बाद एक बहुत ही उपयोगी और आधुनिक मूल्यों के निर्माण के लिए प्रभावी शिक्षा नीति बनी हैं। नयी शिक्षा नीति को देश के बहुत अनुभवी शिक्षा विदों और अन्य योजनाकारों ने बड़े मंथन के बाद बनाई गयी हैं, और अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए देश के सभी शिक्षकों, प्रशिक्षकों सहित स्कूल, कॉलेजों और विश्वविद्यालय के समस्त लोगों की बड़ी जिम्मेदारी है। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी तौर पर कार्यान्वयन के लिए योजना पर चर्चा की गयी। जिसमें उत्तराखंड प्रान्त के समस्त स्कूल, कॉलेजों और विश्विद्यालयों में सेमिनार व वेबीनार आयोजित किया जाने हेतु रूपरेखा तैयार की गयी। साथ ही चर्चा की गयी कि नयी शिक्षा नीति की सही व्याख्या और अर्थ समझना प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बहुत जरूरी है। नयी शिक्षा नीति के प्रभावी तौर पर क्रियान्वयन से देश में सही शिक्षा और प्रशिक्षण के साथ-साथ सच्चे मूल्यों का भी विकास होगा। नयी शिक्षा नीति के तहत बहु-विषयक शिक्षा से देश के सभी समाज के लोगों में भारत वर्ष को विश्व गुरु बनाने की सोच के विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों से देश के समग्र विकास में योगदान की समझ का विकास होगा। और यह सभ से ही देश आत्मनिर्भर राष्ट्र की और तेजी से अग्रसर होगा।