अब शराब पीकर या फिर मोबाइल से बात करते समय ड्राइविंग करना पड़ सकता है मंहगा
नई दिल्ली । अब शराब पीकर या फिर मोबाइल से बात करते समय ड्राइविंग करना आपके लिए महंगा साबित हो सकता है। सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए सरकार अब सख्त कदम उठाने जा रही है। इसके अलावा परिवहन और यातायात विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को राेकने के लिए कई कदम उठाने की योजना है। इस बावत मोटर यान (संशोधन) विधेयक 2017 में तमाम उपाय किए गए हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद ये विधेयक दोनों सदनाें में पारित हो चुका है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून अमल में आ जाएगा। आइए जानते हैं कि आखिर इस विधेयक में क्या खास।
शराब पीकर वाहन चलाने पर 10 हजार का जुर्माना नए कानून में शराब पीकर वाहन चलाने पर दो हजार रुपये की जुर्माना राशि को बढ़ाते हुए इसे दस हजार रुपये कर दिया गया है। वहीं मोबाइल फोन पर बात करने पर एक हजार की जगह पांच हजार का जुर्माना देना होगा। बिना लाइंसेंस वाहन चलाने पर पांच सौ की जगह पांच हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। इसके अलावा रेड लाइट जंप करना या सीट बेल्ट नहीं बांधने पर एक हजार का जुर्माना देना होगा। मोटर साइकिल पर बिना हेल्मेट पहने पकड़े गए तो एक हजार रुपये भरने होंगे। इतना ही नहीं नाबालिग के वाहन चलाने पर उसके अभिभावक को 25 हजार रुपये का दंड देना होगा। इसके अलावा तीन साल की सजा का भी प्रावधान है। पीड़ित की मौत की स्थिति में अब दस गुना क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है। सभी अपराधों में जुर्माने की राशि में हर साल दस फीसद का इजाफा किया जाएगा। सड़क दुर्घटना में मौत मामले में वाहन चालक को दो साल की जगह सात साल की सजा होगी। जबकि, हिट एडं रन मामले में जुर्माने की राशि 25 हजार से बढ़ाकर दो लाख रुपये की होगी।
सड़क हादसों में प्रतिवर्ष लाखों लोग हो रहे मौत का शिकार देश में प्रतिवर्ष होने वाली सड़क दुर्घटनाएं सरकार और आमजन के लिए चिंता का विषय है। यह दुर्घटनाएं राजमार्गों पर अधिक हो रही हैं। यदि तीन वर्षों के सड़क हादसों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2015 में पांच लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इसमें एक लाख 46 हजार लोग मौत के शिकार हुए। वर्ष 2016 में चार लाख 80 हजार सड़क दुर्घटनाएं हुईं, इसमें एक लाख 50 हजार लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह से वर्ष 2017 में चार लाख 60 हजार घटनाएं हुईं, इसमें एक लाख 46 हजार लोग बेवजह मौत के शिकार हुए। खास बात यह है कि इन दुर्घटनाओं का शिकार अधिकतर युवा हैं। मरने वालों में 18 साल से 45 की उम्र तक के लोग हैं। आंकड़ों से साफ कि युवा पीढ़ी इसका सबसे ज्याद शिकार हो रही है। सर्वाधिक मौते दो पहिया वाहन चालकों की हाेती है। इस मौत के पीछे सबसे बड़ी वजह शराब पीकर वाहन चलाने और हेल्मेट का उपयोग नहीं करना बताया गया है।
संयुक्त राष्ट्र की चिंता संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2020 तक दुनियाभर में हो रही सड़क दुघर्टनओं में 50 फीसद तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए वर्ष 2011 से 2020 को सड़क सुरक्षा के लिए कार्रवाई दशक के रूप में अपनाया गया है। शहरीकरण और यातायात में वाहनों का भारी इजाफा इसके लिए बड़ा कारण बताया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सड़क संघ का दावा है कि दुनियाभर में हर साल करीब 12 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। इस मौत का सीधा असर 50 लाख लोगों पर पड़ता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन इन सड़क हादसों पर विश्व स्वास्थ संगठन ने भी चिंता जताई है। संगठन का कहना है अगर इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो 2020 तक सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 19 लाख से ज्यादा होगी। संगठन का दावा है कि 78 फीसद सड़क हादसों में गलती वाहन चालकों की गलती से होती है। अब तक दुनिया के 28 मुल्कों में ही यातायात उल्लंघन के लिए सख्त कानून है। इन 28 मुल्कों की आबादी दुनिया की सात फीसद ही है।