National

आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) का एक दस्ता घाटी पहुंचा

श्रीनगर । कश्मीर घाटी में आतंकरोधी अभियानों में आवश्यकता अनुरूप सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) का एक दस्ता घाटी पहुंच चुका है। यह दस्ता बीते एक पखवाड़े से श्रीनगर एयरपोर्ट के पास सीमा सुरक्षाबल के एक प्रशिक्षण केंद्र में पुलिस, सीआरपीएफ और बीएसएफ से चुने गए जवानों के साथ आतंकरोधी अभियानों के अभ्यास में जुटा हुआ है। एनएसजी को जम्मू कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों के लिए तैनात करने की योजना गत वर्ष बनी थी और इस प्रस्ताव पर औपचारिक मुहर गत मई माह के दौरान ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लगाई है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एनएसजी कमांडो का दस्ता पूरी तरह जम्मू कश्मीर पुलिस के अधीन रहेगा, क्योंकि आतंकरोधी अभियानों के संचालन की नोडल संस्था राज्य पुलिस ही है। स्थानीय हालात से अवगत होने और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के तौर तरीकों को समझने के बाद ही यह दस्ता सक्रिय रूप से आतंकरोधी अभियानों में शामिल होगा।जम्मू कश्मीर में एनएसजी के कमांडो 1990 के दशक में भी आतंकरोधी अभियानों के लिए आ चुके हैं, लेकिन एनएसजी को राज्य में आतंकरोधी अभियानों के लिए स्थायी तौर पर पहली बार तैनात किया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एनएसजी कमांडो हाउस इंटरवेंशन और एंटी हाईजैकिंग में विशेषज्ञ माने जाते हैं। इसलिए इन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट के पास ही रख जा रहा है।

अत्याधुनिक हथियारों से लैस  श्रीनगर में आए एनएसजी कमांडो अत्याधुनिक हैकलर, कोच एमपी-5 सब मशीनगन, स्नाइपर राइफलों और दिवार के आरपार देखने वाले राडार और सी-4 विस्फोट से लैस हैं।

विशेष ऑपरेशन में लेंगे हिस्सा  एनएसजी कमांडो को हर आतंकरोधी अभियान का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इन्हें विशेष परिस्थितियों में ही शामिल किया जाएगा। विशेषकर जब किसी बड़ी इमारत में आतंकी घुसे हों या आबादी वाले इलाके में कोई ऑपरेशन करना हो।

ब्लू स्टार के बाद हुआ था एनएसजी का गठन  एनएसजी का गठन 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद हुआ था। गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हुए आतंकी हमले के अलावा मुंबई हमलों और पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के समय भी एनएसजी कमांडो की सेवाएं ली गई थीं। मौजूदा समय में एनएसजी में 7500 अधिकारी और जवान हैं।

संरा मानवाधिकार परिषद में कश्मीर पर अकेला पड़ा पाक   संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान एक बार फिर अलग-थलग पड़ गया है। मानवाधिकार उच्चायुक्त जेड राद अल हुसैन की कश्मीर रिपोर्ट को छह देशों ने खारिज कर दिया है। इन देशों में भूटान, अफगानिस्तान, मॉरीशस, बेलारूस, क्यूबा और वेनेजुएला शामिल हैं। खास बात यह है कि मौजूदा समय में पाकिस्तान बतौर सदस्य मानवाधिकार परिषद में शामिल है। दूसरी तरफ भारत 2020 तक के लिए इससे बाहर है। इसके बावजूद पाकिस्तान एक भी सदस्य देश का समर्थन जुटाने में नाकाम रहा।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, जेनेवा में दुनियाभर में मानवाधिकार की स्थिति पर बहस के दौरान कश्मीर का मामला उठा। उच्चायुक्त की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान इस्लामी सहयोग संगठन की ओर से पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि फारूक अमील को बोलने का मौका मिला। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति बहुत गंभीर है। राज्य में मानवाधिकार उल्लंघन की जांच करने के लिए आयोग गठित करने की भी मांग की। लेकिन, एक भी देश ने न तो पाकिस्तान और न ही कश्मीर रिपोर्ट का समर्थन किया। उलटे कई देशों ने रिपोर्ट पेश करने के समय और इसके तथ्यों पर सवाल खड़े किए।

दुनियाभर में मानवाधिकार की निगरानी करने वाली इस संस्था पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। दो दिन पहले ही अमेरिका इस पर बेशर्म और पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए इससे बाहर होने का एलान कर चुका है।

इस आधार पर रिपोर्ट खारिज
-सदस्य देशों ने कहा कि यह रिपोर्ट दूर बैठे-बैठे और बगैर तथ्यों की पड़ताल किए बनाई गई है।
-इस देशों का कहना था कि यह मीडिया रिपोर्टो पर आधारित है और इसमें पक्षपात की भरमार है।
-भूटान के प्रतिनिधि किंगा सिंग्ये ने तर्क दिया कि इसमें आतंकवाद के मुद्दे को छुआ तक नहीं गया है।
-रिपोर्ट में जमीनी हकीकत का अभाव है। उन्होंने इसके आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा।
-मॉरीशस ने आकलन के तरीके पर सवाल उठाया और कहा कि कश्मीर में तीसरे पक्ष का दखल गैरजरूरी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button