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आसाराम का खेल हुआ खत्म, मिली उम्रकैद की सजा

 

               जानिए आखिर कैसे थाउमल हरपलानी बन गया आसाराम और देखते ही देखते खड़ा कर दिया अपना साम्राज्य

नई दिल्‍ली । जोधपुर की कोर्ट ने आश्रम में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी करार दिए गए आसाराम को उम्रकैद की और अन्य दो दोषियों को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई गई है। जोधपुर कोर्ट में आज इस मामले में आसाराम समेत 3 लोगों को दोषी करार दिया गया और दो आरोपियों को बरी कर दिया गया।जिस मामले में आसाराम को दोषी ठहराया गया है वह मामला 2013 का है। 31 अगस्‍त 2013 को आसाराम को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जोधपुर कोर्ट के फैसले से बौखलाकर कहीं आसाराम समर्थक उपद्रव न करें, इसके लिए कई राज्यों सुरक्षा व्‍यवस्‍था के कड़े उपाय किए गए थे। बहरहाल, जिस आसाराम का जिक्र पिछले पांच वर्षों में बार-बार होता रहा है वह आखिर आया कहां, आखिर कौन है ये आसाराम और क्‍या है इसका असली नाम। ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो आपके जहन में भी कई बार उठे होंगे, लेकिन आपको इनका जवाब नहीं मिला होगा। आज हम आपको इन सवालों का जवाब देंगे।

आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी  है   स्‍वयंभू घोषित आध्‍यात्मिक गुरु आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी है। वह मूल रूप से पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत से ताल्‍लुक रखता है। जिस वक्‍त देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्‍तान एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र के तौर पर सामने आया उस वक्‍त उसका परिवार वहां से भारत में गुजरात आ गया था। यहां पर उसके परिवार ने अहमदाबाद को अपना नया घर बनाया। कहा तो ये भी जाता है कि आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे।

तीसरी तक की है पढ़ाई  आसाराम ने अपनी बायोग्राफी में तीसरी क्‍लास तक पढ़ाई करने की बात कही है। आधयात्मिक गुरू बनने से पहले उसने जीवनयापन के लिए कभी तांगा चलाया तो कभी चाय बेची। 15 वर्ष की आयु में उसने अपना घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच स्थित एक आश्रम में आ गया। यहां से ही उसका दूसरा जीवन शुरू हुआ। यहां पर उसने आध्यात्मिक गुरु लीलाशाह नाम से दीक्षा ली। कहा जाता है कि इससे पहले उसने साधना भी की। दीक्षा के बाद लीलाशाह ने ही उसका नाम आसाराम बापू रखा था।

अहमदाबाद में खोला पहला आश्रम  1973 में आसाराम ने अहमदाबाद के मोटेरा गांव में अपना पहला आश्रम खोला और ट्रस्‍ट की स्‍थापना की। धीरे-धीरे आसाराम का प्रभाव और दायरा बढ़ता चला गया और उसका साम्राज्‍य भी कई दूसरे राज्‍यों में फैल गया। 1973 से 2001 तक उसने कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए। एक समय था जब आसाराम की तूती राजनीतिक पार्टियों में भी खूब बजती थी। इतना ही नहीं उसके दर पर राजनीतिक लोगों का आना जाना भी लगा रहता था।

दुष्‍कर्म से लेकर हत्‍या तक के आरोप  1997 से 2008 के बीच उस पर दुष्‍कर्म समेत जमीन हड़पने और हत्या जैसे कई आरोप भी लगे। इसके अलावा 2008 में आसाराम के स्कूल में हुई एक बच्‍चे की मौत पर काफी बवाल भी मचा था। उस वक्‍त भी आसाराम पर कई तरह के आरोप लगे थे। अगस्त 2013 में यूपी के शाहजहांपुर की एक नाबालिग ने आसाराम पर उसके साथ दुष्‍कर्म करने का आरोप लगाया। नाबालिग के मुताबिक आसाराम ने दुष्‍कर्म को जोधपुर के आश्रम में अंजाम दिया था। इस मामले में दिल्ली में मामला दर्ज कराया गया।

इंदौर आश्रम से गिरफ्तार किया गया  शुरुआत में आसाराम को पूछताछ के लिए कई बार बुलाया गया लेकिन हर बार उसने इससे इनकार कर दिया। उसके खिलाफ फिर गैर जमानती वारंट जारी किया गया। 31 अगस्‍त 2013 को आसाराम को उसके इंदौर आश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ धारा 342, 376, 506 और 509 के तहत केस दर्ज हैं। इसके अलावा उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट भी लगाया गया है।

आसाराम मामले में कब क्‍या हुआ

15 अगस्त 2013: साल 2013 में शाहजहांपुर की 16 साल की लड़की ने आसाराम पर उनके जोधपुर आश्रम में बलात्कार करने का आरोप लगाया।

20 अगस्त 2013: पीड़िता के परिवार वालों ने दिल्ली के कमला मार्केट थाने में मामला दर्ज कराया। बाद में मामले को जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया।

23 अगस्त 2013: आसाराम के समर्थकों ने दिल्ली के कमला मार्केट थाने पर उग्र प्रदर्शन किया।

28 अगस्त 2013: पीड़िता के पिता ने आसाराम को मौत की सजा दिए जाने की मांग की। आसाराम के बेटे नारायण साईं ने पीडि़ता को मानसिक रोगी बताया।

28 अगस्त 2013: जोधपुर पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार किया बाद में कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया।

06 नवंबर 2013: दुष्‍कर्म मामले में जोधपुर पुलिस ने आसाराम और चार और लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।

08 नवंबर 2013: राजस्थान हाई कोर्ट ने जिला और सत्र न्यायालय को मामले की हर दिन सुनवाई करने को कहा।

7 फरवरी 2014: जोधपुर की अदालत ने आसाराम के खिलाफ बलात्कार, आपराधिक षड्यंत्र और अन्य अपराधों के लिए आरोप तय कि।

23 मई 2014 को अमरुत प्रजापति की राजकोट में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

10 जुलाई, 2014 को गवाही देने वाले कृपाल सिंह की शाहजहांपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

19 अगस्त 2014: सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका खारिज की।

1 जनवरी 2015: सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS के सात सदस्यीय मेडिकल बोर्ड को आसाराम की जांच करने का आदेश दिया।

11 जनवरी 2015 को अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्‍या कर दी गई।

13 फरवरी 2015 को राहुल सचान पर जोधपुर कोर्ट के बाहर हमला किया गया।

7 अप्रैल 2018: इस मामले में एससी/एसटी कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। विशेष न्यायाधीश मधुसुदन शर्मा ने फैसले को सुरक्षित रखा।

25 अप्रैल 2018: नाबालिग लड़की के यौन शोषण मामले में जोधपुर की कोर्ट आसाराम बापू दोषी करार दिया।

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