आप विधायक सोमदत्त 6 महीनों के लिये पहुंचे तिहाड़ जेल
नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को तगड़ा झटका लगा है। आप (AAP) विधायक सोमदत्त को दिल्ली की एक अदालत ने छह महीने के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के फैसले के खिलाफ सोमदत्त ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सोमदत्त की याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।
कोर्ट ने सुनाई थी छह महीने की सजा इससे पहले चार जुलाई को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आप विधायक सोमदत्त को चार जुलाई को छह महीने जेल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान एक शख्स से मारपीट करने के मामले में उन्हें दोषी ठहराया था। एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने सदर बाजार विधानसभा क्षेत्र से विधायक सोमदत्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (किसी को गंभीर चोट पहुंचाने), धारा 147 (दंगा) और धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत दोषी पाया था। इसी के साथ दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
शिकायतकर्ता के खिलाफ भी तय हुए थे आरोप सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि 10 जनवरी 2015 को रात करीब आठ बजे सोमदत्त अपने 50 समर्थकों के साथ भवन संख्या 13 में पहुंचे थे। जहां शिकायतकर्ता संजीव राणा मौजूद थे। शिकायतकर्ता के साथ दोषी व उसके समर्थकों ने मारपीट की, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई थीं। वहीं दूसरी ओर अदालत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ भी आरोप तय किए थे। विधायक की शिकायत पर उनके खिलाफ भी क्रॉस एफआइआर दर्ज हुई थी। अदालत ने यह भी कहा था कि यह स्पष्ट नहीं है कि दोषी के साथ और कितने लोगों ने शिकायतकर्ता के साथ मारपीट की थी और उन सभी का क्या उद्देश्य था।
पंजाबी बाग थाने में दर्ज हुई थी रिपोर्ट आप विधायक सोमदत्त के खिलाफ पंजाबी बाग थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। वहीं दूसरी ओर अदालत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ भी आरोप तय किए थे। विधायक की शिकायत पर उनके खिलाफ भी क्रॉस एफआइआर दर्ज हुई थी। सोमदत्त का आरोप था कि शिकायतकर्ता ने खुद ही चुनाव प्रचार के दौरान उनसे झगड़ा किया था। अभियोजक पक्ष ने आरोप लगाया था कि विधायक ने बेसबॉल से शिकायतकर्ता संजीव राणा के पैर में मारा था। जबकि समर्थक शिकायतकर्ता को घसीटकर सड़क पर लाए थे और उनकी पिटाई की थी। वहीं, सोमदत्त के वकील ने दलील की थी कि सोमदत्त व उनके समर्थक शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार कर रहे थे और शिकायतकर्ता ने ही सोमदत्त के साथ झगड़ा शुरू किया था।