Uttarakhand

आंखे खोलो किसान भाईयो,दुश्मन को अपने घर,अपने देश का रास्ता मत दिखाइए

आप किसी केअन्नदाता नहीं है, आप कृषि और कृषि का व्यापार करते हैं, आप अन्न उगाते और बेचते हैं। इसी कृषि व्यापार से आपका जीवन यापन होता है। आपकी ही तरह और लोग भी सुबह से शाम तक परिश्रम करते हैं, और  जो टैक्स भरते हैं, उसी पैसे से किसानों को लोन माफी, मुफ़्त बिजली, मुफ़्त पानी, और तरह-तरह की सब्सिडी मिलती है। इस तरीक़े से देखा जाए तो “वो आपको पालते हैं ताकि आप अपना व्यवसाय जारी रख सकें” लेकिन वो कभी ऐसा नहीं कहते कि “वो किसानों के पालन हार हैं ” क्योंकि मुझे मालूम है कि हम करोड़ों हिंदुस्तानी मिल जुल कर देश को चलाते हैं और एक दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। मैं यह इस लिए भी नहीं कहता क्योंकि मैं अच्छी तरह से समझता हूँ कि हम सब हिंदुस्तानी एक दूसरे के पूरक हैं, कोई एक व्यवसाय वाले यह नहीं कह सकते की वो ही इस देश के स्वामी, पालन हार, अन्न दाता, अथवा रक्षक हैं। कभी हमारी सेनाओं ने कभी एक शब्द तक नहीं कहा कि हम हिंदुस्तानियों का अस्तित्व सेना की बदौलत है। कभी हमारे डाक्टरों ने यह नहीं कहा की देश में करोना विपत्ति को उन्होंने हराया है इस लिए हिंदुस्तानियों की जान की रक्षा “हम डाक्टरों ने की है, और जान बचाने वाला जीवनदाता तो अन्नदाता से भी बड़ा होता है” इत्यादि।
      सुनिए, भारत सरकार अनाज तो बाहर से भी आयात कर सकती है परंतु आपको पालने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि आप भी इसी देश के नागरिक हैं। क्योंकि इसी से देश आत्म-निर्भर होगा। आपके lifestyle को बचाने हेतु भारत सरकार ने अभी तक लाखों करोड़ों रुपए आपको सहायता के रूप में दिए हैं। भारत सरकार इतने पैसों से तो लाखों करोड़ों एकड़ ज़मीन ख़रीद कर उस पर अपनी खुद की सरकारी खेती शुरू कर सकती है। अगर भारत सरकार अपने खुद के satellite बना सकती है और दूसरे देशों को लाखों करोड़ों में इस सेवा को बेच सकती है तो क्या हमारी सरकार खेती-बाड़ी नहीं कर सकती? अगर सरकार यह कर दे, तो लाखों लोगों को व्यवसाय भी मिल जाएगा और सरकार को किसी को सब्सिडी भी नहीं देनी पड़ेगी। तब आपका क्या होगा कभी सोचा है?क्या आप कांग्रेस सरकार का जमींदार उन्मूलन और सीलिंग कानून को भूल गए आपकी जमीन छीन ली गयी और आप कुछ नही कर सके। अभी भी कुछ राजनीतिक दल नही चाहते कि आप खुशहाल हो। उनकी मंशा है कि कानून व्यवश्था बिगड़े और करोड़ो रोहिंग्या और वैसे ही लोग झपकी जमीन और घर पर काबिज हो जाये। अभी तक आपको कुछ मिला नही सिर्फ आपसे छीना गया था।
      मेरे प्यारे किसान भाईयो, अगर आप अपने देश के प्रति कृतज्ञता प्रकट नहीं कर सकते और देशवासियों के एहसानमंद नहीं हो सकते तो हम समझ सकते हैं कि देश के दिए हुए आभारों को आप शायद अपना अधिकार मान बैठे हैं जो कि दुर्भाग्यवश आपकी बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी और आपकी गलती भी है, परन्तु आपका अपने आप को हमारा अन्नदाता कह देना और मान लेना आपकी मंदबुद्धि ही नहीं बल्कि आपके अक्खड़पन, दम्भ, हेकड़ी, घमण्ड, और दर्प का सबूत (प्रमाण) है। अन्नदाता ही नहीं, आपने अपने आपको १३० करोड़ भारतीयों का माँ-बाप भी कह दिया। भारत आपकी उद्दंडता बहुत देर तक नहीं सहेगा।
      मैं अच्छी तरह जानता हूं कि आप यह सब समझते है। आपने इससे पहले ऐसा नही कहा और आज भी आप अपने देश से उतना ही प्यार करते है जितना आपके बेटे सीमा पर। पहले आप की संतान भी ज्यादतर केवल कृषि पर निर्भर रहती थी लेकिन आज ऐसी स्थिति नही है। किसानों के बच्चे भी उच्च शिक्षा पाकर अच्छी नॉकरी, व्यापार और राजनीति कर रहे हैं। आप क्या समझते है कि इतने सब किसान पुत्रो के रहते कोई ईमानदार सरकार आपके हितों के खिलाफ कोई कार्य कर सकती है? कदापि नही।पूर्व सरकारों ने आपका क्या हाल किया हुआ था।आप अपनी मर्जी से अपनी फसल मंडी के अलावा और कही नही बेच सकते थे।और आप अच्छी तरह जानते है कि मंडी के दलाल आपका कैसे शोषण करते थे। आप ने तब कोई आवाज़ नही उठाई और आज जब सरकार आपके हित मे कार्य कर रही है तो आप चंद सरफिरे राजनीतिक दलालों के फुसलावे में आकर देश के, अपने
      सम्मान को दांव पर लगाने पर तुले है। कम से कम अपनी पढ़ी लिखी संतानों से घर मे बैठकर एक बार तो पूछो कि कानून से आपको क्या फायदा या नुकसान है। क्या आपको अपनी संतानों से ज्यादा चंद दलालों पर विस्वाश है? एक बार उन तथा कथित किसानों से अपनी तुलना करके देखिए आपको पता चल जाएगा कि किसान आप है और वो चंद सिक्को के पीछे देश को तोड़ देने और आग लगाने को आतुर स्वार्थी लोग। अपने देखा नही कि किस प्रकार राकेश टिकैत और हमारे अन्य प्रतिनिधियों को धोखा देकर लाल किले पर अपना मंसूबा पूरा कर रातोरात राकेश को अकेला छोड़कर भाग खड़े हुए। टिकैत किसी और वजह से नही इस धोखे की वजह से रोया था। और फिर अपने आकाओं से माल खाकर जो वचन दिया था उसका क्या होता। वादा पूरा न होने पर माल वापिस करना पड़ता इसलिये उसने एकबार फिर नाटक खेला और आपकी भावनाओं से खेल गया।
      मेरे प्यारे भाइयो मैं भी आपकी तरह किसान हूँ और पिछले पचासो साल से किसानों का शोषण देख समझ रहा हूँ। आज जब कोई आपके हित के लिये कानून लाया है तो उस पर विश्वास करो। देखो, समझो और अपने पढ़े लिखे बच्चों से कानून पढवाओ और समझो। जिसका आप विरोध कर रहे हो, एक बार चला गया तो फिर कभी आपके आँसू पोछने वाला नही मिलेगा।देश ग्रह युद्ध मे झोंक दिया जाएगा। अंजाम क्या होगा आप कल्पना कर सकते है। बस हाथ जोड़ कर एक ही बात कहूंगा कि दुश्मन को अपने घर का,अपने देश का रास्ता मत दिखाइए।
लेखकः-ललित मोहन शर्मा

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