मूल निवास के मुद्दे पर गलत समझा जा रहा है प्रदेश अध्यक्ष करन महारा का बयानः गरिमा मेहरा दसौनी
देहरादून। कांग्रेस भवन देहरादून में कांग्रेेस पार्टी की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी एवं प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने संयुक्त पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भू कानून एवं मूल निवास की राज्य के आन्दोलनकारी संगठनों की जो मांग है कांग्रेस पार्टी पहले से ही पूर्णरूप से इसके समर्थन में हैै। महिला सुरक्षा एवं अंकिता भण्डारी प्रकरण में साक्ष्यों को मिटाने एवं छुपाने के दोषियों पर अभी तक कोई कठोर कानूनी कार्यवाही ना होने के विषय पर एक प्रेसवार्ता का अयोजन किया था। इसी पत्रकार वार्ता के दौरान एक सवाल के जबाव में करन माहरा जी ने कहा कि मूल निवास 1950 की मांग पर व्यापक विचार विमर्श होना चाहिए एंव सर्वसम्मति बननी चाहिए इसके लिए बहुत जल्दी कांग्रेस पार्टी अपनी राजनीतिक एफीयर्स कमेटी की बैठक बुलाकर इस पर विचार विमर्श करेगी। महारा के अनुसार राज्य में हिमाचाल की तर्ज पर सख्त भू कानून शीघ्र ही बनना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पहले ही उत्तराखण्ड स्वाभिमान आन्दोलन का समर्थन एवं प्रतिभाग करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं एवं नेतागणों का आह्वाहन किया गया था।
अध्यक्ष जी के निर्देशों का पालन करते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में उक्त आन्दोलन में प्रतिभाग किया था। इसके बावजूद देखने में आया की समाचार पत्रों द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के बयान को गलत ढंग से प्रकाशित किया गया है जिसका संदेश यह गया कि कांग्रेस पार्टी मूल निवास 1950 के पक्ष में नही है, ऐसी खबर का कांग्रेस पार्टी पुरजोर तरीके से खण्डन करती है। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार ने विकास पुरूष एन.डी. तिवाडी के नेतृत्व में राज्य हित में व्यापक चर्चा के बाद मूल निवास व भू कानून के मसले को हल कर दिया था व राज्य गठन के बाद भू कानून लेकर के आई जिसके अनुसार कोई भी बाहरी व्यक्ति राज्य में केवल 500 वर्ग ही जमीन खरीद सकता था और इसे खण्डूरी सरकार ने 250 गज कर दिया था परन्तु भाजपा की त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने 2018 में उत्तराखण्ड जमींदारी विनाश अधिनियम में संशोधन कर भूमि की लूट की खुली छूट दी जिसका जमकर दुरूपयोग हुआ। 2018 में त्रिवेन्द्र सरकार ने भूमि अधिानियम में जो संशोधन किये हैं उसे धामी सरकार को तत्काल निरस्त करना चाहिए। तिवाडी सरकार ने राज्य गठन से 15 वर्ष पूर्व 1985 तक जो राज्य में निवास करते थे उनको मूल निवासी माना था। कांग्रेस चाहती है कि इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए एवं आन्दोलनकारी संगठनों की मांग पर सर्वानुमति बनाने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जो मूल निवास प्रमाण पत्र कांग्रेस की सरकार में बनते थे वह अब बनने क्यों बन्द हो गये हैं? उस पर भी सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा झूठ का रास्ता अपनाया है। उन्होंने कहा कि राज्य आन्दोलन के दौरान भी आन्दोलन को कमजोर करने का षंड़यंत्र भाजपा ने रचा यह किसी से छुपा नही है और अब भी राजधानी गैरसेैण राज्य आन्दोलनकारियों की मांगों को लटकाने का काम कर रही है और भू काननू पर कमेटी पर कमेटी बनाकर राज्य की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। जिसको कांग्रेस सफल नही होने देगी। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा की मूल निवास एवं भू कानून पर भारतीय जनता पार्टी का क्या स्टैंड है वह स्पष्ट होना चाहिए और समिति समिति खेलने के बजाय सरकार को विधानसभा सत्र बुलाकर बिल पेश करना चाहिए। दसौनी ने कहा की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का बयान को गलत ढंग से परोसने का काम किया गया है जिसका उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी और पुरजोर विरोध करती है उत्तराखंड में क्यों जरूरी है