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केंद्र सरकार सीबीआई व ईडी का दुरूपयोग कर रहीः जोत सिंह बिष्ट

देहरादूूून। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जोत सिंह बिष्ट ने केंद्र सरकार पर आप नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सीबीआई व ईडी का दुरूपयोग कर रही है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी कट्टर ईमानदारी, कट्टर देशभक्ति और इंसानियत के सिद्धांतों पर चल कर जिस तरह से सबसे कम समय में राष्ट्रीय पार्टी बनकर मजबूती से आगे बढ़ रही है यह बात सत्ता में बैठे हुक्मरानों को पसंद नहीं आई तो आम आदमी पार्टी की कट्टर इमानदारी की छवि को दागदार करने के लिए ईडी और सीबीआई का दुरूपयोग करके आम आदमी पार्टी के नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसा कर तथा न्यायलय के सामने गलत तथ्य पेश करके जमानत नहीं होने दे रहे हैं, यह आज सर्वविदित है। भाजपा के इस षड़îंत्र का पर्दाफाश कल दिल्ली की एक अदालत ने किया है। 6 मई को दिल्ली की एक कोर्ट ने शराब घोटाले पर एक आदेश पारित किया है जिसने तथाकथित शराब घोटाले की सच्चाई दुनिया के सामने रख दी है।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी वालों ने सौ करोड़ की रिश्वत ली है। सीबीआई और ईडी ने कोर्ट में खुद कहा है कि इसमें से सत्तर करोड़ की रिश्वत का उनके पास कोई सबूत नहीं है। सीबीआई और ईडी ने कोर्ट में आगे कहा कि बाकी तीस करोड़ रुपये राजेश जोशी नाम का कोई आदमी साउथ से लेकर आया और उसने दिल्ली में आम आदमी पार्टी वालों को दिये। 6 मई के अपने ऑर्डर में कोर्ट ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राजेश जोशी कोई भी पैसा लेकर आया था, तीस करोड़ तो छोड़ो, एक नया पैसा लाने का भी सबूत नहीं है। तो कोर्ट सीधे तौर पर कह रहा है कि ना कोई रिश्वत दी गयी और ना ही ली गयी।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि दूसरा आरोप है कि रिश्वत का सौ करोड़ रुपया गोवा के चुनाव में खर्च हुआ। ब्ठप् और म्क् ने पिछले आठ महीनों में गोवा के हमारे सारे अमदकवते पर रेड मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई और ईडी के मुताबिक पूरे गोवा चुनाव में हमारी पार्टी ने सिर्फ 19 लाख रुपये कैश खर्च किए। बाकी सारी पेमेंट चेक से हुई। क्या इतनी ईमानदार पार्टी दुनिया में मिलेगी जो एक राज्य के चुनाव में सिर्फ 19 लाख रुपये कैश खर्च करती है? तो अब ब्ठप् और म्क् ने भी सर्टिफिकेट दे दिया कि आम आदमी पार्टी देश की सबसे ईमानदार पार्टी है। तथाकथित शराब घोटाले का यह पूरा का पूरा केस झूठ पर आधारित है। म्क् ने कोर्ट में आरोप लगाया कि मनीष सिसोदिया ने 14 फोन तोड़ दिये। बाद में जाँच करने पर पता चला कि सारे फोन मौजूद हैं और इनमें से पाँच फोन तो सीबीआई और ईडी के कब्जे में हैं। एक चार्जशीट में हमारे राज्यसभा सांसद संजय सिंह का नाम भी डाल दिया। जब संजय सिंह ने अफसरों पर मुकदमा करने की धमकी दी तो ईडी ने कोर्ट में कबूला कि “गलती” से संजय सिंह का नाम चार्जशीट में डल गया था। क्या ईडी जैसी कोई एजेंसी गलती से किसी का नाम चार्जशीट में डाल सकती है? अगर ऐसी गलती हुई तो गलती से किसी बीजेपी के नेता का नाम क्यों नहीं डला? साफ है कि ऊपर से दबाव के चलते संजय सिंह को फँसाने के लिए फर्जी तौर पर नाम डाला गया। क्या ऐसी जाँच पर भरोसा किया जा सकता है? इस मामले में गवाहों को मार पीटकर और मानसिक तौर पर उत्पीड़न करके गलत बयान पर साइन करवाये जा रहे हैं। कम से कम पाँच लोगों ने बयान के कुछ दिन बाद ही ये कहकर बयान वापिस लेने के लिये कोर्ट में अर्जी दी कि उनसे टार्चर करके बयान लिए गए। इनमें से एक व्यक्ति को तो इतना मारा गया कि उसके कान का पर्दा फट गया। उसने ईडी अधिकारियों के खिलाफ हाई कोर्ट में शिकायत भी की है। इस से साफ जाहिर है कि इनका मकसद जाँच करना नहीं बल्कि किसी भी तरह से आम आदमी पड़ती के नेताओं को फँसाना है।

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