सनातन धर्म का पर्याय है ब्राह्मण समाजः ओपी वशिष्ठ
देहरादून। नगर की एक दर्जन ब्राह्मण संस्थाओं के संयुक्त मंच ब्राह्मण समाज महासंघ की बंजारावाला में हुई मासिक बैठक में महासंघ के संरक्षक पंडित ओ.पी. वशिष्ठ ने कुछ सनातन विरोधियों द्वारा विदेशी ताकतों के इशारे पर चलाए जा रहे धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश में हिंदू धर्मावलंबियों का प्रतिशत घटकर 70 प्रतिशत रह गया है। देश को राजनेता वोट की तुष्टिकरण के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, अगड़े, पिछड़ों बांट कर देश को तोड़ने में लगे हैं।
इस अभियान में सनातन धर्म के पर्याय ब्राह्मण समाज को निशाने पर लिए हुए हैं। निरंतर हर क्षेत्र में ब्राह्मण समाज को बाहर करने की साजिश जारी हैं। ऐसी दशा में ब्राह्मणों को देश में अपनी राजनीतिक पार्टी के गठन का निर्णय लेना पड़ रहा है। हाल ही में गलोबल ब्राह्मण हेल्प डेस्क के संस्थापक श्री गिरिप्रसाद शर्मा, जी द्वारा हैदराबाद के ब्राह्मण भवन में नई राजनीतिक पार्टी ष्भारतीय समाज पार्टीष् लांच की गई है, जो आंध्रा व तेलंगाना के ब्राह्मणों के हितों को सुरक्षित करने की दिशा में चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी। देश भर के ब्राह्मणों के साथ उत्तराखंड के ब्राह्मण समाज महासंघ का नैतिक समर्थन रहेगा। बैठक में महासंघ के सभी घटक दलो ने नए ब्राह्मण राजनेतिक संगठन (बसपा) का स्वागत किया तथा तेलंगाना के ब्राह्मणों के इस प्रयास की सराहना की। महासंघ के महामंत्री शशि शर्मा ने ब्राह्मणों को अपनी पहचान कायम करने पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने समाज के प्रति दायित्वों का बोध होना चाहिए। आज सनातन को बचाने के लिए फिर से ब्राह्मण समाज पर दायित्व खड़ा हो गया है। समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर मतांतरण करने वालों को कड़ा जवाब देना पड़ेगा। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंडित थानेश्वर उपाध्याय ने जन्म दिन, मैरिज एनवरसरी आदि में पाश्चात्य संस्कृति से अपने परिवार व बच्चों को बचाने की अपील की। वरिष्ठ ब्राह्मण नेता पंडित सोमदत्त शर्मा ने कहा कि आज एकता व संख्याबल से ही अपने अधिकारों को हासिल कर सकते हैं। झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए। बैठक की अध्यक्षता पंडित थानेश्वर उपाध्याय ने तथा संचालन डा. वी डी शर्मा ने किया। बैठक में विभिन्न घटक संगठनों के प्रतिनिधियों अरुण कुमार शर्मा, राजेश शर्मा, हरिकृष्ण शर्मा, बी एम शर्मा, उदयभान शर्मा, राजेंद्र शर्मा, सूर्यप्रकाश भट्ट, राजेंद्र व्यास, मनमोहन शर्मा, रूपचंद शर्मा, रामप्रसाद उपाध्याय, पुरुषोत्तम गौतम आदि उपस्थित थे। बैठक में महासंघ के विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन के संकल्प व शांतिपाठ के साथ बैठक का समापन हुआ।