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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर बोला हमला

देहरादून। भारतीय जनता पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मदन कौशिक ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल के लगभग 60 वर्षों में सैनिकों के सम्मान और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कभी कोई कार्य नहीं किया और आज सैन्य सम्मान रैली का ढोंग कह रही है। एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए मदन कौशिक ने राहुल को सबसे पहले सैनिको और सैनिक परिवारों से जुड़े भाजपा के इन सवालों का जवाब देने की चुनौती दी। भारतीय जनता पार्टी के कांग्रेस व राहुल गांधी से सवाल कुछ सवाल किए है।
कांग्रेस पार्टी बार-बार विकास को लेकर भाजपा पर आरोप मढ़ रही है। भाजपा की डबल वजन की सरकार के समन्वय से 5 वर्ष में 1 लाख करोड़ रूपये उत्तराखण्ड के विकास के लिए केन्द्र सरकार द्वारा निर्गत किया गया। जिस धनराशी का तेजी से उत्तराखण्ड के सड़क एवं रेल मार्ग, शिक्षा चिकित्सा स्वास्थ्य आदि सेक्टरों में उपयोग किया जा रहा है यो सब प्रदेश की जनता के सम्मुख है। इसे प्रमाणिकता के साथ भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 4 दिसम्बर को उत्तराखण्ड की जनता के समझ विस्तार से बताया भी गया। भाजपा, कांग्रेस पार्टी से प हिन्दुओं को लश्करे तैयबा से भी खतरनाक बताने वाले राहुल गांधी से पूछना चाहती है कि 2004 से लेकर 2007. 2012 से 2014 तक पाँच वर्ष तक केन्द्र व प्रदेश में कांग्रेस को भी डबल इंजन वाली सरकार बनाने का मौका मिला था। क्या इस राज्य के विकास के लिए कांग्रेस पार्टी द्वारा उस दौरान कोई महत्वाकासी परियोजनाएं दी गई। यदि हाँ तो राहुल गांधी को उसका हिसाब उत्तराखण्ड की जनता को देना चाहिए था। उत्तराखण्ड की जनता यह जानना चहती है?
आज कांग्रेस पार्टी सैनिकों के सम्मान व शौर्य की बात कहकर सैनिक सम्मान दिवस मना रही है। इस कांग्रेस से पूछना चाहते कि सैनिकों के सम्मान के लिए 00 वर्षों में कांग्रेस द्वारा क्या कार्य किये गए ? क्या 1970 से वन रैंक वन पेंशन की मांग को कांग्रेस ने पूरा किया सिपाय लटकाने मटकाने के क्या सीमाओं पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जाबाज सैनिकों के पार्थिव शरीर को उनकी जन्मभूमि तक लाने का काम या उनके परिवारों को आगे व्यवस्थित कसे का काम कभी कांग्रेस ने किया ? कांग्रेस राज में जब कोई सैनिक सीमा पर शहीद होता था एक काला कम्बल एक काला बक्सा व पाँच पैसे का पोस्ट कार्ड के साथ शहीद का पार्थिक शरीर उनके परिवार को सौपा जाता था। क्या यही वह सैनिक सम्मान था जिस पर आज राहुल गावी सैनिक सम्मान दिवस मना रहे है? काग्रेस और उनके सहयोगी सरकारों के शासन काल में सैनिक सीमा पर इस बात के इंतजार में रहते थे कि दिल्ली से कब फायरिंग का आदेश जायेगा और कब दुश्मनों आंतकियों को मार गिराया जायेगा। क्या यही सैनिकों का सम्मान या जो पार्टी दिवंगतजनरल विपिन रावत की तस्वीर लगाकर सम्मान की बात कर रही है उनके एक सासद व वरिष्ठ नेता सन्दीप दीक्षित ने शहीद जनरल रावत को सड़क का गुढा तक कहा था। क्या यही सैनिक सम्मान है ? जो पार्टी दिवंगत जनरल विपिन रावत जी की तस्वीर लगाकर सम्मान की बात कर रही है उनके एक सांसद व वरिष्ठ नेता सन्दीय दीक्षित ने शहीद जनरल रावत को सड़क का गुंडा तक कहा था। क्या यही सैनिक सम्मान है। जब जनरल विपिन रावत की दोनों बेटियों द्वारा हरिद्वार में अस्थि विसर्जन किया जा रहा था तो उस समय समूचा उत्तराखण्ड व देश अपने वीर सपूत के गम व शोक में डूबा हुआ था। लेकिन उसी समय कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी कोल व नगाड़ों की थाप पर गोवा में नृत्य कर रही थी। क्या यही सैनिकों के सम्मान की परंपरा कांग्रेस में है ? आज देवभुमि उत्तराखण्ड की सम्मानित जनता राहुल गांधी से यह जानना चाहता है कि कुछ दिन पहले जयपुर में महंगाई के मुद्दे पर बुलाई गई रैली में उन्होंने हिन्दुओं के लिए अपमान जनक शब्दों का प्रयोग क्यों किया था ? अपने सम्बोधन में राहुल ने कहा था कि मेरी लड़ाई हिंदुत्ववादियों से है और मैं हिंदुत्ववादियों से अन्तिम सांस तक लदूंगा क्योंकि यह रैली महगाई के खिलाफ थी और उस मंच से राहुल ने तो मुसलिम समाज की बात की और न ईसाई समाज की बात की और न ही किसी अन्य धर्म की बात की लेकिन सीधे हिन्दुओं पर डी प्रहार करने से यह स्पष्ट होता है कि पोट बैंक की राजनीति के तहत राहुल गांधी हिन्दुओं का बंटवारा व सहार करने को भी तैयार है। उत्तराखण्ड की जनता राहुल से यह पूछना चाहती है कब तक तुष्टीकरण की राजनीति कर कांग्रेस हिन्दुओं का अपमान करती रहेगी। क्या राहुल गाधी हिन्दु समाज से माफी मागेर इस देश का बहुसंख्यक समाज विशेषकर उत्तराखण्ड की जनता राहुल को एक बार फिर इस चुनाव में जवाब अवश्य देगी। पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष के साथ वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेश जोशी, विपिन कैन्तुरा, राजीव तलवार, हरीश चमोली आदि उपस्थित थे।

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