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भाजपा सरकार की गलत नीतियो के कारण महंगाई हर रोज बढ़ रही हैः-अविनाष मणि
देहरादून। उत्तराखण्ड युवा कांग्रेस के प्रदेष सचिव अविनाष मणि नें एक बयान जारी कर कहा की भाजपा सरकार की गलत नीतियो के कारण महंगाई हर रोज बढ़ रही है, पिछले 3 महीने में रोजमर्रा चीज़ों के दाम में 42 प्रतिशत तक उछाल आया है। लगातार पेट्रोल-डीजल, स्च्ळ के दामों में आयी बढ़त से खाद्य तेल, दूध, साबुन, चाय पत्ती, शैम्पू इत्यादि के दामों में आग लगी हुई है, पर सरकार को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ रहा है, सरकार जनता के दुःख-तकलीफ से बेखबर है।
मोदी सरकार ने एक बार फिर जनता के घाव पर नमक छिड़कने, घाव पर नमक रगड़ने, लोगों को और व्यथित और परेशान करने का मन बना लिया है। क्योंकि और किसी भी तरह से ये समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे आज एलपीजी सिलेंडर का दाम 25 रुपए बढ़ाया गया है, ये घाव पर नमक छिड़कने के अलावा कुछ नहीं है। बहुत बार समझ में नहीं आता कि दाम कितना ज्यादा बढ़ रहा है। पिछले 6 बढ़ोतरियों में 240 रुपए प्रति सिलेंडर दाम बढ़ाया गया है।
उन्होनंे कहा यूपीए षासन में गैस का सिलेंडर 300 से 400 रुपए में मिल जाता था। इस सरकार में भी नवंबर 2020 में और आप सबकी याददाश्त पुनरू जागृत करते हुए नवंबर, 2020 में गैस का सिलेंडर 594 रुपए था और बढ़ते-बढ़ते वो सिलेंडर 1 जुलाई को 834 रुपए पर आ गया है और ऐसा क्यों हो रहा है, क्या ये सिर्फ इंटरनेशनल प्राइस की वजह से है, ये बिल्कुल गलत और भ्रामक बात है।
उन्होनें कहा ऐसा प्रतीत होता है कि जो गरीब हैं, जो निम्न आय के लोग हैं, जो मध्यम वर्ग के लोग हैं, जिनके वोट के बदौलत इस सरकार की सल्तनत चल रही है। कहीं ना कहीं उनकी पीठ में छुरा घोंपने का काम हुआ है। क्योंकि जब-जब दाम बढ़ते हैं, बहुत हुई महंगाई की मार, बस करो मोदी सरकार। यही सच है।
उन्होनें कहा 25 रुपए एक साथ बढ़ाने का और पिछले 6 बार में आपने 240 रुपए बढ़ा दिए हैं। आपके ही टाइम पर, अभी नवंबर में 594 का मिल रहा था, अब 834 का है। देश अभी एक बहुत बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अभी महामारी से तो देश जूझ ही रहा है, लेकिन मंदी से और मंदी की वो मार से पूरा देश जूझ रहा है। चाहे वो 23 करोड़ लोग हों, जो गरीबी की सीमा रेखा की नीचे चले गए हैं, चाहे वो 1 करोड़ नौकरियां हों, जो नष्ट हुई हैं। चाहे वो 97 प्रतिशत देश की जनता हो, जिसकी आय, जिसका वेतन कम हो गया है। चाहे वो पूरे देश के वासी हों, जिनका पर कैपिटा जीडीपी पहली बार एक लाख रुपए से नीचे पहुंच गया है। उन सब लोगों के प्रति ये सरकार इतनी उदासीन है कि लगातार चाहे पेट्रोल और डीजल के दाम हों, पेट्रोल 100 के पार है, डीजल में होड़ लगी है, किस तरह से 100 पार जाने की, कई जगह पार कर चुका है और एलपीजी का जिस तरह से दाम बढ़ाया जा रहा है, ये कहीं ना कहीं सरकार की उदासीनता को ही दिखाता है।
उन्होनें कहा सऊदी अरब के हिसाब से मार्च, 2021 के महीने में उनका जो दाम था, उनकी जो रसोई गैस का दाम था, वो 587 डॉलर प्रति मीट्रिक टन था। 587 डॉलर प्रति मीट्रिक टन, तब हमारे यहाँ एलपीजी सिलेंडर का दाम 814 रुपए था। आज जब वो 587 घटकर 523 हो जाता है। हमारा एक्सचेंज रेट रुपए बनाम डॉलर का 74 रुपए 35 पैसे होता है। इन दोनों को मिलाकर आज रसोई गैस का दाम होना चाहिए 552 रुपए। एक्सचेंज रेट 74 रुपए 35 पैसे का है, सऊदी अरब की गैस का दाम, जिससे कि हमारा दाम तय होता है, वो 587 डॉलर से घटकर 523 डॉलर पर आ गया है, उसके बाद भी जिस गैस के सिलेंडर का दाम 552 रुपए होना चाहिए था, वो आज 834 रुपए क्यों है? यहाँ पर मुनाफाखोरी कौन कर रहा है? कौन लोगों की जेब में डाला डाल रहा है और सच तो यह है कि इतने आर्थिक संकट से जूझते हुए इस देश के लिए जरुरत थी कि आप देश के लोगों की जेब में पैसा डालिए और बजाए वो करने के आप डाका डाल रहे हैं।
उन्होनें कहा हाथ जोड़कर गुजारिश है इस सरकार से, वित्त मंत्री से, ईंधन के मंत्री से और प्रधानमंत्री से एक लोन मेरा और लगवा दीजिए, एक प्रावधान और करवा दीजिए कि लोग अब लोन लेकर अपनी गाड़ी में पेट्रोल और डीजल भरवा सकें। लोन लेकर दो एलपीजी के सिलेंडर खरीद सकें। ये जरुरी है और अगर आप ऐसा नहीं करिएगा, तो बहुत मुश्किल हो जाएगा।
उन्होनें कहा आप झुनझुना बजाते रहे उज्जवला का। जिस देश में करीब 29 करोड़ लोगों के पास एलपीजी कनेक्शन है। आप कहते रहे कि कैसे 8-9 करोड़ हमने उज्जवला में दे दिए फ्री कनेक्शन। आपने फ्री कनेक्शन दिए लेकिन क्या उज्जवला के लोग, जो आज गरीबी की सीमा रेखा के नीचे चले गए हैं, उन 23 करोड़ लोगों में शामिल हैं? क्या वो 834 रुपए का सिलेंडर खरीद सकते हैं और इसका उत्तर, इसका जवाब बिल्कुल नहीं है। बहुत मुश्किल है उनके लिए ये 834 रुपए का सिलेंडर खरीदना और क्योंकि भ्रमित करने के लिए, डिबेट को भ्रमित करने के लिए, चीजों को भ्रमित करने के लिए मुद्दों को एक सब्सिडाइज्ड और नोन सब्सिडाइज्ड की बात कही जाती है। सच तो ये है कि आज सब्सिडाइज्ड और नोन सब्सिडाइज्ड एक ही है। कोई सब्सिडी नहीं आ रही है, क्योंकि मार्केट प्राइस और कंट्रोल प्राइस को एक कर दिया गया है। सब्सिडी क्या थी – मार्केट प्राइस और कंट्रोल प्राइस में जो अंतर होता था, वही सब्सिडी थी। जब आपने सब्सिडी को खत्म कर दिया है, जब आपने मार्केट प्राइस और कंट्रोल प्राइस को एक कर दिया है, तो अब सब्सिडी की कोई गुंजाइश ही नहीं बची है।