Uttarakhand
एक ओर प्रकृति का रौद्र रूप दूसरी ओर इंसार ही इंसान को नोच रहा
देश एक भयंकर त्रासदी से गुजर रहा है। चारो तरफ कृन्दन ही क्रदन है। एक तरफ प्रकृति अपना रौद्र रूप इंसान के हाथों इंसानों को दिखा रहा है। चीन की मानवता ने नीचता की सीमा क्या तोड़ी ईश्वर ने पूरी सृष्टि को ही सबक सिखाने की ठान ली। अब जैसे भी हो भगवान के बंदों ने एक और अपनी प्रार्थना से ईश्वर को शांत करने के प्रयास किये है तो उसी ईश्वर के बताए रास्तो से इस आपदा का प्रतिकार और उपचार किया जा रहा है।ईश्वर को तो एक न एक दिन मना ही लेंगे। वो दयावान है दया करेगा किंतु इस धरती पर कुछ मानवता के दुश्मन राक्षस भी है जो मायावी है। भेष बदल बदल कर राहु केतु की तरह हमारे बीच घुले मिले है और लगातार मानवता का विनाश कर रहे है। ये कभी आतंकवादी बनकर तो कभी सम्परायदिक चोला ओढ़कर तबाही मचाते है तो कभी नशे का मीठा जहर और नकली दवाइयों का कारोबार कर पूरे तंत्र को तहस नहस कर रहे हैं। ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी, हॉस्पिटल में बेड के नाम पर लूट तो असहाय या मृतक को उचित गंतव्य तक पहुचाने में मनमानी लूट, यहां तक कि अंतिम संस्कार तक के लिये लूट खसोट क्या है। लाशों को नोच नोच कर खाने वाले हमारे ही बीच छिपे इन गिद्धों को क्या संज्ञा दी जा सकती है।
दोस्तो इस राम कृष्ण की इस पावन धरा पर पापियों ने पैर पसार लिए है। राम कृष्ण के भक्तों, श्री परशुराम औऱ वीर हनुमान के वंशजों और माँ काली की प्रतिबिम्ब युवक युवतियों समय आ गया है कि आप अपनी शक्ति का परिचय देकर इस महान धरा को पाप मुक्त कर दे। मानवता के ये चंद दुश्मन हमारे घरों और आसपास ही छुपकर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। इन्हें पहचानिए, ढूंढकर बाहर निकालिये और ऐसा सबक सिखाइये की इनकी पुश्ते भी शर्मसार हो उठे। आप मे बल है, इच्छा शक्ति है और अपने आराध्य का आशीर्वाद, बस जागकर उठ खड़े होने की देर है। उठो मेरे राष्ट्र भक्तों, मानवता के दूत बनकर इन बुराइयों को मिटा दो। कुछ भी मुश्किल नही है, इससे पहले कि इन राक्षसों के प्रकोप से आप, आपके माता पिता, भाई बहन ,बच्चे और मित्र काल का ग्रास बने, इस अग्नि को सदा सदा के लिए शांत कर दो। सब साथ मिलकर अपना अपना कर्तव्य पालन करेंगे तो कल सुभह की रोशनी एक नई खुशी देने के लिये आपका इंतजार कर रही होगी।
लेखकः- ललित मोहन शर्मा