हार्वेस्ट, हारमनी और हैप्पीनेस की त्रिवेणी है लोहड़ी पर्वः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों को लोहड़ी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि मेरे देश में सौहार्दता और समृद्धि हमेशा बनी रहे, चारों ओर हरियाली और खुशहाली हो तथा इस देश का अन्नदाता हमेशा स्वस्थ और समृद्ध रहे। लोहड़ी, भारत के प्रमुख हार्वेस्ट फेस्टिवल्स में से एक है, जो कि फसलों के आने की खुशी में मनाया जाता है। यह उत्सव और समृद्धि का प्रतीक पर्व भी है। पारंपरिक रूप से लोहड़ी पर्व उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के आगमन का एक उत्सव है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारे पर्व, त्यौहार और उत्सव हमारे संस्कार, संवेदनायें और परंपराओं का प्रतीक तथा उनका जीवंत स्वरूप है, जो हमें अपनी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का साक्षात दर्शन कराते हैं। पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां पेड़, पौधे, ग्रह-उपग्रह, मौसम परिवर्तन और अन्य छोटी-बड़ी गतिविधियों को त्यौहारों के रूप में मनाया जाता है इसलिये यह त्यौहार हावेस्ट, हारमनी और हैप्पीनेस का पर्व है। पर्वों को मनाने से मेल-जोल तो बढ़ता ही है साथ ही जीवन, एक नई उमंग, तरंग और उत्साह से भर जाता है। भारतीय संस्कृति में त्यौहारों और उत्सवों का सनातन काल से ही काफी महत्व रहा है। हमारे सभी त्यौहार प्राणी, प्रकृति और पर्यावरण के साथ मानवीय रिश्ता स्थापित करने एवं मानवीय गरिमा को समृद्ध करने का संदेश देते हैं। पर्वों के माध्यम से सामाजिक सौहार्द, सहभागिता और आपसी समन्वय की भावना विकसित होती है। ये त्यौहार हमारी ऐतिहाहिक विरासत और संस्कृति को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समाज में सद्भाव और भाईचारा स्थापित करने हेतु पिलर का कार्य करते हैं हमारे पर्व और इससे हमारे समाज की नींव मजबूत होती है। लोहड़ी का त्यौहार जीवन में नए उत्साह का संचार करता है, इससे जीवन में गति और सकारात्मकता आती है। वास्तव में यह पर्व प्रकृति में होने वाले बदलावों के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता हैं कि लोहड़ी के दिन वर्ष की अन्तिम लम्बी रात्रि होती हैं इसके बाद धीरे-धीरे दिन बड़े होने लगते है और रातें छोटी होने लगती हैं। ठंड के बाद एक सुहाना मौसम दस्तक देता है सभी मिलकर उसी का उल्लास मनाते हैं।