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लघु एवं मझौले समाचार पत्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए
-जर्नलिस्ट यूनियन आॅफ उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजा ज्ञापन
देहरादून। जर्नलिस्ट यूनियन आॅफ उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजकर लघु एवं मझौले समाचार पत्रों को कोरोना काॅल में आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने की मांग की है। यूनियन का कहना है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौर में पूरा देश इसके विरूद्व एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहा है। प्रदेश के तमाम लघु एवं मझोले समाचार पत्र इस लड़ाई में देश और प्रदेश सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाये खड़े हैं। इस बेहद जोखिम भरे वातावरण में भी पत्रकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और अपने-अपने स्तर से जनता के बीच प्रदेश सरकार के निर्देशों को पहुंचा रहे हैं। कोरोना वायरस के इस दौर में लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के बारे में लगातार जागरूक करने के काम में लघु एवं मझोले समाचार पत्र अग्रणीय है।
जर्नलिस्ट यूनियन आॅफ उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर प्रवीण मेहता की ओर से जारी किए गए गए इस ज्ञापन में कहा गया है कि आज देशभर में जब लॉकडाउन जैसे आपातकालीन हालात हैं और सभी सोशल डिस्टेन्सिंग के जरिये कोरोना महामारी पर विजय पाने की कोशिश में जुटे हैं क्योंकि यहीं एकमात्र तरीका है जिसके जरिए हम कोरोना महामारी का मुकाबला कर सकते हैं। जहां लॉक डाउन के चलते सभी लोग किसी न किसी रूप में इससे प्रभावित हुए हैं, वहीं लघु एवं मझोले समाचार पत्र का तो इससे पूरा का पूरा काम ही ठप्प हो गया है। खासकर तब जबकि समाचार पत्रों के आय का जरिया मात्र विज्ञापन ही हैं, जो कि इन विषम हालात में लगभग शून्य हो चुका है। इसी वजह से लघु एवं मझोले समाचार पत्र एवं इससे जुड़े लोग गंभीर आर्थिक संकट से जुझ रहे है और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।ऐसे में सरकार का दायित्व हो जाता है कि वह संकट की इस घड़ी में जोखिम भरे माहौल में अपने काम को अंजाम दे रहे इन कोरोना वारियर्स की सुध ले। इसके लिए सरकार से अपेक्षा है कि वह लघु एवं मझोले समाचार पत्र एवं उनसे जुड़े लोगों के सामने व्याप्त आर्थिक संकट को थोड़ा सहारा मिल जायेगा। प्रदेश सरकार से आग्रह है कि वह लघु एवं मझोले समाचार पत्रों के जितने भी लंबित बिल हैं, उनका भुगतान तत्काल प्रभाव से कराना सुनिश्चित करे ताकि इससे पत्रकारों को विपत्ति के इस समय में मदद मिल सके। इसके अतिरिक्त ऐसे आपातकालीन हालात में देश के तमाम लघु एवं मझोले समाचार पत्रों को, चाहे वह सूचीबद्व या डीएवीपी से मान्यता प्राप्त हो या न हों, एक सम्मानजनक सहायता के तौर पर विज्ञापन जारी किया जाये तथा उसका भुगतान आपातकालीन व्यवस्थाओं के तहत एड़वांस में किया जाये। विज्ञापन की व्यवस्था तब तक जारी रहे जब तक कि कोरोना संकट का प्रभाव बना रहता है और हालात सामान्य नही हो जाते। अन्य जरूरी व्यवस्थाओ में लगे विभिन्न कर्मचारियों की तरह पत्रकारों को भी तत्काल बीमा योजना (कोविड-19 के तहत) की सुविधा से आच्छान्दित किया जाये। इसी तरह लाकडाउन 3.0 के मद्देनजर पेश आ रही कठिनाईयों को देखते हुये सूचना विभाग को समाचार पत्रों को जमा करवाने की व्यवस्थाओं की तिथि को आगे बढ़ाने के लिए निर्देर्शित किया जाये। ताकि लघु एवं मझोले समाचार पत्र हालात सामान्य होने पर सूचना विभाग से संबंधित कारवाई पूर्ण कर सकें। आशा है कि प्रदेश सरकार लघु एवं मझोले समाचार पत्रों पर कोरोना संकट से उबारने में मददगार बनकर सामने आयेगी।