Uttarakhand
महज 14 दिन के शिशु से लेकर 50 वर्ष की उम्र की महिला के हृदय रोग के उपचार में कैलाश हाॅस्पिटल ने रचा इतिहास
देहरादून। कैलाश हास्पिटल देहरादून के चिकित्सकों ने हृदय रोग से सम्बन्धित बीमारियों में चार मरीजों को नया जीवन दिया है। एक मामले में हृदय रोग से सम्बन्धित दिल के एक 20 मिमी छेद को डिवाइस द्वारा सफलतापूर्वक बंद किया गया। जबकि दूसरे मामले में हरदय रोग से ग्रसित तीन बच्चों का सफलतापूर्वक आपरेशन कर जान बचाई गई। कैलाश अस्पताल में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में अस्पताल के निदेशक पवन शर्मा व विशेषज्ञ चिकित्सकों डा. अखिलेश पांडे व डा. राजप्रताप सिंह द्वारा इसकी जानकारी पत्रकारों को दी गई। जन्मजात हरदय दोष एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति के दिल में छेद (सेप्टल दोष), वाल्व दोष या असामान्य रूप से धमनियों में एक असामान्य रूप से गठित हरदय संघरचना के साथ पैदा होता है। ऐसे रोगियों को शीघ्र निदान और उपचार की आवश्यकता होती है। पहले सर्जरी ही इन स्थितियों के लिए उपलब्ध एकमात्र विकल्प था। चिकित्सा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति के साथ नए उपचार के विकल्प विकसित हुए हैं जो कम आक्रामक, अधिक काॅस्मेटिक हैं और अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता न्यूनतम होती है। पत्रकार वार्ता में चिकित्सकों ने बताया कि पिछले कुछ माह में कैलाश अस्पताल की टीम ने 3 नवजात शिशुओं की सफल हरदय शल्य चिकित्सा की गई। जिसमें सबसे छोटा बच्चा 14 दिन का था। और अभी कुछ दिन पहले एक 4 महीने की बच्ची जिसका वजन 3.7 किलोग्राम है का जटिल आपरेशन किया गया। यह बच्ची निमोनिया के साथ गंभीर हालत में अस्पताल पहुंची थी। इको द्वारा पता चला कि इसके फेफड़ों एवं शरीर में खून ले जाने वाली नलियां आपस में जुड़ी हुई थी। ऐसे अधिकतर बच्चे एक साल की उम्र तक जीवित नहीं रह पाते। इस बच्ची का आपरेशन सफल रहा। जिसमें दोनों नलियों के बीच पर्दा लगा दिया गया और बच्ची अब स्वस्थ है अस्पताल से छुटटी दे दी गई।
कैलाश हास्पिटल के कंसलटेंट और इंटरवेंशनल कार्डियोलाजिस्ट के एचओडी डा. राज प्रताप सिंह और एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोवस्कुलर सर्जन डा. अखिलेश पांडे और कार्डिएक एनेस्थिसिस्ट डा. एसपी गौतम, डा. अतीश सिन्हा सहित कैलाश अस्पताल के डाक्टरों की टीम ने दिल के एक 20 मिमी छेद को डिवाइस द्वारा सफलतापूर्वक बंद किया। रोगी में सांस फूलना, थकान, धड़कन के लक्षण थे। इकोकार्डियोग्राफी ने खुलासा किया कि उसके दिल में 20 मिमी का छेद था। 3 डी इंडोस्कोपिक इकोकार्डियोग्राफी नामक एक विशेष तकनीक की मदद ली गई। यह दुनिया में सबसे उन्नत अल्ट्रासाउंड इमेजिंग है जो चित्रों की तरह वास्तविक दिखता है। इससे अतिरिक्त 5 मिमी छेद का पता चला। 3 डी इमेजिंग डिवाइस के मार्गदर्शन में यह छेद 26 मिमी डिवाइस द्वारा सफलतापूर्वक बंद किया गया। यह ग्रोइन में एक छोटे से 5 मिमी छेद के माध्यम से किया गया था और किसी भी सर्जरी या चीरा की आवश्यकता नहीं थी जो तुरंत बंद हो गई। रोगी को 12 घंटे के भीतर चलने की अनुमति दी गई एक दिन की निगरानी के बाद छुट्टी दे दी गई। यह उपचार कम खर्चीला है। अस्पताल में भर्ती होने की अवधि में कटौती, स्थायी निशान से बचाता है और बीमारी व सर्जरी से उबारने का समय कम हो जाता है। मरीज एक सप्ताह के भीतर सामान्य जीवन को फिर से शुरु कर सकते हैं। वहीं, दूसरे मामले में हरदय रोग से ग्रसित तीन बच्चों का सफलतापूर्वक आपरेशन कर जान बचाई गई। प्रैसवार्ता के दौरान कैलाश होस्पिटल एवं हृदय रोग डिपार्टमेंट के निदेशक पवन शर्मा, हाॅस्पिटल के एम0एस0 डा0 सतीश सिन्हा, डा0 रोहित श्रीवास्तव, डा0 एस0पी0 गौतम एवं सहयोगी स्टाफ की टीम उपस्थित रही।