बिगड़ी आबोहवा को लेकर गुरुवार को संसद के दोनों ही सदनों में हुई जोरदार चर्चा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर सहित देश के बड़े हिस्से की बिगड़ी आबोहवा को लेकर गुरुवार को संसद के दोनों ही सदनों में जोरदार चर्चा हुई है। सांसदों ने बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जताई और इससे निपटने के लिए सरकार को काफी सुझाव भी दिए है। हालांकि राज्यसभा में चर्चा के जवाब में सरकार ने इससे जल्द ही निपटने का भरोसा दिया। साथ ही कहा कि बीजिंग ने ऐसे ही प्रदूषण से निपटने में 15 साल लगाए थे, लेकिन हम इससे पहले ही वायु प्रदूषण की समस्या से पार पा लेंगे। सरकार ने इसे लेकर गंभीर और जिम्मेदार पहल शुरु की है। इससे असर यह रहा है कि पिछले तीन सालों में इनमें सुधार भी दिखा है। खासबात यह है कि राज्यसभा में गुरुवार को शुरु हुई अल्पकालिक चर्चा जहां कुछ घंटों में समाप्त हो गई है, वहीं लोकसभा में यह चर्चा अभी भी जारी है। लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत मंगलवार को कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने की थी। हालांकि यह बुधवार को लोकसभा की कार्यसूची में दूसरे विषयों के दर्ज होने के चलते नहीं हो पाई थी। जो गुरुवार को फिर से शुरु हुई और शून्यकाल के बाद देर शाम तक चली। इस दौरान चर्चा में सभी दलों ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया। माना जा रहा है कि शुक्रवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री इस पर अपना जवाब देंगे। इस बीच राज्यसभा में अल्पकालिक चर्चा पर जवाब देते हुए जावडेकर ने कहा कि वायु प्रदूषण कोई राजनीतिक विषय नहीं है, इसलिए सभी दलों को राजनीति से ऊपर उठकर मिल जुलकर इससे निपटने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोगों ने इस मामले को जिस तरीके से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की, वह दुखद है।
जावडेकर ने कहा कि प्रदूषण से निपटने दिल्ली- एनसीआर सहित देश के 122 शहरों को लेकर एक कार्ययोजना (नेशनल एक्शन प्लान फार क्लीन एयर) बनाई गई है। इसके तहत सभी को पैसा दिया गया है। साथ ही सभी शहरों से अपनी भौगोलिक और मौजूदा परिस्थितियों के लिहाज से योजना तैयार करने को कहा गया है। यह मुद्दा वैसे भी किसी दूसरे पर छोड़ने का नहीं है, खुद करने का है। उन्होंने कहा कि चर्चा में ज्यादातर सदस्यों ने ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की बात कही है, तो मै बताना चाहता हूं, कि भारत और चीन दुनिया के दो ऐसे देश है, जिनका ग्रीन कवर पिछले सालों में बढ़ा है। उन्होंने इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में लगातार हो रहे सुधार की भी जिक्र किया और कहा कि पहले तुलना में अब अच्छी हवा वाले दिनों की संख्या बढी है। दोनों ही सदनों में चर्चा के दौरान सभी दलों के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया।
किसी ने यज्ञ कराने की, तो किसी ने क्लाइमेंट इमरजेंसी घोषित का दिया सुझाव वायु प्रदूषण पर चर्चा के दौरान दोनों सदनों में सदस्यों की ओर से कुछ रोचक सझाव भी आए। लोकसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि इससे निपटने के लिए यज्ञ कराने की सलाह दी, तो वहीं राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए जरूरी हो गया है, कि सरकार क्लाइमेंट इमरजेंसी घोषित करे। जिससे इससे तुरंत निजात मिल सके। इसके साथ राज्यसभा में एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण ने कहा कि शहरों में अर्बन फारेस्ट की दिशा में कदम बढ़ना चाहिए, क्योंकि शहरों में जिस रफ्तार से लोगों आ रहे है, उस रफ्तार से पेड़ नहीं लग रहे है।
चर्चा में हुई नोकझोंक भी,भगवंत मान ने पराली जलाने का किया समर्थन प्रदूषण पर चर्चा के दौरान दोनों सदनों ही में तीखी नोंक-झोंक भी हुई। राज्यसभा में चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के पीछे जहां पराली को बड़ी वजह बताई, वहीं लोकसभा में चर्चा के दौरान भगवंत मान ने पराली जलाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पंजाब- हरियाणा के किसानों के पास इसके सिवाय कोई विकल्प नहीं है। सरकार ने उन्हें दूसरी फसलों को उगाने के लिए कभी प्रोत्साहित नहीं किया, जबकि धान की फसल से पंजाब का ग्राउंड वाटर भी तेजी से नीचे गिर रहा है। हालांकि दोनों सदनों में उनके बयानों को लेकर भाजपा ने सवाल उठाए। भाजपा सांसदों ने कहा कि पराली से ज्यादा प्रदूषण दिल्ली से खुद पैदा हो रहा है। जिसके लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। भाजपा सांसद विजय गोयल ने भी इस दौरान गंदे पानी, गंदी हवा को लेकर दिल्ली सरकार पर सवाल खड़े किए।