भाजपा के वो तीन अहम एजेंडे, समान नागरिक संहिता, अनुच्छेद 370 और राम मंदिर,जिन्हें पीएम मोदी पूरे भरोसे के साथ अपने कार्यकाल में पूरा करेंगे
नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने भाजपा को उत्साहित कर दिया है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से नाराजगी जताई है कि आजादी के इतने साल बाद और संविधान की इच्छा के बावजूद देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून नहीं है। जाहिर है कि इस टिप्पणी के बाद भाजपा के लिए कदम बढ़ाना आसान होगा और इसका विरोध करते रहे दलों के लिए सीधा विरोध मुश्किल होगा।
तीन अहम मुद्दों का समाधान मोदी के इसी कार्यकाल में भाजपा और जनसंघ के एजेंडे में तीन सबसे बड़े ऐसे मुद्दे हैं जिसपर सहयोगी दलों के बीच भी विरोध और असमंजस रहा है। पार्टी सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा इस कार्यकाल में तीनों मुद्दों के समाधान को लेकर आशान्वित है और वह भी संविधान के दायरे में। अनुच्छेद 370 की राह संविधान से ही निकाली गई और उसे निरस्त कर दिया गया। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई चल रही है। समान नागरिक संहिता की दिशा में एक पहल तो तभी हो गई थी जब तीन तलाक पर संसद से विधेयक पारित हो गया था।
नागरिकों के लिए एक कानून भाजपा केवल तीन तलाक तक नहीं बल्कि सभी मामलों में नागरिकों के लिए एक कानून की बात करती रही है। शुक्रवार को कोर्ट ने भी गोवा के एक मामले में यही अपेक्षा जताई और कहा कि बार बार सुझाव दिए जाने के बावजूद सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया है। दूसरी तरफ विधि आयोग ने इस मामले में सभी स्टेकहोल्डर से मशविरा कर लिया है। ऐसे में सरकार के लिए राह आसान है।
संविधान के अनुरुप कदम बढ़ाने होंगे टिप्पणी न सिर्फ कोर्ट से आई है बल्कि संविधान में इसकी भावना को भी जाहिर कर दिया गया है। यानी भाजपा अगर कदम आगे बढ़ाती है तो वह संविधान की इच्छा के अनुरूप होगा। अगर राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो अनुच्छेद 370 का विरोध करने के बाद पार्टी के अंदर से ही दंश झेल चुके दलों के लिए इसका विरोध मुश्किल होगा।
जनभावना और संविधान की इच्छा ध्यान रहे कि अनुच्छेद 370 के बाद कांग्रेस ही नहीं कुछ दूसरे दलों में भी खुलकर बगावत दिखी थी। और दबाव में इन दलों को भी अपना रुख नरम करना पड़ा था। जनभावना और संविधान की इच्छा के विरुद्ध खड़े होने पर विरोधी दलों को काफी मंथन करना पड़ेगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार भाजपा पार्टी में विचार के बाद कोई टिप्पणी करेगी।
भाजपा के तीन मुद्दे यूं तो विश्व की सबसे बड़ी और सफल पार्टी बनी भाजपा से हर दल जुड़ना चाहता है, लेकिन ध्यान रहे कि यही तीन मुद्दे थे जिसके कारण भाजपा को अस्पृश्य बताया जाता था। पार्टी को भरोसा है कि ये तीनों मुद्दे संभवत: इसी कार्यकाल में खत्म हो जाएंगे।