दिल्ली मेट्रो, तकनीकी खराबी बड़ी समस्या बनकर आ रही सामने
नई दिल्ली। पिछले एक साल के दौरान दिल्ली मेट्रो अलग-अलग रूट्स पर सिग्नल में आई तकनीकी खामी से ट्रेनों की आवाजाही के कई घंटों तक बाधित होने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इससे जहां दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) की साख पर बट्टा लग रहा है, वहीं इसकी विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ गई है। लगातार दो दिन तक मेट्रो के रुक-रुक कर चलने से सकते में आया DMRC भी अब इस मुद्दे पर गंभीर हो गया है। DMRC ने ब्लू लाइन के सिग्नल सिस्टम का सॉफ्टवेयर तैयार व रखरखाव करने वाली जर्मनी की कंपनी सीमेंस को डेटा भेजा है। डीएमआरसी ने सॉफ्टवेयर को ठीक करने के लिए कहा है। वहां के विशेषज्ञ जर्मनी में बैठकर मेट्रो के सिग्नल सिस्टम के सॉफ्टवेयर को दुरुस्त करने में जुट गए हैं। DMRC के कार्यकारी निदेशक (कॉरपोरेट कम्यूनिकेश) अनुल दयाल की मानें तो इंटरलॉकिंग और सिग्नलिंग की परेशानी का संबंध सॉफ्टवेयर से संबंधित लग रहा है। वहीं, सिग्नलिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी सिमेंस ने इंटरलॉकिंग को लेकर आ रही समस्या के समाधान के मद्देनजर सारा डाटा अध्ययन के लिए सिमेंस कंपनी के मुख्यालय (जर्मनी) भेज दिया है।
सिग्नल सिस्टम सॉफ्टवेयर में आई खराबी दिल्ली मेट्रो से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 5-6 दिसंबर को मेट्रो संचालन के दौरान आई खराबी को सिग्नल सिस्टम सॉफ्टवेयर में दिक्कत को बताया जा रहा है। DMRC प्रवक्ता के मुताबिक, दिल्ली मेट्रो के ब्लू लाइन रूट पर 8 मुख्य इंटरलॉकिंग समेत कुल 17 इंटरलॉकिंग सिस्टम हैं, यहां से सीधे ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर को जानकारी दी जाती है। DMRC प्रवक्ता अनुज दयाल के मुताबिक, इसी में सॉफ्टवेयर में आई खराबी के चलते ही स्क्रीन पर सूचना मिलनी बंद हो गई थी। हालांकि, सूचना मिलने पर 17 टीमों को गड़बड़ी वाले स्थानों पर भेजा गया था और जांच के बाद सभी को ठीक भी कर दिया गया था।
लगातार दूसरे दिन यात्री रहे परेशान दिल्ली मेट्रो की विश्वस्तरीय पहचान होने के बावजूद तकनीकी खराबी बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। हालात यह है कि दिल्ली मेट्रो की सबसे व्यस्त ब्लू लाइन (द्वारका सेक्टर 21-नोएडा सिटी सेंटर/वैशाली) पर सिग्नल फेल होने के कारण लगातार दूसरे दिन भी मेट्रो का परिचालन प्रभावित हुआ। इस लाइन पर व्यस्त समय में सुबह नौ बजे से पूरे दिन मेट्रो ट्रेन हांफती रही।
ब्लू लाइन मेट्रो पर रोज 10 लाख लोग करते हैं सफर यह दिल्ली मेट्रो का सबसे व्यस्त कॉरिडोर है। इस पर प्रतिदिन करीब 10 लाख लोग सफर करते हैं। परिचालन प्रभावित होने से सुबह के वक्त दफ्तर जाने वाले लोगों को काफी परेशानी ङोलनी पड़ी। खासतौर पर यमुना बैंक-वैशाली कॉरिडोर पर समस्या अधिक रही। यात्रियों को 10-15 मिनट तक मेट्रो के लिए इंतजार करना पड़ा। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के अनुसार शुरुआत में सुबह नौ बजे यमुना बैंक-वैशाली के बीच सिग्नल में खराबी की समस्या आई। तब 15 मिनट तक परिचालन ठप रहा। इस वजह से पूरी लाइन पर मेट्रो ट्रेनें खड़ी हो गईं।
17 इंटरलॉकिंग सेक्शन में से आठ जगहों पर सिग्नल में खराबी मेट्रो का सिग्नल सिस्टम ऑटोमेटिक है, जो डीएमआरसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) से जुड़ा हुआ है। मेट्रो भवन में इसका मुख्य कंट्रोल रूम है। डीएमआरसी के अनुसार ब्लू लाइन पर 17 इंटरलॉकिंग सेक्शन (स्टेशन) है। परिचालन के दौरान एक इंटरलॉकिंग सेक्शन को पार करने पर दूसरे सेक्शन से स्वत: मेट्रो को सिग्नल मिलते रहता है। सिग्नल में बाधा होने पर मेट्रो की गति स्वत: कम हो जाती है। डीएमआरसी के अनुसार दो दिन में ब्लू लाइन के 17 इंटरलॉकिंग सेक्शन में से आठ जगहों पर सिग्नल में खराबी आई। इस दौरान इंटरलॉकिंग स्टेशन पर सिग्नल स्वत: कभी बंद तो कभी रि-स्टार्ट होने लगा। वहीं, बृहस्पतिवार को भी वहां के विशेषज्ञ सॉफ्टवेयर में खराबी की गुत्थी सुलझाते रहे। डीएमअरसी का कहना है कि दो दिन में इंटरलॉकिंग सिस्टम के खुद बंद होने और चालू होने की जो समस्या हुई, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। माना जा रहा है कि सॉफ्टवेयर में तकनीकी दिक्कत से यह समस्या आई है। ब्लू लाइन के इंटरलॉकिंग व सिग्नल सिस्टम का सॉफ्टवेयर जर्मनी की उक्त कंपनी ने तैयार किया है। डीएमआरसी के प्रवक्ता अनुज दयाल ने कहा कि कंपनी को दो दिनों का डेटा ईमेल किया गया है। बहरहाल यदि सॉफ्टवेयर की समस्या जल्द दूर नहीं हुई तो यात्रियों को आगे भी सफर में परेशान होना पड़ सकता है।
मेट्रो की 16 टिप हुई रद पांच दिसंबर को ब्लू लाइन पर तकनीकी खराबी के कारण मेट्रो के 786 टिप में से 16 टिप रद करनी पड़ी। वहीं 20 टिप में मेट्रो विलंब से चली।