नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने शनिवार को अपने देशवासियों को आश्वस्त किया है कि उनका देश आर्थिक संवृद्धि के ऐतिहासिक मुहाने पर खड़ा है। इस आश्वासन के पीछे दरअसल, उनका यह विश्वास है कि अब नेपाल भारत और चीन दोनों से बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद हासिल कर सकता है। साथ ही ओली के इस भरोसे के पीछे भारत सरकार की तरफ से उन्हें दिया गया दो बड़ा आश्वासन भी है। पिछले दिनों नई दिल्ली की यात्रा के दौरान भारत ने ओली और उनके कैबिनेट को साफ तौर पर बताया कि भारत अब न तो नेपाल के आतंरिक राजनीति में कोई हस्तक्षेप करने की मंशा रखता है और न ही आने वाले दिनों में नेपाल को आवश्यक सामानों की आपूर्ति में कोई बाधा उत्पन्न की जाएगी। विदेश मंत्रालय के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, ओली के सत्ता में आने के बाद जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नेपाल की यात्रा पर गई थी तभी उनकी बातचीत में आपसी विश्वास बहाली पर सबसे ज्यादा बात हुई थी। वामपंथी गठबंधन की सरकार बनाने के बाद ओली को इस बात की आशंका थी कि भारत की तरफ से उनकी सरकार में कुछ अड़ंगा डाला जा सकता है। इस आशंका को न सिर्फ विदेश मंत्री स्वराज ने एक सिरे से खारिज किया बल्कि भारत में भी ओली को उच्चस्तरीय बातचीत में भारत के रुख से अवगत कराया गया।
जानकार बताते हैं कि इससे ओली काफी संतुष्ट हो कर लौटे। इसके साथ ही भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि नेपाल को आवश्यक सामानों की आपूर्ति में अब कोई बाधा भी नहीं खड़ी की जाएगी। वैसे भारत आधिकारिक तौर पर कभी यह स्वीकार नहीं करता है कि उसने कभी नेपाल को आवश्यक सामानों की आपूर्ति रोकी है, लेकिन नेपाल सरकार पूर्व में लगातार इसका आरोप भारत पर लगाती रही है। खास तौर पर वर्ष 2015 में जब नेपाल में संविधान संशोधन के मुद्दे पर भड़की हिंसा के बाद भारत से एलपीजी, पेट्रोल-डीजल व अन्य उत्पादों की आपूर्ति बाधित हुई थी। ओली की यात्रा के दौरान उनकी पीएम नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और द्विपक्षीय स्तर पर हुई वार्ता के अधिकारी भारतीय पक्ष अब यह स्वीकार कर चुका है कि नेपाल को लेकर अब ज्यादा प्रायोगिक होने की जरूरत है। यह दावा अब नहीं किया जा सकता कि नेपाल सिर्फ भारत से ही ताल्लुक रखे। हां, भारत को तब तक कोई दिक्कत नहीं होगी, जब तक किसी भी दूसरे देश के साथ नेपाल के रिश्ते भारतीय हितों को नुकसान न पहुंचाये। यही वजह है कि राजग सरकार ने ओली के सामने आर्थिक परियोजनाओं की तमाम पेशकश कर दी है। जहां तक आवश्यक सामानों की आपूर्ति की बात है तो अगले दो वर्षों में रक्सौल से अमलेकगंज पाइपलाइन के पूरा होने के बाद पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति निर्बाध तौर पर होने लगेगी। इसके अलावा तीन नए रेल नेटवर्क का तोहफा भी भारत नेपाल को दे रहा है, जिसमें राजधानी काठमांडू को बिहार के रक्सौल से जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी योजना भी है। पीएम मोदी ने स्वयं इनमें से कुछ घोषणाएं की जो बताता है कि सामानों की आपूर्ति बंद करने की रणनीति अब इतिहास की बात हो गई है।