73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की बड़ी घोषणा की
नई दिल्ली । 73वें स्वतंत्रता दिवस (73rd Independence Day) के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की बड़ी घोषणा की है। उन्होंने देश की जनता और खासतौर पर दुकानदारों-व्यापारियों से इस दिशा में योगदान देने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के अभियान की शुरूआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती (02 अक्टूबर) से एक साथ पूरे देश में शुरु किया जाएगा।
गांधी जयंती पर ही शुरू हुआ था स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हुए देश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने की अपील की है। इससे पहले भी उन्होंने गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी, जिसे देश ही नहीं दुनिया में काफी सराहना मिली। इसका असर भी व्यापक तौर पर देखने को मिला। इस बार प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने की अपील की है। इसके लिए भी उन्होंने गांधी जयंती के अवसर को ही चुना है। उन्होंने कहा कि सरकार देश को सिंगल यूज प्लास्टिक (एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक) से मुक्त बनाएगी।
पीएम ने लोगों से की अपील पीएम मोदी ने लोगों से अपील की कि दो अक्टूबर के दिन वह सारा सिंगल यूज प्लास्टिक इकट्ठा करें। अपने नगर निगम के पास या स्वच्छता कर्मचारी के पास सारा प्लास्टिक जमा कराएं और देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने में सहयोग दें। उन्होंने बताया कि आम लोगों से जो प्लास्टिक एकत्र किया जाएगा उसे रिसाइक कर विभिन्न तरह के प्रयोग में लाया जाएगा। कई जगहों पर प्लास्टिक का प्रयोग सड़कों के निर्माण में भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से देश ही नहीं दुनिया में विभन्न तरह की समस्याएं हो रही हैं। इसलिए हमें (आम लोगों को) ही इससे मुक्ति का अभियान छेड़ना होगा।
व्यापारियों और दुकानदारों की विशेष भूमिका प्रधानमंत्री ने व्यापारियों और दुकानदारों से अपील की है कि वह भी देश को प्लास्टिक मुक्त करने में अपना पूरा योगदान दें। उनके विशेष सहयोग की आवश्यकता है और बिना उनके आगे आए देश को इस मुसीबत से मुक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने दुकानदारों से कहा कि वह अपने बोर्ड पर कई तरह के बोर्ड लगाते हैं। अब वह एक बोर्ड और लगाएं कि हमसे प्लास्टिक बैग की इच्छा न करें। साथ ही उन्होंने दुकानदारों और व्यापारियों को सुझाव दिया कि वह दीपावली के मौके पर ग्राहकों को डायरी और कैलेंडर आदि गिफ्ट में देते हैं। इस बार वह थैला गिफ्ट करें।
गरीबों को मिलेगी आर्थिक मदद प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को प्लास्टिक मुक्त करने से प्रदूषण से तो राहत मिलेगी ही, साथ ही हम कपड़े और जूट के बैग का इस्तेमाल कर गरीबों, किसानों और विधवाओं की भी मदद कर सकते हैं। इससे उनके जीवन में बदलाव आएगा। उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी।
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण भारत में अगर प्लास्टिक प्रदूषण की बात करें तो यहां ये समस्या और विकराल हो जाती है। यहां प्लास्टिक कचरे का निस्तारण तो दूर, इसके सही से कलेक्शन और रख-रखाव की व्यवस्था भी नहीं है। आलम ये है कि भारत में सड़क से लेकर नाली, सीवर और घरों के आसपास प्लास्टिक कचरा हर जगह नजर आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देश में प्रतिदिन लगभग 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। भारत में हर साल प्रति व्यक्ति प्लास्टिक का प्रयोग औसतन 11 किलो है, जबकि अमेरिका में एक व्यक्ति द्वारा प्लास्टिक प्रयोग का सालाना औसत 109 किलो का है।
मिशन 2022 : प्लास्टिक मुक्त भारत भारत 2018 में पूरी दुनिया के लिये पर्यावरण दिवस का होस्ट था। इस मौके पर भारत सरकार ने लभ्य निर्धारित किया था कि 2022 तक एक बार उपयोग कर फेंके जाने वाले प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। इसके बाद सरकार स्तर पर प्लास्टिक को बैन करने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन सख्ती के अभाव में इनका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। ग्लोबल रिसोर्सेज फॉर इंसीनरेटर अल्टरनेटिव्स (GAIA) के अनुसार भारत विश्व के अन्य देशों से ज्यादा प्लास्टिक कचरा रीसाइकल करता है।
प्रति वर्ष 52 हजार से ज्यादा प्लास्टिक के माइक्रो कण निगल रहे हम पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन चुके जल और वायु प्रदूषण से बचने के लिए विश्वभर में नए-नए उपाय किए जा रहे हैं। हालांकि, प्लास्टिक प्रदूषण एक ऐसी समस्या बनकर उभर रही है, जिससे निपटना अब भी दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। हाल में हुए एक शोध के अनुसार एक वर्ष में एक व्यस्क इंसान 52 हजार से ज्यादा प्लास्टिक के माइक्रो कण खाने-पानी और सांस के जरिए निगल रहा है। अध्ययन में पता चला था कि लगभग सभी ब्रांडेड बोतल बंद पानी में भी प्लास्टिक के ये सूक्ष्म कण मौजूद हैं। कनाडाई वैज्ञानिकों द्वारा माइक्रोप्लास्टिक कणों पर किए गए विश्लेषण में चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं। विश्लेषण में पता चला है कि एक व्यस्क पुरुष प्रतिवर्ष लगभग 52000 माइक्रोप्लास्टिक कण केवल पानी और भोजन के साथ निगल रहा है। इसमें अगर वायु प्रदूषण को भी मिला दें तो हर साल करीब 1,21,000 माइक्रोप्लास्टिक कण खाने-पानी और सांस के जरिए एक व्यस्क पुरुष के शरीर में जा रहे हैं।
सिंगल यूज होने वाली प्लास्टिक खतरनाक डब्ल्यूडब्ल्यूएफ का लक्ष्य 2030 तक स्ट्रॉ और पॉलिथिन बैग जैसी सिर्फ एक बार प्रयोग की जा सकने वाली प्लास्टिक की वस्तुएं को इस्तेमाल से हटाने का है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक बार यूज होने वाली प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक है। प्लास्टिक कचरे में सबसे ज्यादा मात्रा सिंगल यूज प्लास्टिक की ही होती है।
जहरीली होगी हवा हर साल उत्पादित होने वाले कुल प्लास्टिक में से महज 20 फीसद ही रिसाइकिल हो पाता है। 39 फीसद जमीन के अंदर दबाकर नष्ट किया जाता है और 15 फीसद जला दिया जाता है। प्लास्टिक के जलने से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा 2030 तक तीन गुनी हो जाएगी, जिससे ह्रदय रोग के मामले में तेजी से वृद्धि होने की आशंका है।
2050 तक मछलियों से ज्यादा होगा प्लास्टिक हर साल तकरीबन 10.4 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में मिल जाता है। 2050 तक समुद्र में मछली से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े होने का अनुमान है। प्लास्टिक के मलबे से समुद्री जीव बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कछुओं की दम घुटने से मौत हो रही है और व्हेल इसके जहर का शिकार हो रही हैं। प्रशांत महासागर में द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच समुद्र में कचरे का सबसे बड़ा ठिकाना है। यहां पर 80 हजार टन से भी ज्यादा प्लास्टिक जमा है।