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प्रदेश में 630 नए कोरोना संक्रमित मिले, 11 मरीजों की मौत

देहरादून । उत्तराखंड में बुधवार को 630 कोरोना संक्रमित मिले, जबकि 11 मरीजों की मौत हुई है। 663 कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को 13577 सैंपलों की जांच रिपोर्ट आई। इनमें से 12947 सैंपल निगेटिव और 630 पॉजिटिव मिले। देहरादून जिले में सबसे अधिक 224 कोरोना मरीज मिले हैं। ऊधमसिंह नगर में 82, हरिद्वार में 73, नैनीताल में 61, पौड़ी में 43, उत्तरकाशी में 32, चमोली में 28, पिथौरागढ़ में 27, टिहरी में 25, बागेश्वर में 19, चंपावत में नौ और रुद्रप्रयाग जिले में सात लोग संक्रमित मिले। अब प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 52959 हो गई है। इनमें से 43631 मरीज ठीक हो चुके हैं।
बुधवार को दून मेडिकल कॉलेज में तीन, हिमालयन हॉस्पिटल में चार, सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में तीन, एचएनबी बेस हॉस्पिटल श्रीनगर में एक संक्रमित ने दम तोड़ा है। अब मरने वालों की संख्या 688 हो गई है। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर रोकने में चमोली जिला अव्वल है। कोरोना काल में अब तक इस जिले में एक भी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई है। चमोली में कुल 1162 संक्रमितों में 908 मरीज ठीक भी हो चुके हें। वर्तमान में 254 सक्रिय मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल को 207 दिन पूरे हो गए हैं। वर्तमान में संक्रमित मरीजों की संख्या 52 हजार से ज्यादा हो गई हैं। वहीं, कोरोना मरीजों की मृत्यु दर लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में चमोली मात्र एक ऐसा जिला हैं, जहां पर अभी तक किसी संक्रमित की मौत नहीं हुई है। प्रदेश में पहले कोरोना मरीज की मौत 29 अप्रैल को हुई थी। 18 जुलाई तक प्रदेश में मरने वालों की संख्या 52 थी। अनलॉक-1 के बाद संक्रमित मामलों में तेजी आने के साथ ही मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा है। अब तक 677 मरीजों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा देहरादून जिले में 325 मौतें हुई है। जबकि नैनीताल में 123, हरिद्वार में 105, ऊधमसिंह नगर में 68 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। पर्वतीय जिलों में सबसे अधिक पौड़ी में 20 मरीजों की मौत हुई है। उत्तरकाशी में नौ, अल्मोड़ा में आठ, टिहरी में चार, रुद्रप्रयाग में दो, पिथौरागढ़ में पांच, बागेश्वर में चार, चंपावत जिले में चार की मौत हुई है। पहाड़ों की तुलना में मैदानी जिलों में कोरोना से मृत्यु दर अधिक है।

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