National

राफेल मामले में प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए साजिश की जा रही है:- रक्षा मंत्री

नई दिल्ली। तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर राफेल मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफाश कर दिया। अधिकांश समय कांग्रेस अध्यक्ष हताश और निराश चुपचाप रक्षामंत्री को सुनते रहे। हालांकि बाद में राहुल गांधी ने रक्षामंत्री से कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण जरूर मांगा, लेकिन उनमें अधिकांश का जवाब सीतारमण पहले दे चुकी थी। राफेल पर कांग्रेस के झूठ का परत-दर-परत पर्दाफाश करते हुए निर्मला सीतारमण राहुल गांधी पर जमकर बरसीं। उन्होंने कहा कि मुझे झूठा कहा गया। देश के वायुसेना अध्यक्ष को झूठा बोल दिया गया। एक सामान्य परिवार से आने वाले ईमानदार प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि हमारी निष्ठा अक्षुण्ण है। उन्‍होंने कहा कि बोफोर्स ने कांग्रेस को डुबाया था, राफेल मोदी को दोबारा सत्‍ता दिलाएगी। कांग्रेस की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार का एक भी आरोप लगे बिना पांच साल कैसे चल गई। इसीलिए प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए साजिश की जा रही है। इसके लिए झूठ का सहारा लिया जा रहा है। एक विदेशी राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया कि प्रधानमंत्री चोर हैं। सीतारमण ने कहा कि प्रूफ दें कि किस विदेशी नेता ने प्रधानमंत्री को चोर कहा। आप बिना किसी तथ्य के सभी पर आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब आपको सच का सामना करना पड़ेगा।

कांग्रेस और मोदी सरकार के रक्षा सौदे में फर्क
निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि दलाली नहीं मिलने के कारण संप्रग के दौरान राफेल डील नहीं होने दी गई। उनके अनुसार संप्रग और राजग सरकार के काम करने के तरीके में बुनियादी अंतर है। संप्रग सरकार में जहां रक्षा सौदे दलाली के लिए किये (डिफेंस डीलिंग) जाते थे, वहीं हमारी सरकार में देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरत के हिसाब से रक्षा सौदे किये जाते हैं। रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार में राफेल सौदा इसीलिए नहीं हो पाया क्योंकि उसमें दलाली नहीं मिली। रक्षामंत्री ने पूछा कि 2011 में राफेल के एल-1 आने के बाद फिर सौदे को लटका क्यों दिया गया? आखिरकार तत्कालीन रक्षामंत्री को राफेल के एल-1 आने के बाद उसकी प्रक्रिया की जांच के लिए मॉनीटर नियुक्त क्यों किया। मॉनीटर का क्लीयरेंस मिलने के बाद भी क्यों सौदे को लटका दिया गया? सीतारमण ने कांग्रेस को घेरते हुए पूछा कि पार्टी जवाब दे कि आखिर वह कौन था जिसने राफेल डील नहीं होने दी और संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता कर लिया। निर्मला ने बताया कि तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी ने छह फरवरी 2014 को संसद भवन के बाहर कहा था कि हमारे पास राफेल खरीदने के पैसे नहीं है। आखिरकार वो किस पैसे की बात कर रहे थे। वह दलाली के पैसे तो नहीं थे? जबकि सच्चाई यह है कि खरीद की प्रक्रिया के दौरान ही भुगतान की सारी शर्ते भी तय हो जाती है।

संप्रग में खरीदे जाने थे केवल 18 राफेल  राहुल गांधी के राफेल पर झूठ के खिलाफ सबसे तीखा हमला बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि वायुसेना के लिए 126 राफेल लाने का कांग्रेस अध्यक्ष का दावा झूठ के सिवा कुछ नहीं है। उनके अनुसार 126 विमानों के सौदे में संप्रग सरकार पूरी तरह से तैयार केवल 18 विमान खरीदने जा रही थी। जो केवल एक स्क्वाड्रन बनाता। लेकिन वायुसेना की जरूरत को देखते हुए मोदी सरकार ने राफेल के दो स्क्वाड्रन तैयार करने के लिए 36 विमान खरीदे। राहुल गांधी के बार-बार पूछे जाने वाले सवाल केवल 36 विमान ही क्यों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि क्योंकि आपात जरूरत को पूरा करने के लिए दो स्क्वाड्रन तत्काल तैयार करने की पुरानी परंपरा है। सीतारमण ने राहुल गांधी को बताया कि 1982 में मिग-23, 1985 में मिराज-2000 और 1987 में मिग-29 विमान भी 36 की संख्या में ही खरीदे गए थे।

HAL पर घड़ि‍याली आंसू   निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर एचएएल को लेकर घड़ि‍याली आंसू बहाने का आरोप लगाया। राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आपने बेंगलुरू के एचएएल के सामने कहा था कि राफेल को बनाने पर आपका अधिकार है। लेकिन आपकी पार्टी के ही मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने एचएएल के खराब प्रदर्शन की रिपोर्ट दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दौरान एचएएल को दुरूस्त करने के लिए कुछ नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि किस तरह से मोदी सरकार ने एचएएल को एक लाख करोड़ रुपये का तेजस और अन्य हेलीकाप्टर बनाने का काम दिया है। हालत यह थी कि संप्रग सरकार के दौरान एचएएल सालाना आठ तेजस बनाता था, जो अब 16 तेजस का निर्माण कर रहा है। राहुल गांधी पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि आपने कभी अमेठी में एचएएल का दौरा नहीं किया। जबकि बेंगलुरू में घड़ि‍याली आंसू बहाने पहुंच गए।

सफेद झूठ है HAL में राफेल बनाने का दावा  निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी के आरोपों का झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि आप लगातार दावा कर रहे हैं कि संप्रग सरकार 108 राफेल विमान बनाने का काम एचएएल को देने जा रही थी। लेकिन सच्चाई यह है कि यह डील कभी हुई ही नहीं। एक तो एचएएल में राफेल बनाने से फ्रांस की तुलना में 2.5 गुना अधिक कामगारों को लगाना पड़ता, जिससे राफेल की लागत पर असर पड़ता।दूसरी ओर, दासौं ने एचएएल में बनने वाले राफेल की गारंटी लेने से इनकार कर दिया था। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर खरीद घोटाले के आरोपी मिशेल के वापस आने और घोटाले की उंगली गांधी परिवार की ओर उठने की ओर इशारा करते हुए रक्षामंत्री ने पूछा कि आखिरकार उस समय हेलीकाप्टर बनाने का काम एचएएल को क्यों नहीं दे दिया गया था। शायद इसीलिए कि एचएएल दलाली नहीं देता, जो अगस्ता वेस्टलैंड ने दी। अगस्तावेस्टलैंड डील वाजपेयी सरकार के समय होने के अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस डील पर हस्ताक्षर 2010 में संप्रग सरकार के समय हुए थे।

कपोल कल्पना है 526 करोड़ का राफेल
निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी संप्रग सरकार के वक्त राफेल की कीमत जो 526 करोड़ रुपये बता रहे हैं, वह कपोलकल्पना के अलावा कुछ नहीं है। सरकारी दस्तावेजों में कहीं भी राफेल की यह कीमत दर्ज नहीं है। यही कारण है कि वे अलग-अलग भाषणों में राफेल की अलग-अलग कीमत बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2011 में जो निविदा हुई थी, उसमें राफेल की बेसिक कीमत 737 करोड़ रुपये थी।इसके छह साल बाद मोदी सरकार ने फ्रांस सरकार के साथ जो डील की उसमें बेसिक राफेल की कीमत नौ फीसदी कम यानी 670 करोड़ रुपये है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पढ़कर सुनाते हुए निर्मला सीतारमण ने बताया कि किस तरह सर्वोच्च अदालत राफेल की कीमत से पूरी तरह संतुष्ट है।

देश को गुमराह करने वाला झूठ
राफेल पर कांग्रेस और राहुल गांधी के झूठ को देश को गुमराह करने वाला बताते हुए कहा कि जिस संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की आपत्ति का जिक्र कांग्रेस अध्यक्ष बार-बार कर रहे हैं, वह पूरी प्रक्रिया में अंत तक शामिल था। यही नहीं, वह राफेल पर फ्रांस के साथ 74 मीटिंग करने वाले सात सदस्यीय दल में भी शामिल था। यहां तक राफेल सौदे की मंजूरी के लिए सुरक्षा संबंधित कैबिनेट कमेटी को उसी ने प्रस्ताव भेजा था। ऐसा ही झूठ बैंक गारंटी और सॉवरेन गारंटी के बारे में बोला जा रहा है। हकीकत यह है कि रूस और अमेरिका से साथ हुए किसी भी रक्षा सौदे में कोई सोवरेन गारंटी नहीं ली गई थी। यहां तक कि रूस से सुखोई-30 की खरीद में सॉवरेन गारंटी की शर्त नहीं थी। लेकिन मोदी सरकार ने राफेल में फ्रांसीसी राष्ट्रपति से लेटर और कंफर्ट हासिल किया।

रिलायंस में नहीं बनेगा राफेल  निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह झूठ बोला जा रहा है कि एचएएल से लेकर राफेल बनाने का काम रिलायंस को दे दिया गया। सच्चाई यह है कि न तो एचएएल से राफेल बनाने का कोई सौदा हुआ था और न ही रिलायंस से कोई सौदा हुआ है। आफसेट पार्टनर चुनने का अधिकार दासों को है और राफेल की आपूर्ति के बाद ही वह इसका क्लेम करेगा। उनके अनुसार रक्षा मंत्रालय के पास आफसेट पार्टनर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान भारत में बनाने पर काम अलग से चल रहा है और उसके लिए ग्लोबल प्रस्ताव मंगा लिया गया है और जल्द ही बाकी लड़ाकू विमान भारत में बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

यूपीए की ‘नॉन-डील’ से बेहतर है एनडीए की राफेल डील  राफेल सौदे पर कांग्रेस पार्टी के आरोपों का तथ्यपूर्ण जवाब देते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ववर्ती यूपीए की ‘नॉन-डील’ की तुलना में मोदी सरकार की राफेल डील को बेहतर करार दिया है। उनका कहना है कि छह बिन्दुओं पर मोदी सरकार की राफेल डील यूपीए की तुलना में बेहतर है। लोक सभा में राफेल पर चर्चा का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार दस साल में भी वायुसेना के लिए लड़ाकू विमान खरीदने के लिए राफेल सौदा नहीं कर सकी जबकि मोदी सरकार ने मात्र 14 महीने के वार्तालाप के बाद यह सौदा कर दिया।

क्यों बेहतर है एनडीए की डील

  • यूपीए सरकार मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट सौदे के जरिए बेसिक राफेल विमान 737 करोड़ रुपये में खरीदना चाहती थी
  • मोदी सरकार ने नौ प्रतिशत कम कीमत पर फ्रांस की सरकार के साथ इंटर-गवर्नमेंटल एग्रीमेंट में राफेल 670 करोड़ रुपय में खरीदा
  • यूपीए सरकार मात्र 18 फ्लाई रेडी विमान खरीदना चाहती थी
  • एनडीए सरकार ने 36 फ्लाई रेडी यानी उड़ान भरने के लिए तैयार विमान खरीदने का सौदा किया है।
  • यूपीए के समय जितने दिनों में सभी विमानों की डिलीवरी होनी थी, एनडीए के सौदे में इससे पांच महीने में कम समय में डिलीवरी मिलेगी
  • यूपीए सरकार के समय परफॉरमेंस बेस्ड लॉजिस्टक (पीबीएल) सपोर्ट मात्र 18 विमानों के लिए पांच साल के लिए था
  • लेकिन मोदी सरकार की डील में यह 36 राफेल विमानों के लिए पांच साल के लिए होगा
  • फ्रांस ने इंडस्टि्रयल सपोर्ट के लिए 50 साल की प्रतिबद्धता व्यक्त की है
  • जबकि यूपीए के नॉन-डील में यह मात्र 40 साल थी।
  • एनडीए के सौदे में प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तीन विमानों के संबंध में भी अतिरिक्त गारंटी कवर
  • यूपीए की नॉन-डील में यह कवर नहीं था

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button