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देश ने नायब हीरा खो दियाः कर्नल कोठियाल

देहरादून। आम आदमी पार्टी के सीएम प्रत्याशी कर्नल आज कोठियाल ने आज  तमिलनाडु में हुई विमान दुर्घटना में हमारे देवभूमि उत्तराखंड की शान सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत की खबर पर अपनी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा देश ने आज एक बहादुर और नायब हीरा खो दिया। उन्होंने इस दुख की घड़ी में शोक व्यक्त करते हुए कहा,सभी शहीद परिजनों को भगवान इस दुख की घड़ी में इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।
उन्होंने भावुक होते हुए कहा,बिपिन रावत जी हम सबके साथ ही पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत थे। उनके साथ मेरा और मेरे परिवार का पारिवारिक रिश्ता था। वो हमेशा से मेरे मेंटोर रहे और रहेंगे। मैने उनसे बहुत कुछ सीखा। मेरा सौभाग्य रहा की उनके साथ मुझे काम करने का मौका मिला।उन्होंने बताया बिपिन रावत जी के पिताजी ने गोरखा रेजिमेंट में सिपाही के पद से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल के पदों में रहकर देश सेवा की जिससे प्रेरणा लेकर विपिन रावत भी सेना के सर्वाेच्च पद पर रहने के बाद सीडीएस जैसे अहम पद पर पहुंचे। कर्नल कोठियाल ने कहा,उन्होंने फौज में रहते हुए जो भी मिशन लिए उनको बखूबी अंजाम दिया और उनकी कार्यशैली के सभी मुरीद थे।
कर्नल कोठियाल ने बताया हिम्मत और जज्बा उनके अंदर बचपन से ही था। जब 1978 में आईएमए से  पास आउट हुए तो ेूवतक व िऑनर लेने के बाद उन्होंने भी अपने पिताजी की तरह 11 गोरखा रेजिमेंट को चुना। अहम पदों पर रहते हुए और कई सफल मिशन को लीड करते हुए उन्होंने  भारतीय सेना में अपनी वीरता से मिशाल पेश की। भारत के अलावा  ब्रिगेडियर रहते हुए उन्होंने न्छ के शांति मिशन को भी  कमांड किया, इसके बाद ब्रिगेडियर रहते हुए ही उन्होंने उरी में आतंकवाद के खिलाफ एक बड़े सफल अभियान को अंजाम दिया। इसके बाद उन्होंने मेजर जनरल रहते हुए बारामुला में भी आतंकियों के खात्मे के लिए एक बड़ा अभियान चलाते हुए ब्वतचे बवउउंदकमत रहने के दौरान नार्थ ईस्ट इंडिया में चीन के खिलाफ एक सफलतापूर्वक अभियान चलाया।
उन्होंने बताया बिपिन रावत पहले ऐसे सैन्य अधिकारी रहे जो 3 साल तक आर्मी चीफ रहे  जबकि आर्मी चीफ का कार्यकाल तकरीबन दो साल का होता है इसके अलावा बड़ी सफलता तब मिली जब वो  देश के पहले सीडीएस बने  और देश के साथ साथ उत्तराखंड का नाम भी रोशन भी किया।
उन्होंने अपनी यादों को साझा करते हुए कहा,मैं जब मेजर के पद पर था उस दौरान मेरी पहली मुलाकात बिपिन रावत जी से हुई थी।इसके बाद जब मैं दिल्ली में 4जी गढ़वाल राइफल्स को कमांड कर रहा था तब उस दौरान मेरे द्वारा एक पहाड़ी पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें बिपिन रावत जी, अजित डोभाल जी, राजेन्द्र सिंह, अनिल धस्माना समेत उत्तराखंड के बड़े सैन्य अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने कहा बिपिन रावत जी मेरे मेंटोर भी थे। इसके अलावा उन्होंने कहा,जब म्यांमार में इंटरनेशनल प्रोजेक्ट के दौरान हमारा किडनैप हुआ था, तब  सीडीएस विपिन रावत ने ही मध्यस्थता करते हुए हमें दुश्मनों के चंगुल से बाहर निकलने में मदद करी थी और उसके बाद उन्होंने भारत की सैन्य सुरक्षा हमें उपलब्ध कराई थी जिस वजह से हमारा प्रोजेक्ट पूरा हुआ था। इसके अलावा उन्होंने कहा,मेरे आग्रह पर 2019 में वो अपनी पत्नी के साथ गंगोत्री आये और जहां पर उन्होंने स्वामी सुंदरानंद आश्रम में लगभग 5 घण्टे व्यतीत किये और उत्तराखंड से जुड़े कई मुद्दों पर हमारी बातचीत भी हुई। इसी दौरान उनकी धर्मपत्नी को गंगोत्री काफी पसंद आया था और उन्होंने इस जगह पर दुबारा एक हफ्ते रहने की बात कही थी। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था और आज बेहद दुखद खबर ने सबको अंदर तक झकझोर कर रख दिया। आज वो हमारे बीच नहीं रहे लेकिन वो हमेशा याद आयेंगे। कर्नल कोठियाल का सीडीएस विपिन रावत को आखिरी सलाम।

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