News UpdateUttarakhand

76 देशों और भारत के 20 राज्यों से आये 1551 योगी परमार्थ निकेतन से हुए विदा

ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में योगाचार्य कीया मिलर द्वारा विशेष योग, मैक्सिको से आयी योगाचार्य वृंदा द्वारा ध्यान और कनाडा से आयी तारा जी द्वारा चक्रा डांस का आयोजन किया गया। विश्व के 76 देशों और भारत के 20 राज्यों से आये 1551 योगी परमार्थ निकेतन से धीरे-धीरे विदा हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर अनेक योगी अब भी योग के रंग के रंगे हुये हंै, कोई गंगा तट तो कोई योग उद्यान में बैठ कर योग साधना में लीन है। योगियों पर अब भी योग का जादू छाया हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस वर्ष 2020 की थीम ’’मैं पीढ़ीगत समानतारू महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूँ’’ रखी गयी है। भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों ने सहास्राब्दि विकास लक्ष्यों के तहत लैंगिक सामनता और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति करने के बावजूद अभी भी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा हो रही है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर गांधी जी को याद करते हुये कहा कि ’’युगों से चल रही बुराईयों को खोजना और उन्हें नष्ट करना जागरूक स्त्रियों का विशेषाधिकार होना चाहिये।’’ ’’यदि मैं स्त्री रूप में पैदा होता तो मैं पुरूषों द्वारा थोपे गये हर अन्याय का जमकर विरोध करता।’’ गांधी जी के सद्विचार आज की नारी को जागृत करने और झकझोरने के लिये काफी है। उन्होंने कहा कि नारी न तो अबला है और न खरीदी बिक्री का सामान है, वह स्वयं आपने आप को जोश और उत्साह से युक्त तथा निर्भीक और स्वतंत्र विचारों वाली मान ले तो बेहतर जीवन जी सकती है। नारियों को स्वयं के लिये सृजन और अपने उत्थान के लिये वैचारिक क्रान्ति करने की जरूरत है। शास्त्रों में उल्लेख है कि ’’यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रफलाः।’’ अर्थात जिन घरों मेेें स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवी-देवता निवास करते है। वैदिक और उत्तर वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। मध्यकाल महिलाओं के लिये बेहद चिंताजनक था परन्तु इक्कीसवीं सदी के आते-आते महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। शैक्षिक, राजनीतिक, आर्थिक स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुयी है परन्तु सामाजिक और वैचारिक स्तर पर अब भी बहुत असमानतायें है। आज की नारी अपना स्थान स्वयं बना सकती है और उसे इस हेतु आगे आना होगा।
 जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि एक माँ आपनी बेटी की सारी जरूरतों को अच्छे से समझती है और अपने जीवन के अनुभवों से उसका जीवन निखार सकती है। मातायें चाहे शिक्षित हो या अशिक्षित परन्तु अपनी बेटियों को शिक्षित अवश्य करेंय उनकी कल्पनाओं को उड़ान अवश्य दें और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करें और यह काम न तो समाज कर सकता है और न सरकारें कर सकती है, बस एक माँ कर सकती है। एक माँ ही बेटी के जीवन में बदलाव ला सकती है। परमार्थ निकेतन गंगा तट पर विशेष भण्डारा का आयोजन किया गया जिसमें सभी ने सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों से, विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली नारियों को सम्मानीत किया। स्वामी जी और साध्वी भगवती जी के सान्निध्य में विश्व के अनेक देशों आये योग जिज्ञासुओं और श्रद्धालुओं ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। स्वामी जी ने नारी शक्ति को संदेश दिया कि ’’हम थे, हम है और हम रहेंगे’’ यही जीवन का मूल मंत्र है। आज की परमार्थ गंगा आरती नारी शक्ति को समर्पित की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button