PoliticsUttarakhandउत्तरप्रदेश

हरीश रावत को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को कांग्रेस पार्टी के भीतर अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। कांग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गांधी की नई टीम में उम्रदराज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अहम हिस्सेदार होंगे या राज्य की सियासत में उन्हें फिर असरदार बनाया जाएगा। इसे लेकर कांग्रेसी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। रावत की दिल्ली में अचानक बढ़ी सक्रियता ने प्रदेश में भी पार्टी के अन्य क्षत्रपों के कान खड़े कर दिए हैं। इससे आने वाले समय में पार्टी के भीतर नए सिरे से गोलबंदी होती दिखे तो आश्चर्य नहीं किया जा सकता। फिलहाल रावत को उत्तराखंड से राष्ट्रीय महामंत्री पद का दावेदार भी बताया जा रहा है।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस को पस्त जरूर किया, लेकिन यह सबक भी दे दिया कि पार्टी को कुछ हासिल करना है तो जमीन पर सक्रिय भी रहना पड़ेगा। कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के इसी रुख को भांपकर प्रदेश में कांग्रेस की सियासत में नई हलचल हिलोरें लेने लगी हैं।

केंद्र के साथ उत्तराखंड में भी पार्टी की नई टीम गठित की जानी हैं। प्रदेश के कांग्रेसी दिग्गजों की निगाहें नई बनने जा रही टीम राहुल पर भी गढ़ी हुई हैं। वजह ये है कि जो भी इस टीम का हिस्सा होगा, पार्टी में उसका कद और भूमिका दोनों ही अहम होना तकरीबन तय है।

इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खासे सक्रिय हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में खुद को हाशिये पर पा रहे रावत ने अपनी सक्रियता में कमी नहीं आने दी है। साथ में यह ख्याल भी पूरा रखा कि प्रदेश संगठन और अन्य नेताओं से अलहदा पहचान रखी जाए।

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से इस दौरान उन्हें पूरी तवज्जो मिली। पड़ोसी राज्य हिमाचल का चुनाव हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह प्रदेश गुजरात, पार्टी ने रावत को दोनों ही मोर्चे पर उतारा। प्रदेश के अन्य किसी भी नेता को शायद ही यह तरजीह मिल पाई। बताया ये भी जा रहा है कि दिल्ली में राहुल की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के मौके पर खुद राहुल की ओर से उन्हें तवज्जो दी गई।

निर्णायक भूमिका चाहते हैं रावत

ऐसे में ये कयास लगने शुरू हो गए हैं कि रावत राहुल की नई टीम का हिस्सा हो सकते हैं। उन्हें उत्तराखंड से पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री पद के दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। चर्चा है कि केंद्र में उन्हें जिम्मेदारी देकर राज्य की सियासत में सीधे हस्तक्षेप दूर रखा जा सकता है।

सूत्रों की मानें तो रावत वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में ही अपनी नई निर्णायक भूमिका को लेकर खासे सतर्क हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलने का कोई मौका नहीं चूका।

इंदिरा-प्रीतम की गुफ्तगू

हालांकि, रावत की सक्रियता और पार्टी के भीतर संभावित भूमिका ने प्रदेश में पार्टी दिग्गजों के माथे पर बल जरूर डाल दिए हैं। इसे देखते हुए पार्टी के भीतर नए सिरे से गोलबंदी आकार लेती दिखाई पड़ सकती है। बीते रोज नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह की प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बंद कमरे में गुफ्तगू को भी इसी चिंता से जोड़कर देखा जा रहा है। यह दीगर बात है कि पार्टी का कोई भी नेता फिलहाल नगर निकाय चुनाव की चुनौती पर ही फोकस होने का दावा कर रहा है।

कांग्रेस की मोर्चाबंदी में जुटी सरकार

वैसे भी पहले नगर निकाय चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा के बीच जंग तेज होना तय है। भाजपा सरकार ने भी पिछली सरकार के घोटालों को सामने रखकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज कर दी है।

एनएच-74 घोटाले के बाद चावल घोटाला और अब उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम-सिडकुल घोटाले की परतें उधड़ने से कांग्रेस के भीतर सबसे ज्यादा चोट किसे पहुंचेगी, इसके आकलन को देखते हुए भी पार्टी के भीतर कई तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button