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पराली जलाने की घटनाओं को लेकर केंद्र ने पंजाब और हरियाणा पर बढ़ाया दबाव

नई दिल्ली। पराली जलाने की शुरूआती घटनाओं से सतर्क केंद्र ने पंजाब और हरियाणा पर दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि दोनों ही राज्यों ने पराली जलाने की घटनाओं में कमी का भरोसा तो दिया है, लेकिन शत-प्रतिशत रोक से हाथ खड़े कर दिए है। पंजाब ने पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में करीब 60 फीसद की कमी आने की बात कही है, जबकि हरियाणा ने करीब 90 फीसद कमी का भरोसा दिया है। केंद्र ने दोनों राज्यों को दो-टूक समझा दिया है कि – ‘कुछ भी करो, लेकिन दिल्ली तक पराली का धुआं नहीं आना चाहिए।’ पर्यावरण मंत्रालय ने पराली के आने वाले खतरों से निपटने के लिए दोनों राज्यों की तैयारियों को लेकर दो दिन तक लंबी बैठक की। मंगलवार को इस मुद्दे पर अकेले पंजाब के साथ भी अलग से चर्चा की। इस दौरान पंजाब की ओर से प्रमुख सचिव पर्यावरण और उनकी टीम मौजूद थी। जबकि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से सचिव ने खुद इस बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान केंद्र ने जहां पराली नष्ट करने के लिए पंजाब को निर्धारित मशीनों का बांटने का लक्ष्य पूरा न कर पाने के लिए असंतोष जताया। साथ ही निर्देश दिया कि 15 अक्टूबर तक वह मशीनों को वितरण के दिए गए लक्ष्य को पूरा करे। पराली संकट से निपटने के लिए तैयार की गई योजना के तहत पंजाब को इस साल पराली नष्ट करने वाली 25 सौ मशीनें किसानों को बांटनी थी, लेकिन अब तक वह सिर्फ आधी मशीनों का ही वितरण कर पाया है।

पर्यावरण मंत्रालय ने इसके अलावा पंजाब को पराली जलाने की घटनाओं को दस हजार तक सीमित करने का भी लक्ष्य दिया है। पिछले साल अकेले पंजाब में पराली जलाने की करीब 42 हजार घटनाएं रिपोर्ट हुई थी। हालांकि पंजाब का कहना था कि उन्होंने इन घटनाओं में कमी लायी है, 2016 में जहां इस तरह की 72 हजार घटनाएं रिपोर्ट हुई थी, वहीं 2017 में सिर्फ 42 हजार ही हुई। इस बीच केंद्र ने हरियाणा की तैयारियों को लेकर संतोष जताया है, साथ ही पराली की घटनाओं पर रोकथाम को लेकर सख्ती से काम करने को कहा है। हालांकि हरियाणा ने इन घटनाओं में 90 फीसद तक की कमी का भरोसा दिया है। वर्ष 2017 में हरियाणा में पराली जलाने की करीब 22 हजार घटनाएं रिपोर्ट की गई थी। केंद्र सरकार का इस दौरान पंजाब पर सबसे ज्यादा फोकस इसलिए भी है, क्योंकि पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं यहीं पर होती है।

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