कैसे होगा विकास, एक वीडीओ पर नौ पंचायतों का भार
देहरादून : ‘कख रैगे नीती-कख माणा, एक पटवारी ने कहां-कहां जाणा।’ उत्तराखंड के विषम भूगोल और पटवारियों के परिप्रेक्ष्य में प्रचलित यह कहावत ग्राम पंचायत अधिकारियों पर भी सटीक बैठती है। प्रदेश की 7760 ग्राम पंचायतों के लिए वर्तमान में केवल 847 ग्राम पंचायत अधिकारी ही कार्यरत हैं। ऐसे में एक के जिम्मे नौ-नौ ग्राम पंचायतें आ रही हैं। जाहिर है कि इसके कारण तमाम दिक्कतें पेश आ रही हैं। हालांकि, सरकार ने रिक्त चल रहे 328 पदों पर भर्ती के लिए अधियाचन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भेजा है, लेकिन इन्हें भरने के बाद भी एक ग्राम पंचायत अधिकारी के जिम्मे लगभग छह ग्राम पंचायतें आएंगी।
विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या 7954 थी। इस बीच निकायों के सीमा विस्तार में बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी इलाकों का हिस्सा बनाए जाने के बाद 194 ग्राम पंचायतों का वजूद खत्म हो गया। वर्तमान में 7760 ग्राम पंचायतें अस्तित्व में हैं। नियमानुसार पंचायतों के कामकाज के सुचारू संचालन के मद्देनजर प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम पंचायत अधिकारी की नियुक्ति होगी।
इस लिहाज से देखें तो राज्य में एक ग्राम पंचायत अधिकारी के पास नौ से ज्यादा ग्राम पंचायतें आ रही हैं। साफ है कि वे एक पूरा दिन भी एक ग्राम पंचायत में नहीं बैठ पा रहे। जाहिर है कि इससे कार्यों पर तो असर पड़ ही रहा, आमजन को पंचायत से संबंधित तमाम प्रमाणपत्र भी समय पर नहीं मिल पा रहे। इससे विभाग की पेशानी पर भी बल पड़े हैं। हाल में गैरसैंण में हुए बजट सत्र के दौरान लैंसडौन क्षेत्र से विधायक दिलीप रावत ने विस में यह मामला उठाया था।
वहीं, पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे ने माना कि ग्राम पंचायत अधिकारियों की कमी है। इनके कुल 1175 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 847 ही कार्यरत हैं। शेष 328 पदों पर भर्ती के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन भेजा गया है। आयोग 196 पदों के लिए परीक्षा भी आयोजित कर चुका है। उन्होंने बताया कि रिक्त चल रहे सभी पदों पर भर्ती के बाद कुछ राहत मिलेगी।