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कार्यशाला के दूसरे दिन व्याख्यान दिया
देहरादून। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आयोज्यमान सप्त दिवसीय अन्तर्जालीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस के अवसर पर श्रीभगवानदास संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार के सहायकाचार्य डा. रवीन्द्र कुमार ने कहा संस्कृत में प्रथमा से सप्तमी तक सात विभक्तियाँ होती हंै। ये सात विभक्तियाँ ही कारक का रूप धारण करती है। सम्बोधन विभक्ति को प्रथमा विभक्ति के अन्तर्गत गिना जाता है। क्रिया से सीधा सम्बन्ध रखने वाले शब्दों को ही कारक माना गया है। षष्ठी विभक्ति का क्रिया से सीधा सम्बन्ध नहीं होता है। अतः सम्बन्ध को को कारक नहीं माना गया है। इस प्रकार संस्कृत में कारक छः ही होते हैं तथा विभक्तियाँ सात होती है। उन्होंने सारस्वत अतिथि के रूप में द्वितीया विभक्ति पर अपना वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान दिया। इस अवसर पर संस्कृतविभागाध्यक्ष प्रो0 सोमदेव शतांशु, प्राच्यविद्या संकायाध्यक्षय प्रो. ब्रह्मदेव, प्रो. संगीता विद्यालंकार, डा. वीना विश्नोई, डॉ वेदव्रत, विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ पंकज कौशिक तथा भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय के 700 आचार्य तथा शोध छात्रों ने भाग ग्रहण किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ मौहर सिंह ने किया।